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Haryana News: 'पुलिस हिरासत में दिए बयान से नहीं ठहराया जा सकता दोषी', HC ने दिए रिहाई के आदेश

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में दिए इकबालिया बयान के आधार पर दोषी न मानते हुए एक आरोपी को रिहा कर दिया। हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज जैन ने बताया कि पुलिस हिरासत में आरोपी द्वारा किए गए इकबाल ए जुर्म के आधार पर दोषी ठहराने के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता है। वहीं आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने पांच साल कैद की सजा सुनाई थी।

By Dayanand Sharma Edited By: Deepak Saxena Updated: Mon, 01 Jul 2024 04:03 PM (IST)
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हाई कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में दिए बयान पर कही ये बात (फाइल फोटो)।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने डकैती, चोरी की गई संपत्ति प्राप्त करने के लिए दोषी ठहराए गए आरोपित को रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में लिए गए इकबालिया बयान पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

जस्टिस पंकज जैन ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में आरोपी द्वारा दिए गए इकबालिया बयान पर अपीलकर्ता को दोषी ठहराने के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट फतेहाबाद निवासी नवदीप द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहरा कर पांच साल की कैद की सजा सुनाई।

कार की कथित लूट का मामला

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपित व्यक्ति बंदूक की नोक पर कार की कथित लूट में शामिल हैं, जिसमें अपीलकर्ता सहित चार आरोपी शामिल हैं। कुछ समय बाद कार को पकड़ लिया गया, जिसे सुधीर चला रहा था। कार बिना नंबर प्लेट की थी। सुधीर को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई। जांच के दौरान उसने नवदीप उर्फ छोटू का नाम लिया।

धारा 25 और 26 के प्रावधानों का दिया हवाला

अपीलकर्ताओं के वकील ने दावा किया कि ट्रायल कोर्ट ने सुधीर और नवदीप द्वारा कथित तौर पर किए गए न्यायेतर इकबालिया बयानों पर भरोसा करके खुद को पूरी तरह से गलत दिशा में ले जाया गया। उन्होंने दलील दी कि हालांकि अभियोजन पक्ष के अनुसार सुधीर से बरामदगी की गई, लेकिन पुलिस हिरासत में दिए गए खुलासे के बयानों के अलावा नवदीप की संलिप्तता को दर्शाने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, जो स्पष्ट रूप से साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 और 26 के प्रावधानों के अंतर्गत आते हैं।

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दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता जिसकी कार कथित रूप से लूटी गई थी, उसका आरोप यह है कि पिस्तौल की नोंक पर चार युवा लड़कों ने उसकी कार लूटी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या चार व्यक्तियों द्वारा की गई लूट 'डकैती' के दायरे में आती है।

जज ने डकैती को लेकर कही ये बात

जस्टिस जैन ने कहा कि संपत्ति यानी कार को चार व्यक्तियों द्वारा बंदूक की नोंक पर छीना जाना डकैतों के गिरोह का सदस्य नहीं कहा जा सकता। पांच या अधिक व्यक्तियों द्वारा एक साथ डकैती करना डकैती के दायरे में आती है। परिणामस्वरूप, हाई कोर्ट ने पाया कि धारा 412 आईपीसी के तहत अपीलकर्ताओं की सजा बरकरार रखी जा सकती है। उनकी सजा डकैती न मानकर चोरी के तहत दंडनीय अपराध में बदल जाता है।

कबूलनामे के अलावा नहीं मिला कोई सबूत

हाई कोर्ट ने इस सवाल पर विचार किया कि क्या पुलिस हिरासत में आरोपित द्वारा किए गए कबूलनामे पर भरोसा किया जा सकता है, क्योंकि नवदीप के संबंध में पुलिस हिरासत में दोनों आरोपितों द्वारा वर्तमान मामले में किए गए खुलासे के अलावा, उसके खिलाफ कोई अन्य सबूत नहीं है। हाई कोर्ट यह देखते हुए कि अपीलकर्ता-नवदीप ने भी तीन वर्ष की वास्तविक हिरासत अवधि पूरी कर ली है और इस लिए कोर्ट अब रिहा करने का आदेश जारी करता है।

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