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हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान में दूसरी सीट के लिए बस तीन वोट का 'गेम'

Rajya Sabha Election 2022 हरियाणा में राज्‍यसभा की दो सीटों के चुनाव के लिए आज मतदान होगा। विधायकों के संख्‍या बल के हिसाब से एक सीट भाजपा और एक सीट कांग्रेस के हिस्‍से मेंेजाएगी। लेकिन दूसरी सीट के लिए पेंच फंसा हुआ है और तीन वोटों का गेम है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2022 08:37 AM (IST)
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हरियाणा में राज्‍यसभाा चुनाव के लिए आज मतदान होगा। (फाइल फोटो )

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Rajya Sabha Election 2022: हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए आज होने वाले चुनाव में जबरदस्त 'खेला' होने की संभावना है। एक सीट पर भाजपा के कृष्णलाल पंवार की जीत तय है, जबकि दूसरी सीट पर कांग्रेस के अजय माकन के पास पर्याप्त विधायक (वोट) होने के बावजूद खेल होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस के अजय माकन को जीत के लिये चाहिये 30 वोट, कांग्रेस के पास कुलदीप बिश्नोई समेत 31 वोट का आंकड़ा

कांग्रेस के विधायकों की संख्या 31 है और अजय मकान को जीत हासिल करने के लिए 30 वोट चाहिए। भाजपा-जजपा व निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के पास खुले रूप से 27 विधायक हैं। अजय मकान को परास्त करने के लिये उन्हें सिर्फ तीन वोट चाहिए, जिसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कार्तिकेय के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा जबरदस्त तरीके से प्रयासों में जुटे हुए हैं।

विधायकों के संख्या बल के हिसाब से यदि कोई खेला नहीं होता तो कांग्रेस के अजय माकन की जीत तय है और अगर खेला हो गया तो कार्तिकेय की किस्मत जोर मार सकती है। उनके पिता विनोद शर्मा के बड़े लंबे और गहरे राजनीतिक कनैक्शन हैं। विनोद शर्मा ने पंजाब से अपनी राजनीति शुरू की थी।

जिस तरह से भाजपा व जजपा के लोगों ने अजय माकन को कई दिनों तक बाहरी उम्मीदवार कहा, उसी तरह कांग्रेसियों ने भी विनोद शर्मा को बाहरी कहकर पेश करने की कोशिश की, लेकिन उनका यह दांव इसलिये नहीं चल पाया, क्योंकि विनोद शर्मा और भूपेंद्र हुड्डा गहरे दोस्त रहे हैं।

कार्तिकेय शर्मा के पास 27 विधायकों का खुला समर्थन, कुंडू व कुलदीप की वोट पलट देगी सारी बाजी

हुड्डा की सरकार में विनोद शर्मा आबकारी एवं कराधान मंत्री के रूप में पावरफुल मंत्री रहे हैं। उन्हें तो सुपर सीएम तक भी कहा गया, लेकिन बाद में हुड्डा व शर्मा की दोस्ती में दरार पड़ गई। हालांकि राजनीति के जानकार लोगों ने इस दरार के बावजूद हुड्डा व शर्मा को उनके मिलने के स्थानों पर एक साथ कई बार देखा है।

राज्यसभा का जिस तरह से चुनाव फंसा हुआ है, उसे लेकर हुड्डा व शर्मा ने अपने पिछले तमाम याराने ताक पर रख दिए हैं। अजय माकन की जीत हुड्डा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है, जबकि कार्तिकेय शर्मा जीत गए तो यह मुख्यमंत्री मनोहर लाल के लिये कृष्णलाल पंवार की जीत का बोनस होगा।

हरियाणा में विधायकों की संख्या 90 है। इनमें भाजपा के 40, कांग्रेस के 31, जजपा के 10 और निर्दलीय सात विधायक हैं। एक विधायक गोपाल कांडा हलोपा से और एक विधायक अभय चौटाला इनेलो के हैं। पहली सीट पर भाजपा उम्मीदवार कृष्णलाल पंवार को जीत हासिल करने के लिए 31 विधायकों की जरूरत है। भाजपा के 40 विधायकों में से 31 की वोट पोल होने के बाद उसके पास नौ विधायक बचेंगे।

दूसरी सीट पर किसी भी उम्मीदवार यानी अजय माकन और कार्तिकेय शर्मा को 30 वोट चाहियें। कांग्रेस के पास 31 और कार्तिकेय के पास 27 वोट हैं। कांग्रेस के 31 वोटों में एक कुलदीप बिश्नोई ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वैसे तो कुलदीप छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भरोसा दिला चुके हैं कि वह कांग्रेस को वोट देंगे, क्योंकि नाराजगी अपनी जगह है और पार्टी अपनी जगह।

इसके बावजूद यदि कुलदीप वोट भी न दें तो कांग्रेस के पास 30 वोट रह जाएंगी और कार्तिकेय की वोट बढ़कर 28 हो सकती हैं। कार्तिकेय के पास भाजपा के बचे हुए नौ, जजपा के 10, निर्दलीय सात में से छह, एक हलोपा व एक इनेलो विधायक का वोट है। इनकी संख्या 27 बनती है।

क से कुंडू और क से कुलदीप

निर्दलीय बलराज कुंडू ने भी कुलदीप की तरह अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उनका वोट रूपी समर्थन हासिल करने के लिए विनोद शर्मा खुद चलकर कुंडू के पास गए हैं, जबकि कुंडू पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी दिल से आदर करते हैं। ऐसे में पूरा गणित कुलदीप व कुंडू की ना-नुकूर पर आकर अटका हुआ है।

इन दोनों विधायकों के वोट यदि कार्तिकेय लेने में कामयाब हो जाते हैं, तब भी उनका गणित अनुकूल नहीं बैठ रहा है। गणित को अपने हक में करने के लिए उन्हें कांग्रेस के एक विधायक को और तोड़ना होगा, जो कि कांग्रेस किसी सूरत में नहीं होने देना चाहेगी।

रियल एस्टेट के कारोबारी विधायक पर निगाह

सभी विधायकों को लोटे में नमक डालकर शपथ दिलाई गई है। वैसे भी यह वही कांग्रेस विधायक हैं, जिन्हें हुड्डा ने अपने सबसे करीब मानते हुए उन्हें हमेशा मान सम्मान दिया है। अब अगर इसका ऋण चुकाने की बारी आई तो जाहिर है कि कोई खोट नहीं करेगा। ऐसे में मुकाबला बेहद दिलचस्प बन गया है।

वैसे भाजपा की निगाह कांग्रेस के एक उस विधायक पर है, जिसके बेटे की रियल एस्टेट की कंपनी का लाइसेंस रद हो चुका है और उसे बहाल कराने के लिए विधायक रायपुर जाने से पहले लगातार सरकार के संपर्क में रहा है। ़