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Haryana Election 2024: सात राजनीतिक क्षेत्रों से गुजरता है सत्ता का रास्ता, समझें इन इलाकों का सियासी गणित

Haryana Assembly Election 2024 हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां पूरे दमखम से लगी हैं। हरियाणा में सत्ता पाने का रास्ता इन सात क्षेत्रों से गुजरता है। हरियाणा कई हिस्सों में बंटा है जिनमें अहीरवाल बांगर-बागड़ जीटी रोड बेल्ट बांगर बागड़ इत्यादि बेल्ट शामिल हैं। पढ़िए कौन से नेता इन क्षेत्रों में प्रभाव रखते हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 17 Sep 2024 07:33 AM (IST)
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तीन प्रमुख बेल्ट के रूप में होती है हरियाणा की पहचान (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। बोली, रहन-सहन, खान-पान और अलग-अलग राजनीतिक मिजाज के हिसाब से हरियाणा कई हिस्सों में बंटा है। भौगोलिक दृष्टि से 22 जिलों वाले हरियाणा की पहचान तीन प्रमुख बेल्ट के रूप में होती है। पहली अहीरवाल बेल्ट, दूसरी बांगर-बागड़ और तीसरी जीटी रोड बेल्ट।

इन सभी बेल्ट का राजनीतिक मिजाज एक-दूसरे से जुदा है। पिछले 10 सालों में भाजपा सरकार को जीटी रोड बेल्ट सत्ता में लेकर आई तो अहीरवाल बेल्ट का इसमें बड़ा योगदान रहा। इन तीन प्रमुख बेल्टों के अलावा चार और छोटी-छोटी बेल्ट हैं, जिनका राजनीति में अपना असर रहता है।

आइये जानते हैं, राज्य की बांगर, बागड़, खादर-नरदक, देसवाली (जाट बाहुल्य), अहीरवाल, मेवाती और दक्षिण हरियाणा की बेल्ट के बारे में। मुद्दे क्या हैं, किस तरह की राजनीति यहां रहती है।

अहीरवाल: महेंद्रगढ़-नारनौल और रेवाड़ी

राजस्थान के साथ लगते अहीरवाल में पानी बड़ा मुद्दा है। पीने के पानी की कमी के अलावा यहां पर खेतों की नहरी पानी से सिंचाई नहीं हो पा रही है, जिससे जमीन बंजर है। भाजपा ने मनोहर लाल के कार्यकाल में नहरों तक पानी पहुंचाया है, लेकिन अभी जरूरत पूरी नहीं हुई है।

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का अहीरवाल में बड़ा नाम है। पिछले चार बार से वह लगातार सांसद हैं। इनके अलावा, यहां कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा, राव दान सिंह और राव नरबीर के साथ अभय सिंह यादव का प्रभाव भी रहता है।

दक्षिण हरियाणा: फरीदाबाद, पलवल के साथ गुरुग्राम

उप्र के साथ लगने से बृज भाषा का असर है। गुरुग्राम और फरीदाबाद दिल्ली से सटे हैं। नए उद्योगों या निवेश में कोई कमी नहीं है। अपराध व पानी की कमी बड़े मुद्दे हैं। गुरुग्राम में जलभराव की समस्या है।

केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल, पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना का यहां पर दबदबा है। साथ ही कर्ण सिंह दलाल भी बड़ा चेहरा हैं।

मेवात: नूंह व आसपास का मुस्लिम बाहुल्य इलाका

यहां पर अधिकतर मुस्लिम नेताओं का ही प्रभाव है। यहां पर शिक्षा का स्तर भी कम है। दिल्ली के नजदीक होने और एनसीआर में होने के बावजूद यहां पर विकास नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़कों के साथ साथ बढ़ता अपराध यहां के मुद्दे हैं।

इसके अलावा, बेरोजगारी और कोई नया उद्योग नहीं लगना भी मुद्दे हैं। यहां से तीनों विधायक कांग्रेस के हैं। नेताओं की बात करें कांग्रेस के आफताब अहमद और भाजपा नेता जाकिर हुसैन का यहां पर प्रभाव है।

देसवाली: रोहतक, सोनीपत, झज्जर, पानीपत

यह बेल्ट जाट बाहुल्य है। यहां की खड़ी बोली है। राजनीतिक रूप काफी मजबूत है। यहां चौधर का नारा चलता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा का दबदबा है। वह इसी चौधर के नारे के दम पर दो बार सीएम भी रहे।

हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते इस क्षेत्र ने काफी तरक्की की। आईएमटी से यहां पर रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। इनके अलावा, कैप्टन अभिमन्यू, मनीष ग्रोवर व ओमप्रकाश धनखड़ का खासा प्रभाव है।

खादर-नरदक: उत्तरी हरियाणा के करनाल, कुरुक्षेत्र अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला की भागीदारी

यहां की धरती उपजाऊ है। लोगों की बोली मीठी है। हर साल यमुना नदी, टांगरी और मारकंडा नदी में बाढ़ से लोग परेशान हैं। हर साल नदियों के साथ लगती फसलें खराब होती हैं और आसपास के गांव व कस्बे प्रभावित होते हैं। यहां कभी भी चौधर और क्षेत्र में सत्ता का नारा नहीं रहा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करनाल से चुनाव जीते हैं।

बागड़: हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, सिरसा व फतेहाबाद जिले शामिल

राजस्थान और पंजाब से सटे होने के चलते यहां पर बागड़ी और पंजाबी दोनों ही भाषाएं बोली जाती हैं। इस क्षेत्र में नशा सबसे बड़ा मुद्दा है। ओवरडोज से युवाओं की जान जा रही है। यहां चौधरी ओमप्रकाश चौटाला, चौधरी बंसीलाल और भजनलाल परिवारों का दबदबा रहा है।

भजनलाल परिवार से कुलदीप बिश्नोई, बंसीलाल परिवार से किरण चौधरी और चौटाला परिवार से अजय सिंह और अभय चौटाला के साथ दुष्यंत चौटाला उनकी राजनीतिक विरासत संभाले हुए हैं। राजनीतिक दृष्टि से यह बेल्ट प्रदेश की सबसे मजबूत रही है और ताऊ देवीलाल समेत इस धरती ने चार मुख्यमंत्री दिए हैं।

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बांगर: जींद और कैथल

उचाना को बांगर की राजधानी कहा जाता है। अक्खड़पन और बेबाकी के लिए यह धरती जानी जाती है। अधिकतर सरकारों में बांगर की हिस्सेदारी रही, लेकिन विकास की कमी है। यहां से कोई नेता प्रदेश का मुखिया नहीं बन सका।

सिर्फ ओमप्रकाश चौटाला नरवाना से विधायक होते हुए सीएम बने थे, लेकिन उनका मुख्य क्षेत्र सिरसा रहा है। बीरेंद्र सिंह और रणदीप सुरजेवाला इस क्षेत्र के दो बड़े चेहरे हैं, लेकिन प्रदेश का मुखिया नहीं बन सके हैं।

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