Haryana Election हरियाणा चुनाव में हिसार फतेहाबाद और सिरसा की सीटों पर दिलचस्प मुकाबले देखने को मिल रहे हैं। चौधरी देवीलाल और भजनलाल के वारिसों की प्रतिष्ठा दांव पर है। नशा जातीय समीकरण और विकास जैसे मुद्दे चुनावी मैदान में छाए हुए हैं। चौटाला परिवार के सदस्यों के बीच टक्कर और निर्दलीय उम्मीदवारों की मौजूदगी चुनाव को और भी रोमांचक बना रही है।
सुधीर तंवर, बागड़ बेल्ट (हरियाणा)। भिवानी और दादरी में मतदाताओं का मूड भांपने के बाद पहुंचे बागड़ बेल्ट के हिसार, फतेहाबाद और सिरसा। यहां पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के वारिस कड़े मुकाबलों में फंसे हैं। राजस्थान और पंजाब से लगते इस क्षेत्र में नशा सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि जातीय समीकरण भी पूरी तरह हावी हैं। डबवाली में चौटाला परिवार के चाचा-भतीजे और भाई आमने-सामने हैं तो रानियां में दादा-पोते में मुकाबला है।
इन दिग्गजों की राह आसान नहीं
फतेहाबाद में भजन परिवार के दूड़ा राम की चौटाला परिवार की बहू सुनैना चौटाला और पुराने प्रतिद्वंद्वी बलवान सिंह दौलतपुरिया से टक्कर है तो टोहाना में पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली भी कांटे के मुकाबले में फंसे हैं। हिसार में कार्यवाहक मंत्री डॉ. कमल गुप्ता, आदमपुर में भव्य बिश्नोई, नारनौंद में कैप्टन अभिमन्यु, उकलाना में पूर्व मंत्री अनूप धानक और बरवाला में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की राह आसान नहीं।
हिसार में दिख रहा दिलचस्प मुकाबला
हिसार में सात विधानसभा क्षेत्र हैं नारनौंद, हिसार, हांसी, आदमपुर, उकलाना, नलवा और बरवाला। अधिकतर स्थानों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला दिखा। भाजपा और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर हिसार में निर्दलीय मैदान में उतरी देश की सबसे अमीर महिला और पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।भाजपा प्रत्याशी डॉ. कमल गुप्ता और कांग्रेस के रामनिवास राड़ा के साथ उनकी टक्कर है, लेकिन भाजपा के ही बागी तरुण जैन जिस मजबूती के साथ चुनावी रण में डटे हैं, वह भाजपा को तगड़ा डेंट मार रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस में जिंदल परिवार के समर्थक जहां दोनों दलों के प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे।
वहीं एक तबके में नाराजगी मंत्री को भारी पड़ सकती है। निर्दलीय मैदान में उतरे पूर्व मेयर गौतम सरदाना को भी किसी चमत्कार की उम्मीद है, लेकिन असंतुष्ट तबका तरुण जैन के साथ खड़ा दिख रहा है।
आदमपुर में इस बार रोमांचक मुकाबला
चौधरी भजन लाल के अभेद्य गढ़ आदमपुर में इस बार मुकाबला रोमांचक है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री के पौत्र और कुलदीप बिश्नोई के बेटे पूर्व विधायक भव्य बिश्नोई के सामने कांग्रेस ने चंद्र प्रकाश को उतारा है, जो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। पिछले 56 वर्षों से इस सीट पर भजन परिवार का दबदबा है, जहां से भजनलाल के साथ ही उनकी पत्नी, बेटे, बहू और पोता विधायक बने हैं। आदमपुर मंडी में चुनावी चर्चा में मशगूल सोहन लाल और राजेंद्र सिंह कहते हैं भजन परिवार ने इस क्षेत्र में खूब काम कराए हैं, जिसका फायदा उन्हें मिलता रहा है। उनकी बात काटते हुए साथ बैठे रोशन लाल ने कहा कि बड़े चौधरी साहब के समय में बात और थी। अब स्थिति में काफी बदलाव आया है।
नारनौंद में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
