महिला आरक्षण से हरियाणा में क्या बदलेगा? लोकसभा और विधानसभा में बढ़ जाएंगी इतनी सीटें, जान लें बड़ी बातें
Women Reservation Bill हरियाणा में महिलाओं को पंचायतों में पहले ही 50 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है। लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन वर्ष 2026 में होना है। वर्तमान में हरियाणा में लोकसभा की 10 और विधानसभा की 90 सीटें हैं। परिसीमन में आबादी के अनुसार लोकसभा की तीन सीटें बढ़ती हैं तो कुल 13 लोकसभा सीटें हो जाएंगी जिनमें चार महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
चंडीगढ़, सुधीर तंवर। Women Reservation Bill Impact In Haryana संसद और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल-2023 पेश कर दिया है। यह बिल पारित होते ही हरियाणा विधानसभा में 30 और लोकसभा की तीन सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। चूंकि परिसीमन के बाद ही नया कानून लागू होगा, ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिलना मुश्किल है।
हरियाणा में महिलाओं को पंचायतों में पहले ही 50 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है। लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन वर्ष 2026 में होना है। वर्तमान में हरियाणा में लोकसभा की 10 और विधानसभा की 90 सीटें हैं। परिसीमन में आबादी के अनुसार लोकसभा की तीन सीटें बढ़ती हैं तो कुल 13 लोकसभा सीटें हो जाएंगी जिनमें चार महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इस स्थिति में विधानसभा में सीटें बढ़कर 117 हो जाएंगी जिनमें 39 सीटें महिलाओं की होंगी।
राजनीति की दशा और दिशा बदलना भी तय
परिसीमन में लोकसभा (Lok Sabha Seats In Haryana) की चार सीटें बढ़ती हैं तो लोकसभा की 14 सीटें हो जाएंगी जिनमें पांच सीटें महिलाओं की होंगी। इसी तरह विधानसभा में 126 विधायक होंगे जिनमें से 42 महिला विधायक होंगी। लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की संख्या बढ़ने से राजनीति की दशा और दिशा बदलना भी तय है। स्वर्गीय सुषमा स्वराज, सुचेता कृपलानी, चंद्रावती के साथ ही कुमारी सैलजा ऐसे बड़े नाम हैं जो हरियाणा की राजनीतिक पृष्ठभूमि से निकलकर राजनीति के बड़े मुकाम तक पहुंची।
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45 वर्षों में सिर्फ छह महिलाएं पहुंची संसद
देश की सबसे बड़ी पंचायत कही जाने वाली संसद में पिछले 45 वर्षों में केवल छह महिलाएं ही लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार कर पाई हैं। वह भी पारिवारिक सियासी रसूख और राष्ट्रीय दलों के टिकट के बल पर। निर्दलीय कोई महिला आज तक हरियाणा से संसद का मुंह नहीं देख पाई।
कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा (BJP) की सुधा यादव और सुनीत दुग्गल और इनेलो की कैलाशो सैनी ही हरियाणा गठन के बाद लोकसभा में पहुंच पाईं हैं। इस दौरान प्रदेश से चुने गए 161 सांसदों में (जब यह पंजाब का हिस्सा था, तब से) महिलाओं को केवल नौ बार ही चुना गया।
करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत ने आज तक एक बार भी किसी महिला को संसद में नहीं भेजा है। सबसे ज्यादा तीन बार कांग्रेस की कुमारी सैलजा संसद पहुंचीं। वह दो बार अंबाला और एक बार सिरसा आरक्षित सीट पर चुनी गईं। इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के टिकट पर कैलाशो सैनी दो बार कुरुक्षेत्र से जीतीं तो पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पौत्री श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ और भाजपा की सुधा यादव महेंद्रगढ़ से एक-एक बार लोकसभा पहुंचने में सफल रहीं। भाजपा की सुनीता दुग्गल वर्तमान में सिरसा से सांसद हैं।
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