'शंभू बॉर्डर पर स्थिति न बिगड़ने दें पंजाब-हरियाणा', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोनों राज्य स्वतंत्र समिति के लिए सुझाएं नाम
Farmers Protest सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई की है। कोर्ट ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से संपर्क करने के लिए कमेटी गठित की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को शिकायतें करने का अधिकार है और वह सभी पक्षों को शामिल करते हुए बातचीत की एक सहज शुरुआत चाहता है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। Farmers Protest 2024: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे एमएसपी सहित अन्य मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से संपर्क करने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने कुछ तटस्थ व्यक्तियों के नाम सुझाएं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि किसी को भी स्थिति को बिगाड़ना नहीं चाहिए। शंभू बॉर्डर पर स्थिति को खराब न करें।
लोगों को शिकायतें करने का अधिकार: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को शिकायतें करने का अधिकार है और वह सभी पक्षों को शामिल करते हुए बातचीत की एक सहज शुरुआत चाहता है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक हफ्ते के भीतर अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड हटाने के लिए कहा गया था।
13 फरवरी से बॉर्डर पर किसानों का डेरा
बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि किसी को भी स्थिति को और बिगाड़ना नहीं है। किसानों की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं। वहीं एक राज्य के रूप में आप उन्हें समझाने की कोशिश करें कि जहां तक ट्रैक्टरों, जेसीबी मशीनों और अन्य कृषि उपकरणों का सवाल है। उन्हें उन जगहों पर ले जाएं जहां उनकी जरूरत है जैसे खेत या कृषि भूमि में।
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कोर्ट ने 24 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों से संपर्क करने और उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रतिष्ठित लोगों की एक स्वतंत्र समिति के गठन का प्रस्ताव रखा था। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, हरियाणा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने 24 जुलाई के अदालत के निर्देशानुसार इस पर काम शुरू कर दिया है।
हर बार दो राज्यों के बीच लड़ाई होना नहीं जरूरी: पीठ
पंजाब की ओर से पेश वकील ने चरणबद्ध तरीके से राजमार्ग खोलने का उल्लेख किया। पीठ ने कहा कि आप अपने प्रस्ताव का आदान-प्रदान क्यों नहीं करते? हर बार दो राज्यों के बीच लड़ाई होना जरूरी नहीं है। मेहता ने दलील दी कि कोई राज्य यह नहीं कह सकता कि किसानों को देश की राजधानी में जाने दिया जाए। उन्होंने कहा कि नोटिस जारी होने के बावजूद किसान हाई कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए।