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Haryana News: सरकारी स्कूलों में फर्जी एडमिशन पर CBI ने दर्ज की एफआईआर, SIT जांच के बाद भी नहीं खुल पाईं घोटाले की परतें

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में दाखिले के नाम पर फर्जीवाड़े में सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है। हालांकि इस मामले में अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि ये पूरा घोटाला कितने करोड़ का है। वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में शुरू हुआ दाखिलों में फर्जीवाड़ा सत्ता परिवर्तन के बाद भी वर्ष 2016 तक जारी रहा।

By Sudhir Tanwar Edited By: Deepak Saxena Published: Sat, 29 Jun 2024 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2024 08:22 PM (IST)
सरकारी स्कूलों में फर्जी एडमिशन पर CBI ने दर्ज की एफआईआर (फाइल फोटो)।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में दाखिले के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में भले ही सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया हो, लेकिन इस केस की कई स्तर पर जांच के बावजूद आज तक यह साफ नहीं हुआ है कि यह पूरा घोटाला कितने करोड़ का है। सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद शिक्षा विभाग तथा हरियाणा सरकार में आज दिन भर इस घोटाले को लेकर चर्चाएं होती रही।

वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में शुरू हुआ दाखिलों में फर्जीवाड़ा सत्ता परिवर्तन के बाद भी वर्ष 2016 तक जारी रहा। अक्टूबर 2014 में भाजपा की सरकार आने के बाद जून 2015 में शिक्षा विभाग ने 719 गेस्ट टीचरों को हटाने का नोटिस जारी किया था। इसके विरोध में गेस्ट टीचर हाई कोर्ट पहुंच गए। हाई कोर्ट ने 6 जुलाई 2015 को याचिका खारिज कर दी तो सितंबर 2015 में मामला डबल बेंच में पहुंच गया। फिर सरकार को नोटिस जारी हुआ। वहां जवाब में सरकार ने बताया कि सरकारी स्कूलों में छात्र घट गए हैं।

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22 लाख बच्चों में चार लाख बच्चों के दाखिले फर्जी

कोर्ट ने रिकॉर्ड मांगा तो सामने आया कि 22 लाख बच्चों में चार लाख बच्चों के दाखिले फर्जी हैं। कोर्ट ने सरकारी धन की हेराफेरी की आशंका जताते हुए जांच कराने को कहा, जो उस वक्त नहीं कराई गई। कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को बुलाया। ब्लाक व जिला स्तर पर जांच हुई, कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ तो मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई।

जांच के बाद दर्ज की गई सात एफआईआर

गुरुग्राम विजिलेंस के एसपी हामिद अख्तर, विजिलेंस ब्यूरो पंचकूला मुख्यालय की आईजी चारू बाली ने जांच की। फिर इस मामले में एक एसआईटी का गठन किया गया। जांच के बाद मार्च-अप्रैल 2018 में 7 एफआईआर भी दर्ज की गई। मार्च 2019 में नए सिरे से एसआइटी बनाने की अनुमति मांगी गई। फिर 200 विजिलेंस कर्मियों ने 12 हजार 924 स्कूलों में प्रोफार्मा के जरिये डेटा मिलान किया। करनाल, पानीपत व जींद में 50 हजार 687 बच्चे नहीं मिले।

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