भाईदूज पर भाई के माथे पर टीका क्यों लगाती हैं बहन? क्या है इसका महत्व, इस शुभ मुहूर्त में हर्षोल्लास से मना त्योहार
भाई दूज के पावन पर्व पर बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना की। इस खास मौके पर भाई-बहनों ने एक-दूसरे को उपहार देकर अपने प्यार का इजहार किया। आचार्य पंडित कैलाश ने बताया कि भैयादूज का पर्व हर साल दीवाली के तीसरे दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज के महत्व और परंपराओं के बारे में।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर। भाई-बहन के स्नेह का पवित्र त्योहार भैया दूज रविवार को जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने शुभ मुहूर्त में अपने भाई के माथे पर तिलक कर उसकी लंबी आयु के साथ जीवन में सुख-शांति की कामना की। भाइयों ने भी अपनी बहन को प्रेम स्वरूप उपहार भेंट किए।
बहुत से भाई-बहन व्यस्तता व अन्य कारणों से एक दूसरे के पास नहीं पहुंच पाए, लेकिन उन्होंने भी मोबाइल पर वीडियो काल कर एक-दूसरे को बधाई दी।
आचार्य पंडित कैलाश ने बताया कि भैयादूज का पर्व हर साल दीवाली के तीसरे दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना के साथ माथे पर तिलक किया। सुखी जीवन की कामना की।
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है भाई दूज
दीपावली पर्व के अंतिम दिन भैया दूज का पर्व मनाया गया। यह त्योहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इसके लिए भाई अपनी बहन को जीवन में सदैव रक्षा करने का वचन देता है।
नन्हे-मुन्ने भाई वियांस को बहन राध्या व दिया ने तिलक लगाकर उनके लम्बी उम्र की कामना की तथा भाई ने दोनों बहनों को उपहार देकर पर्व मनाया। इस अवसर पर स्वजन अजय सिंगला, शीला सिंगला, विकास सिंगला व स्नेहा सिंगला भी मौजूद रहे।
बहन ने भाई की लंबी आयु की कामना की
भैया दूज के इस पावन अवसर पर दक्षिण काली नवदुर्गा मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर में भाई-बहन के इस विशेष रिश्ते को और प्रगाढ़ बनाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना, हवन और आरती का आयोजन किया गया।
बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक कर, आरती उतारकर उनकी लंबी उम्र और सफलता की कामना की। भाइयों ने भी अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति स्नेह और सम्मान प्रकट किया।मंदिर की प्रबंधक उर्मिला सैनी ने कहा कि काली देवी मंदिर सदैव श्रद्धालुओं के लिए ऐसे आयोजनों का केंद्र रहा है।
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