Haryana Politics: किरण चौधरी के जाने के बाद हुड्डा के विरुद्ध SRK गुट होगा कमजोर, भाजपा के लिए क्या हैं संकेत?
हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी (Kiran Choudhary) ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है। बुधवार को वह अपनी बेटी श्रुति चौधरी (Shruti Choudhary) के साथ भाजपा में शामिल होने जा रही हैं। किरण चौधरी के कांग्रेस पार्टी से जाने के बाद एसआरके ग्रुप हुड्डा के विरुद्ध कमजोर होता दिखाई दे रहा है। वहीं भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल की नेता रह चुकी किरण चौधरी (Kiran Choudhary) के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के कई राजनीतिक मायने हैं। किरण चौधरी (Kiran Choudhary Resigns Congress) के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घटना को सामान्य राजनीतिक घटनाक्रम नहीं माना जा सकता।
उनके भाजपा में जाने से हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) के समानांतर काम कर रहे एसआरके (सैलजा-रणदीप-किरण) गुट की गतिविधियां कमजोर पड़ेंगी। अब एसआरके गुट के नाम के पीछे से (के-किरण) तो हट जाएगा, लेकिन बीरेंद्र सिंह के एसआरके गुट में शामिल होने से इसका नया नाम एसआरबी (बी-यानी बीरेंद्र) पड़ सकता है।
राजनीतिक गलियारों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर चर्चाएं तेज
कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी के भाजपा में जाने के बाद प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हुड्डा समर्थक किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने को उनकी सफलता के रूप में देख रहे हैं।किरण चौधरी समेत एसआरके गुट के तमाम प्रयासों के बावजूद हुड्डा ने किरण की बेटी श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ से लोकसभा का टिकट नहीं लेने दिया था। हुड्डा ने भिवानी में अपने चहेते विधायक राव दान सिंह को टिकट दिलाया। भले ही राव दान सिंह चुनाव हार गए, लेकिन श्रुति चौधरी का टिकट कटवाकर हुड्डा यह संदेश देने में कामयाब रहे थे कि हरियाणा में वे जो चाहेंगे, वही होगा।
हुड्डा पर लग रहे आरोप
राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि आखिर हुड्डा अपने समानांतर नेताओं को राज्य में क्यों उभरने नहीं दे रहे हैं। इसे हुड्डा की कांग्रेस हाईकमान में मजबूत पकड़ के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में चार सीटें जीतवाने की सफलता से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पूर्व में हुड्डा से नाराज होकर राव इंद्रजीत सिंह, बीरेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई सरीखे नेता भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक के मुकाम हासिल कर चुके हैं।यह भी पढ़ें: Haryana Politics: 40 साल बाद आखिर क्यों हुआ कांग्रेस से मोहभंग? विधायक किरण चौधरी ने इस्तीफे में बताई ये बड़ी वजह
बीरेंद्र सिंह स्वयं केंद्रीय मंत्री बने और अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार से सांसद बनवाया। राव इंद्रजीत भाजपा की राजनीति में पूरी तरह से रच-बस चुके हैं और तीसरी बार केंद्रीय मंत्री बने हैं। बीरेंद्र हालांकि वापस कांग्रेस में लौट आए, लेकिन हुड्डा ने उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को भी हिसार से लोकसभा का टिकट नहीं लेने दिया है। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके डा. अशोक तंवर भी हुड्डा से टकराव के चलते कांग्रेस छोड़ने को मजबूर हुए थे, जो अब भाजपा की राजनीति कर रहे हैं।
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