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Chandigarh News: न सख्ती काम आ रही और न जागरूकता, एक दिन में 127 जगहों पर जली पराली, फतेहाबाद में सबसे ज्यादा मामले

Stubble in Haryana हरियाणा में सरकार के लाख रोकने के बाद भी पराली जलाने के मामलों में कोई कमी नहीं हो रही है। पिछले साल से तीन गुना ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं। फतेहाबाद में सबसे ज्यादा 80 मामले सामने आए हैं। वहीं अंबाला और कुरुक्षेत्र पराली जलाने के मामले में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे हैं।

By Sudhir TanwarEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Sun, 15 Oct 2023 11:05 PM (IST)
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एक दिन में 127 जगहों पर जली पराली (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में पराली (धान के फसल अवशेष) जला रहे किसानों पर न कोई सख्ती काम कर रही है और न जागरूकता अभियान। चालान से बेखौफ किसान अगली फसल बोने की होड़ में धड़ल्ले से पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। रविवार को पराली जलाने के रिकार्ड 127 मामले सामने आए हैं।

प्रदेश में हरसेक की सेटेलाइट तस्वीरों में दिखाई देती खेतों में सुलगती आग कृषि विभाग के प्रबंधों की पोल खोल रही है। प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले अब तक तीन गुना पराली जलाई जा चुकी है। पिछले साल जहां 15 अक्टूबर तक 168 स्थानों पर पराली जलाई गई थी, वहीं इस बार 542 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आ चुके हैं। पराली जलाने में फतेहाबाद पहले स्थान पर पहुंच गया है।

यह स्थिति तब है जब पराली जलाने वाले किसानों पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। चालान से बेपरवाह किसानों का दावा है कि कृषि विभाग पराली निस्तारण के लिए बेलर और अन्य यंत्र देने का दावा जरूर करता है, लेकिन जब उनसे कृषि यंत्र मांगे जाते हैं तो उन्हें वेटिंग की लंबी सूची थमा दी जाती है। ऐसे में अगली फसल की बुआई के दबाव में किसान अपने स्तर पर पराली का प्रबंधन जरूर करता है, लेकिन बाकी बचे हुए अवशेषों को आग के हवाले करना मजबूरी है।

500 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन

प्रदेश सरकार ने खरीफ सीजन में प्रदेशभर में 37 लाख टन पराली प्रबंधन का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही एनसीआर को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के एनसीटी को कवर करते हुए फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए 300 करोड़ रुपये का प्राविधान किया है। उद्योगों में साढ़े 13 लाख टन पराली की खपत होने की संभावना है। रेड जोन के गांवों में पराली के शून्य जलन पर एक लाख, येलो जोन के गांवों को 50 हजार और गौशालाओं को सहायता के लिए गांठों हेतु परिवहन के तौर पर 500 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन देने का प्रविधान किया गया है।

फसल बुआई का समय शुरू आते ही पराली जलाने के मामलों ने पकड़ी रफ्तार

प्रदेश में एक महीने से ज्यादा समय से धान की कटाई चल रही है। शुरुआती दौर में पराली जलाने के मामले नाममात्र के थे, लेकिन जैसे ही अक्टूबर की शुरुआत हुई और किसान दूसरी फसलों की बुआई की तैयारी के लिए खेत में उतरे तो पराली जलाने के मामलों में तेजी आ गई। पिछले 10 दिन के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।

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