भ्रष्ट अधिकारियों के फोटो सचिवालय में लगाने के सुझाव के बाद अफसरों में बेचैनी, सीएम बोले- 'रिटायरमेंट के बाद भी रहे आत्मग्लानि'
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल की राय पर अधिकारियों में खलबली मची हुई है। दरअसल भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के फोटो सचिवालय में लगाने के सुझाव के बाद से अफसरों में बेचैनी बढ़ी हुई है। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि अभी ऐसा कोई इरादा नहीं है लेकिन रिटायर्ड अफसरों के फोटो लग भी जाएं तो कोई हर्ज नहीं है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जब से यह कहा कि भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के फोटो सचिवालयों में लगाए जाने चाहिए, तभी से राज्य की अफसरशाही में बेचैनी बढ़ी हुई है। प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री की इस सोच से काफी प्रभावित है और इंटरनेट मीडिया पर कह रही है कि यदि ऐसा हो जाए तो भ्रष्ट अधिकारियों को सुधरते हुए देर नहीं लगेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए यह स्पष्ट किया कि सचिवालयों में भ्रष्ट अधिकारियों की फोटो लगाने का प्राविधान कैसे हो सकता है।
बीते 9 सालों में भ्रष्टाचार में किया कड़ा प्रहार
चंडीगढ़ में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सीएम मनोहर लाल ने कहा कि पिछले नौ सालों में हमने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार किया है। अभी पूरी तरह से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ, लेकिन काफी हद तक कम हो गया है।
भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार अपने सिस्टम से काम कर रही है। पंचकूला में भ्रष्टाचार विरोधी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का हवाला देते हुए मनोहर लाल ने कहा कि मैने वहां अपनी निजी राय जाहिर की थी। अभी तुरंत ऐसा कोई इरादा नहीं है कि भ्रष्ट अधिकारियों के फोटो सचिवालयों में लगाए जाएं, लेकिन अगर लगे भी तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
भ्रष्ट अधिकारी रिटायर के बाद रहे आत्मग्लानि का शिकार
मुख्यमंत्री से जब यह पूछा गया कि यह कैसे संभव है तो उन्होंने बताया कि सबसे पहले भ्रष्ट अधिकारी पर दोष साबित होना जरूरी है। दोष साबित होने के बाद वह सरकारी सेवा में नहीं रहेगा। ऐसे में उसकी पहचान उजागर की जा सकती है। दूसरा रास्ता यह है कि जब कोई भ्रष्ट अधिकारी रिटायर होकर समाज और परिवार में जाए तो उसकी फोटो सचिवालयों में लगे, जिससे वह पूरे समय आत्मग्लानि का शिकार रहे।
गलत काम करने वाला हमेशा डरा रहता है
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि गलत काम करने वाला हमेशा डरा रहता है। उसमें सुधार सिर्फ अपने स्वयं के संस्कारों से आ सकता है। अंतर आत्मा की आवाज सुनकर ऐसा व्यक्ति अपने में सुधार कर सकता है और तीसरी व्यवस्था समाज में लोक लाज की है। अधिकारियों को अपने संस्कार, आत्मा की आवाज और भविष्य में लोक लाज के डर की चिंता करते हुए कार्यप्रणाली में सुधार तथा बदलाव करना चाहिए। अधिकारी शपथ लेकर तथा समाज के हित में काम करने की शपथ लेकर सेवा में आते हैं।। यदि वह इस पर खरे नहीं उतरते तो वे अपनी नौकरी के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं।