पानीपत में कुत्ते के लिए अजब-गजब विवाद, ब्लाइंड मर्डर होने पर थाने भेजता ये डाक
पानीपत में कुत्ते को लेकर अजीबोगरीब विवाद सामने आया है। कुत्ते के विवाद में पुलिसकर्मी रंजिश रखने लगा। इसके बाद ब्लाइंड में डाक भेजकर परिवार को परेशान करता रहा। कोर्ट के आदेश पर किला थाना पुलिस ने पुलिसकर्मी सहित चार पर केस दर्ज किया।
By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Tue, 23 Feb 2021 04:28 PM (IST)
पानीपत, जेएनएन। पानीपत के बबैल रोड स्थित शिव नगर के दो भाइयों में जमीनी विवाद चल रहा है। इनमें से एक भाई के साथ कुत्ते को लेकर पुलिसकर्मी का झगड़ा हो गया। इसी रंजिश में पुलिसकर्मी कहीं भी ब्लाइंड मर्डर होने पर संबंक्षित क्षेत्र के थाने में नाम व पता लिखकर डाक भेजकर परेशान करने लगा।
सीआइए की बार-बार दबिश से परेशान युवक ने छह महीने तक घर भी छोडऩा पड़ा। एक वकील की बेटी के सहयोग से पीडि़त ने आरोपितों के खिलाफ मोर्चा खोला। जांच की गई तो मामले की पोल खुली। कोर्ट के आदेश पर किला थाना पुलिस ने पुलिसकर्मी सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।शिव नगर के अशोक कुमार ने पुलिस को शिकायत दी कि उनकी करनाल के रायसन गांव में खेती की जमीन और पानीपत में प्लाट है। इसको लेकर भाई कृष्णलाल से विवाद चल रहा है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। करीब एक साल पहले कुत्ते को लेकर उनका पड़ोसी राजबीर से झगड़ा हो गया था। राजबीर मधुबन में पुलिस विभाग में अकाउंटेंट है। इसके बाद राजबीर ने मारपीट की और जिसकी पुलिस में शिकायत की थी।
इस घटना के बाद राजबीर उनके भाई के साथ मिलकर तंग करने लगा। पानीपत और आसपास क्षेत्र में ब्लाइंड मर्डर होने पर आरोपित उनका, बेटे और पत्नी का नाम, पता व मोबाइल नंबर लिखकर संबंधित थाने में डाक भेजते थे। डाक में उन पर उस मर्डर का आरोप लगाया जाता था। डाक भेजने वाले का नाम और पता गलत लिखा जाता था। पुलिस उनके घर दबिश देती थी।इन थानों में झूठी शिकायत भेजी
अशोक ने बताया कि कुरुक्षेत्र, समालखा, रेवाड़ी के खोल, कैथल के सिविल लाइन और सिरसा के चोपटा थाने की पुलिस हत्या के मामले में कई बार घर पहुंची। पुलिस को उस मामले में शामिल न होने के सभी सुबूत पुलिस को दिखाता तो पुलिस वापस चली जाती। कई बार थाने भी ले जाया गया। ऐसा करीब हत्या के पांच केस में हुआ है
पांच बार डीजीपी के सामने पेश हुआपीडि़त अशोक ने बताया कि वे बार-बार शिकायत से तंग आ चुका था। वे पांच बार डीजीपी के सामने भी पेशा हुआ। इसके बाद राजबीर का मधुबन कार्यालय से तबादला भी हुआ। एडवोकेट अशोक कुमार की एडवोकेट बेटी शालू शर्मा ने सहयोग किया। करीब नौ महीने तक सुबूत जुटाए और तब जाकर आरोपित राजबीर, रजनी, कृष्ण लाल और पंकज केस दर्ज हुआ।
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