अटल यादें: पानीपत की सभा में वाजपेयी जी ने कहा- क्या चिमन की मलाई-कचौड़ी नहीं खाकर आए
अटल यादें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हरियाणा और खासकर पानीपत से जुड़ी अविस्मरणीय यादे हैं। उनको पानीपत के चिमनलाल के दुकान की मलाई-कचौड़ी का स्वाद उनको इतना भाया कि वह एक जनसभा में भी इसका उल्लेख करने से नहीं चूके।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 23 Dec 2020 08:11 AM (IST)
पानीपत, [रामकुमार कौशिक]। Memories of Atal Bihari Vajpayee: वर्ष 2003 की बात है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पानीपत में आइओसीएल की रिफाइनरी के विस्तार के लिए शिलान्यास करने पहुंचे थे। रिफाइनरी में ही बात करते हुए जब उन्होंने देखा कि सभा में जोश नहीं है, तो उन्होंने जोर से कहा, 'क्या आज आप लोग पानीपत के चिमन की मलाई-कचौड़ी नहीं खाकर आए।' दरअसल, पानीपत शहर में किले के पास स्थित चिमनलाल की दुकान की कचौड़ी अटलजी बडे़ शौक से खाते थे। किले के पास ही आरएसएस का कार्यालय भी है। अटल जी जब भी पानीपत आते तो किले से मलाई और कचौड़ी जरूर मंगाते।
अटल ने लिया नाम और रातों रात मशहूर हो गई पानीपत के चिमनलाल की कचौड़ी25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है। पानीपत की अटलजी की बहुत सी यादें जुड़ी हैं। यहां से उनकी कचौड़ी की कहानी से लेकर वैष्णो देवी की यात्रा तक के किस्से हैं। इसी सिलसिले में कचौड़ी वाले की कहानी भी पढ़ें..। राजीव कुमार बताते हैं कि करीब 150 साल पहले उनके परदादा बख्तावर मल ने हलवाई हट्टे पर दुकान खोल कचौड़ी सब्जी बनाने का काम शुरू किया था। कचौड़ी उड़द की दाल से भरी होती है, जिसका जायका पहले जैसा ही है।
अपनी दुकान पर राजीव कुमार। (जागरण)
राजीव बताते हैं, कचौड़ी में उनके परदादा कभी लहसुन व प्याज नहीं मिलाते थे। ठीक उसी तरह आज भी दुकान में वैसी ही कचौड़ी बनाई जाती है। ग्राहकों को आलू-छोले की सब्जी के साथ मेथी की चटनी भी देते हैं। यह बहुत हद तक राजस्थानी कचौड़ी से मिलती जुलती है। मगर राजस्थान की कचौड़ी की तरह मेदे से नहीं, बल्कि आटे से बनती है।
प्रधानमंत्री ने लिया था नाम चिमनलाल के बेटे राजीव कुमार बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बनने से पहले किला स्थित आरएसएस कार्यालय में आते थे तो उनकी दुकान की कचौड़ी जरूर खाते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद वह पानीपत आए तो जनसभा को संबोधित कर रहे थे। वाजपेयी ने सभा में मौजूद लोगों से काई सवाल किया तो लोगों की आवाज कम आई। इस पर वाजपेयी जी ने कहा, क्या आज चिमनलाल की कचौड़ी नहीं खाकर आए। क्या चिमनलाल की कचौड़ी नहीं खाते। अगर खाते होते तो आपका जोश जरूर जोरदार होता। फिर क्या था, पीएम की जुबां पर नाम आया तो चिमनलाल की कचौड़ी मशहूर हो गई।
पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल ने भी चखा स्वाद राजीव कुमार ने बताया कि पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल भी यहां कचौड़ी जरूर खाते थे। पानीपत की अग्रवाल धर्मशाला में उन्होंने अपने हाथों से ही उन्हें पूड़ी-सब्जी खिलाई थी। किले पर होने वाले कार्यक्रम में जो भी नेता व अफसर आता है तो उनकी कचौड़ी सब्जी जरूर खाकर जाता है।
पानीपत में लोगों और भाजपा के स्थानीय नेताओं के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की फाइल फोटो। नीतिसेन से कहते थे, जनता के हित में हों नीतियांभाजपा के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष रहे हैं नीतिसेन भाटिया। पानीपत नगर परिषद के चेयरमैन भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उनके बेहद अच्छे संबंध थे। त्योहार के दिनों में जब भी अटलजी दिल्ली होते तो नीतिसेन उनसे मिलने जाते। अटलजी पानीपत आते तो नीतिसेन से बिना मिले नहीं जाते। नीतिसेन भाटिया ने बताया कि अटलजी कहते थे, आपके नाम में ही नीति है। नीतियां ऐसी बनाना जो जनता हित में हों। उनकी प्रेरणा से उन्होंने पानीपत का योजनाबद्ध विकास कराने में सहयोग दिया। इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए काम किया।
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1987 नीतिसेन परिवार सहित माता वैष्णो देवी के दर्शन करके लौट रहे थे। कटरा में ही नीचे अटलजी मिल गए। उनके बेटे नवीन से अटल जी ने पूछा, पैदल चलकर गए थे। तब नवीन की उम्र नौ वर्ष थी। नवीन ने कहा, अंकलजी, डेढ़ यात्रा पैदल की है। मैं पहले नीचे पहुंच गया। पापा से बिछड़ गया। फिर आधे रास्ते ऊपर गया। तब अटलजी ने कहा, जब बच्चा पैदल चल सकता है तो हम भी पैदल चलेंगे। यह कहते हुए अटलजी, पैदल ही चढ़ाई चढ़ने लगे।
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