जाट बाहुल्य नारनौंद में भाजपा के पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और कांग्रेस के युवा जसबीर सिंह उर्फ जस्सी पेटवाड़ में सीधी टक्कर है। जस्सी पेटवाल वही व्यक्ति है, जिसने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा पर गलत टिप्पणियां की थी, जिस कारण कांग्रेस में हुड्डा बनाम सैलजा की स्थिति पैदा हो गई। इनेलो के उमेद लोहान मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
सिरसा में चौटाला परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
चौटाला परिवार के गढ़ माने जाने वाले सिरसा में पांच विधानसभा क्षेत्र ऐलनाबाद, कालांवाली, सिरसा, रानियां और डबवाली हैं। रानियां में टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रणजीत सिंह चौटाला की अपने ही पोते इनेलो उम्मीदवार अर्जुन चौटाला से टक्कर है, जो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र हैं। यहां कांग्रेस के सर्वमित्र कंबोज और भाजपा के शीशपाल भी उन्हें तगड़ी चुनौती दे रहे।
रणजीत चौटाला को जजपा का भी साथ मिला है, जिसका उन्हें लाभ मिल सकता है, लेकिन सिंचाई पानी की कमी का मुद्दा उन पर भारी पड़ सकता है। डबवाली में चौटाला परिवार के ही कांग्रेस प्रत्याशी अमित सिहाग और ओपी चौटाला के भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला में मुकाबला है, जो भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर इनेलो के प्रत्याशी बने हैं।चौटाला परिवार के ही जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला और भाजपा के बलदेव सिंह मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं। दिग्विजय चौटाला की सादगी और अपनेपन का लाभ पार्टी को मिल सकता है। कालांवाली में कांग्रेस के शीशपाल केहरवाला को सत्ता विरोधी लहर का लाभ मिल रहा है, जिनकी भाजपा के राजेंद्र देसूजोधा से टक्कर है।
सिरसा में कांग्रेस प्रत्याशी गोकुल सेतिया और हलोपा के गोपाल कांडा में टक्कर है। गोपाल कांडा को जहां इनेलो-बसपा का समर्थन है, वहीं भाजपा भी उनके पक्ष में रोहताश जांगडा का नामांकन वापस ले चुकी है। पिछले विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा गोकुल सेतिया से केवल 602 वोटों से जीते थे। ऐसे में यहां ऊंट किस करवट बैठेगा, इसको लेकर सभी की निगाहें हैं।ऐलनाबाद में इनेलो के अभय सिंह चौटाला और कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल का सीधा मुकाबला है। यहां भाजपा के अमीरचंद मेहता मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं।
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फतेहाबाद की तीनों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में टक्कर
फतेहाबाद में तीन विधानसभा सीटें हैं फतेहाबाद, रतिया और टोहाना। तीनों ही सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है, जबकि इनेलो प्रत्याशी भी समीकरण बिगाड़ रहे हैं। रतिया में भाजपा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल और कांग्रेस के जरनैल सिंह में सीधा मुकाबला है।
फतेहाबाद में भजन लाल के भतीजे और भाजपा प्रत्याशी चौधरी दूड़ाराम को दोबारा विधानसभा पहुंचने के लिए कांग्रेस के बलवान सिंह दौलतपुरिया से निपटना होगा, जो उन्हें वर्ष 2014 में हरा चुके हैं। इनेलो ने चौटाला परिवार की सुनैना चौटाला को उतारकर दौलतपुरिया की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।टोहाना में पिछले चुनाव में जजपा के टिकट पर रिकॉर्ड मतों से जीते देवेंद्र बबली इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं, जिनका मुकाबला कांग्रेस के परमवीर से है। बबली को किसानों के साथ-साथ सरपंचों की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है। टोहाना में बस स्टैंड के नजदीक सामान खरीद रहे जरनैल सिंह और रोहित काका ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन के दौरान बबली कहां थे।
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