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Sarasvati River: हरियाणा के बाद गुजरात और राजस्थान में मिले सरस्वती नदी के प्रमाण, रिसर्च टीम करेगी अध्ययन

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के प्रयासों से आदि बद्री से लेकर सिरसा के ओटू हेड तक सरस्वती नदी को धरातल पर लाया जा चुका है। अब बोर्ड राजस्थान व गुजरात में भी सरस्वती नदी को धरातल पर लाने की संभावनाएं तलाशने में जुटा है। कच्छ के रण में सरस्वती के कई साक्ष्य मिले हैं जिससे साबित होता है कि यहीं से सरस्वती नदी अरब सागर में मिलती थी।

By Jagran News Edited By: Mohammad Sameer Updated: Tue, 26 Dec 2023 05:00 AM (IST)
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गुजरात और राजस्थान में मिले सरस्वती नदी के प्रमाण
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा के बाद अब गुजरात और राजस्थान में भी पौराणिक नदी सरस्वती के प्रमाण मिले हैं। वैदिक नदी को पुनर्जीवित करने की कवायद के बीच हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की टीम सरस्वती का प्रवाह क्षेत्र खंगालने के लिए 10 दिन के राजस्थान-गुजरात दौरे पर पहुंची है।

यहां विभिन्न स्थानों से अंग्रेजों के जमाने के राजस्व रिकार्ड के साथ ही ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं जो प्राचीन काल में यहां सरस्वती नदी होने की पुष्टि करते हैं। पुष्कर से लेकर कच्छ के रण तक सर्वे के बाद देहरादून के वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान से सैंपलों की जांच कराई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार वैदिक काल में आदिबद्री से लेकर गुजरात के कच्छ के रण तक सरस्वती नदी की अविरल धारा बहती थी।

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड लुप्त हो चुकी सरस्वती को धरातल पर लाने की कवायद में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच की अगुवाई में रिसर्च आफिसर डा. दीपा, सलाहकार जीएस गौतम और फाइनांस आफिसर सुरजीत सिंह की टीम राजस्थान के पुष्कर से लेकर गुजरात में कच्छ के रण तक सरस्वती का पूरा ट्रैक खंगालने पहुंची है।

भारतीय पुरातत्व विभाग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के अनुसंधान में कच्छ के रण में सरस्वती के साक्ष्य मिले हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सरस्वती नदी उद्गम स्थली आदिबद्री से लेकर कुरुक्षेत्र व राजस्थान से होते हुए गुजरात के कच्छ में अरब सागर में विलीन होती है। रिसर्च टीम इस पूरे मार्ग का अध्ययन करेगी। राजस्थान में पुष्कर के नजदीक नंदपुर गांव और गुजरात के पाटन जिले में स्थित सिद्धपुर और लोथल में सरस्वती के प्रवाह क्षेत्र का अध्ययन करते हुए सैंपल जुटाए जा चुके हैं।

सरस्वती नदी के पैलियो चैनल पर ही पुरातात्विक सभ्यताएं

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच कहते हैं कि सरस्वती सिर्फ पवित्र नदी नहीं, बल्कि पौराणिक दृष्टि से भी हमारी सांस्कृतिक विचारधारा की पोषक है। देश में जितनी भी पुरातात्विक सभ्यताएं मिली हैं, उनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा सरस्वती नदी के पैलियो चैनल पर ही मिली हैं। चाहे वह आदि बद्री हो या कुरुक्षेत्र की कुणाल या फिर बिरधाना, राखीगढ़ी, कालीबंगा, पीलीबंगा, लोथल और धौलावीरा, यह सभी प्राचीन सभ्यताएं सरस्वती व सिंधु नदियों के किनारे विकसित हुईं थी।

सरस्वती को राजस्थान और गुजरात में धरातल पर लाएंगे

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के प्रयासों से आदि बद्री से लेकर सिरसा के ओटू हेड तक सरस्वती नदी को धरातल पर लाया जा चुका है। अब बोर्ड राजस्थान व गुजरात में भी सरस्वती नदी को धरातल पर लाने की संभावनाएं तलाशने में जुटा है। कच्छ के रण में सरस्वती के कई साक्ष्य मिले हैं जिससे साबित होता है कि यहीं से सरस्वती नदी अरब सागर में मिलती थी। धौलावीरा को पुरातत्व विभाग और यूनेस्को द्वारा हेरिटेज साइट घोषित किया गया है क्योंकि यहां पर 10 हजार साल पुरानी सभ्यता मिलती है, जो सरस्वती के होने का प्रमाण देती हैं।

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