Mahatma Gandhi Death Day 2021: बापू से 5 मिनट की मुलाकात ने बदल दी हरियाणा की 16 साल की लड़की की जिंदगी
Mahatma Gandhi Death Day 2021 हरियाणा की एक 16 साल की लड़की को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से महज पांच मिनट का मौका मिला। इस छोटी से मुलाकात ने तारा बहल की विचारधारा और जिंदगी बदल डाली। आज 96 साल की उम्र में भी वह गांधीवाद की राह चल रही हैं।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 30 Jan 2021 07:07 AM (IST)
यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। Mahatma Gandhi Death Day 2021: बात बहुत पुरानी है, लेकिन उसका असर और रंग आज भी बरकरार है। हरियाणा की 16 साल की एक लड़की को महज पांच मिनट के लिए महात्मा गांधी से मिलने का मौका मिला। इस छोटी सी मुलाकात ने तारा बहल नाम की इस लड़की की विचारधारा और जिंदगी बदल डाली। तारा बहल आज 96 साल की हैं, लेकिन बापू की विचारधारा से आज भी लोगों खासकर महिलाओं की जिंदगी बदल रही हैंं।
1946 से कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट चला रही हैं, डिप्टी डेवलेपमेंट कमिश्नर के पद से हुईं सेवानिवृत्ततारा बहल यमुनानगर जिले के रादौर में स्थित कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की संचालिका हैं। उम्र 96 वर्ष है, लेकिन वह दिन आज भी याद है जब मात्र 16 वर्ष की आयु में नागपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मिलीं। वह कहती हैं, पांच मिनट की यह मुलाकात उनके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ गई। वह दिन उनके जीवन का सबसे अहम दिन है।
रादौर स्थित कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट।
तारा बहल अपने भाई स्वतंत्रता सेनानी डा. बैजनाथ के साथ महात्मा गांधी उनसे मिलने गई थीं। 103 वर्षीय बैजनाथ इन दिनों अमृतसर में रह रहे हैं। देश को आजाद कराने में हुए आंदोलनों में वह महात्मा गांधी के साथ रहे। मूलरूप से तारा बहल छत्तीसगढ़ के जिला बलोद के दुर्ग की रहनेवाली हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा नागपुर में ग्रहण की।
इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीएसई व लाहौर से भी उच्च शिक्षा ली। तारा बहल ने 1947 में पंजाब के कपूरथला के हिंदू पुत्री पाठशाला में पढ़ाना शुरू किया। वह 1982 में पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग से डिप्टी डेवलेपमेंट कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त हुईं।
महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भरतारा बहल1946 से रादौर के कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की संचालिका हैं। यहां रहकर वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व महिलाओं को सिलाई कढाई का प्रशिक्षण दिला रही हैं और इसके साथ ही अहिंसा व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अन्य विचारों का भी प्रचार-प्रसार करने में जुटी हुई हैं। इस ट्रस्ट के माध्यम से पहले चरखा कताई और अब सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर युवतियों व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की परंपरा को कायम रखे हुए हैं। आश्रम बनने के समय रादौर हरियाणा नहीं, बल्कि पंजाब प्रांत था। अब भी यह आश्रम हरियाणा-पंजाब का ट्रस्ट का हेडक्वार्टर है। इस आश्रम की पहली संचालिका जवाहर लाल नेहरू की चाची रामेश्वरी नेहरू थीं।
राष्ट्रपिता से मुलाकात ताउम्र रखेंगी यादतारा बहल ने विशेष बातचीत के दौरान बताया कि बड़े भाई डा. बैजनाथ ने उनको राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से नागपुर में मिलवाया था। वह जिले की एकमात्र ऐसी महिला हैं, जिनको 16 वर्ष की उम्र में यह सुअवसर मिला। उन्होंने गांधी से आशीर्वाद लिया। तारा बहल बताती हैं कि उन क्षणों को वह ताउम्र याद रखेंगी। वह क्षण उनके लिए जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षण थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मिलने के बाद उनकी विचारधारा में परिवर्तन आया और वह बापू की अहिंसा व अन्य विचारधाराओं को समाज के जन-जन तक पहुंचाने में लग गईं।
राष्ट्रपिता की अनोखी तस्वीरें हैं आश्रम के संग्रहालय में
आश्रम में महात्मा गांधी के चरखे से लेकर उनकी जुटाई गईं वास्तविक 100 तस्वीरों का संग्राहलय भी है। ये सौ तस्वीरें महात्मा गांधी के जीवन व उनके संघर्षों को याद दिलाती हैं। आश्रम उनके अहिंसा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहा है। विशेष अवसरों पर यहां अन्य प्रदेशों से भी लोग आते हैं। इस संग्राहलय को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं।
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