SYL Canal Issue: करवाचौथ पर भी छाया SYL मुद्दा, पत्नियों ने पति से की ये खास मांग, बोली- तब तक नहीं खोलूंगी व्रत!
एसवाईएल का मुद्दा इस बार करवाचौथ पर भी देखने को मिला जहां पत्नियों ने अपने पति से मांग करते हुए कहा कि वो इस बार तो अपना व्रत इस जल से खोल ले रही हैं। लेकिन अगली बार वो एसवाईएल के पानी से ही अपना व्रत खोलेंगी। वहीं पतियों ने भी इस शपथ को लेकर कहा कि वो अपने हक के लिए लड़ेंगे और अपना हक लेकर ही रहेंगे।
By Jagran NewsEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Thu, 02 Nov 2023 06:11 PM (IST)
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। करवाचौथ पति पत्नियों के प्रेम का एक ऐसा त्योहार है जहां पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, पति अपनी पत्नियों को गिफ्ट देते हैं। लेकिन, हरियाणा में इस बार के करवाचौथ व्रत में महिलाओं ने एक बड़ी मांग कर दी है। उन्होंने एसवाईएल मुद्दे को लेकर कहा कि वो अगले साल के करवाचौथ का व्रत एसवाईएल के पानी से ही खोलेंगी।
SYL के लिए लड़ेंगे धर्मयुद्ध
महिलाओं ने अपने पति से मांग करते हुए कहा कि वो अपना अगला व्रत एसवाईएल के पानी से ही खोलेंगी। वहीं, उनके पति शपथ लेते हुए दिखाई दिए कि वो एसवाईएल मामले के लिए धर्मयुद्ध लड़ेंगे और उसी के पानी से अपनी अपनी पत्नियों का व्रत खुलवाएंगे। महिलाओं ने करवाचौथ में चंद्रपूजन के साथ ही अपने पतियों को शपथ दिलवाई, साथ ही एसवाईएल के पानी से ही व्रत खोलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि ये हमारा अधिकार है जो हमें मिलना चाहिए।
प्रेम, समपर्ण, विश्वास, संस्कार, रिश्तों में अपनत्व, पति-पत्नी के अटूट रिश्ते का पर्व है करवा चौथ
Politics at its peak! Women of Haryana are seen demanding SYL water till next year during their Karwa Chauth fast.#Punjab #Haryana #SYL #KarwaChauth pic.twitter.com/bnfEDwuUfZ
— Ishani K (@IshaniKrishnaa) November 2, 2023
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आखिर क्या है SYL नहर विवाद?
पंजाब से हरियाणा के गठन से कुल 10 साल पहले 1955 में रावी और ब्यास के पानी का आंकलन 15.85 मिलियन एकड़ फीट (MAF) किया गया गया। फिर सरकार ने इसी साल राजस्थान, पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच एक मीटिंग बुलाई थी। इस बैठक में राजस्थान को आठ, पंजाब को 7.20 व जम्मू कश्मीर को 0.65 मिलियन एकड़ फीट पानी आवंटित किया गया था।साल 1966 में पंजाब पुनर्गठन एक्ट के बाद से पंजाब और हरियाणा दो अलग-अलग राज्य बनाए गए। हरियाणा के गठन के बाद पंजाब के हिस्से में जो 7.2 MAF पानी था। अब इसे हरियाणा के साथ बांटा गया और 3.5 MAF का हिस्सा दिया गया। वहीं, पंजाब ने राइपेरियन सिद्धांतों (Riparian Water Rights) का हवाला देते हुए दोनों नदियों का पानी हरियाणा को देने से इनकार कर दिया।ये भी पढ़ें: 'हमारी योजना से एक करोड़ लोगों को मिला लाभ, पहले की सरकारों ने सिर्फ 420 की'; करनाल में शाह के सामने बरसे CM मनोहर
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