पराली प्रबंधन के दावे अपार, फिर भी कम नहीं हो रही प्रदूषण की मार; रात में पराली जला रहे किसान; खतरनाक स्तर पर पहुंचा AQI
हरियाणा में पराली (धान के फसल अवशेष) प्रबंधन के दावे बढ़-चढ़कर किए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रदूषण की मार कम नहीं हो रही है। चोरी-छिपे चल रहे क्रशर अवैध खनन नियमों को ताक पर रखकर चल रहे निर्माण कार्यों धुआं उगलते उद्योगों और सड़कों पर दौड़ते खटारा वाहनों के चलते प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचा हुआ है। किसान रात में पराली (Stubble Burning in Haryana जला रहे हैं।
By Sudhir TanwarEdited By: Preeti GuptaUpdated: Thu, 09 Nov 2023 12:05 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा में पराली (धान के फसल अवशेष) प्रबंधन के दावे बढ़-चढ़कर किए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रदूषण की मार कम नहीं हो रही है।
पराली जलाने के मामलों में भले ही कमी आई हो, लेकिन चोरी-छिपे चल रहे क्रशर, अवैध खनन, नियमों को ताक पर रखकर चल रहे निर्माण कार्यों, धुआं उगलते उद्योगों और सड़कों पर दौड़ते खटारा वाहनों के चलते प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचा हुआ है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों की उड़ाई जा रही धज्जियां
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Haryana Pollution Control Board) के निर्देशों की अधिकतर स्थानों पर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।प्रदूषण रोकने में विफल रहे दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश भी खानापूर्ति साबित हुए हैं। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) को लेकर भी जिला स्तर पर सक्रियता नहीं दिखती।
प्रदूषण से NCR के जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
नतीजन जहरीली हुई हवा के चलते अस्पतालों में श्वांस, त्वचा और नेत्र विकार से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है।प्रदेश के अधिकतर शहरों में जहां बुरा हाल है, वहीं एनसीआर के जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर और जींद के बाद बुधवार को पानीपत में भी उपायुक्त ने स्कूलों में नौ से 13 नवंबर तक अवकाश घोषित कर दिया।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।