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दिल्‍ली से कुछ दूर पर है पानीपत, जहां लड़ी गईं तीन ऐतिहासिक लड़ाईयां, जानें यहां के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों को

पानीपत युद्ध को हर किसी ने पढ़ा होगा। पानीपत का इतिहास और पर्यटन आज भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना रहता है। यहां पर इब्रोहिम लोदी से लेकर कलंदर शाह की दरगाह है। विदेशों से पर्यटक यहां के इतिहास को जानने आते हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 05:06 PM (IST)
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पानीपत शहर के प्रमुख पर्यटन स्‍थल की जानकारी।
पानीपत, जेएनएन। दिल्‍ली से महज 90 किमी दूर स्थित है पानीपत शहर। हरियाणा राज्‍य में यमुना नदी के किनारे प्राचानी ऐतिहासिक नगर समृद्ध इतिहास और स्मारकों को समेटे है। पानीपत ऐतिहासिक पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक स्‍थल भी है। बताया जाता है कि पानीपत महाभारत के दौरान पांडवों द्वारा स्‍थापित पांच शहरों में से एक माना जाता है। यहां पर विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। पानीपत के पर्यटन स्‍थलों के बारे में पढ़ें ये खबर...।

इब्रोहिम लोदी की कब्र

पानीपत में इब्राहिम लोधी का मकबरा पुरातात्विक स्मारकों में अनूठा है। यह स्‍थल मुगल शासक बाबर व दिल्ली सल्तनत के इब्राहिम लोधी के बीच हुए प्रथम युद्ध का प्रतीक भी है। मकबरे में इब्राहिम लोधी की कब्र है। लाखौरी ईटों से निर्मित कब्र एक ऊंचे आयताकार रूप में स्थापित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस मकबरे को संरक्षित घोषित कर दिया है।

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बु-अली शाह कलंदर की दरगाह

पानीपत में बू अली शाह कलंदर की दरगाह है। यहां पर ताले लगाकर मन्नत मांगी जाती है। खिलजी के बेटों ने इस दरगाह को बनवाया था। कलंदर साहब का नाम शेख शर्राफुद्दीन था। शेख फखरुद्दीन उनके पिता थे। खास बात ये है कि इस दरगाह में हिंदू और मुस्लिम के लिए कोई भेदभाव नहीं है। हजारों की संख्या में हिंदू भी यहां पहुंचते हैं। दुनिया में सिर्फ ढाई दरगाह हैं। पानीपत की बू अली शाह की दरगाह पहली है। दूसरी पाकिस्‍तान और इराक में है तीसरी। इराक के बसरा में जो दरगाह है, वो महिला सूफी की है। इस वजह से उसे आधी दरगाह का दर्जा मिला है। अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाने वाले पानीपत जरूर पहुंचते हैं।

काबुली बाग मस्जिद

काबुली बाग मस्जिद कुटानी रोड पर है। ढाई से तीन एकड़ में बनी मस्जिद के उत्तर दिशा में प्रवेश द्वार है। पानीपत में काबुली बाग मस्जिद सुल्‍तान बाबर ने 1526 में इब्राहिम लोदी पर विजय पाने की खुशी में बनवाया था। अहाते के अंदर बनी मस्जिद के कोने अष्ट भुजाकार हैं। लाल बालू के रंग व ईंटों से बने मुख्य द्वार के सामने बड़ा मेहराब बना हुआ है।

देवी मंदिर

पानीपत में देवी मंदिर दर्शनीय और धार्मिक स्‍थलों में काफी प्रसिद्ध है। मंदिर बड़े तालाब के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर बहुत ही आकर्षक है। यह मंदिर शहर के बीचोंबीच है। बताया जाता है कि मंदिर 250 वर्ष पुराना है। इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में कराया गया था। यहां मराठों का वर्चस्व था। मराठा योद्धा सदाशिव राव भाऊ सेना लेकर यहां युद्ध करने आए। उन्होंने अफगान से आए आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली के खिलाफ दो माह तक युद्ध किया। सदाशिव राव को देवी की मूर्ति तालाब के किनारे मिली। मंदिर निर्माण के समय मूर्ति को एक स्थान से दूसरे जगह पर रखा गया। सुबह होने पर मूर्ति उसी स्थान पर मिली। इस स्थल पर तभी मंदिर बनाने का निर्णय लिया गया। यह मराठा विरासत का अद्भूत उदाहरण है।

काल अंब

1761 में मराठा सैनिकों की वीरता का गवाह ऐतिहासिक स्थल काला अंब भी पानीपत में है। यहां पानीपत स्थल पर तीसरी लड़ाई लड़ी गई थी। काला अंब स्थल पर एक काला वृक्ष होता था। अब इसके स्थान पर काला अंब के नाम से स्तंभ बनाया गया है। यहां पर हुए युद्ध में मुगलों की तरफ से अहमदशाह अब्दाली व मराठों की तरफ से सदाशिवराव भाऊ के बीच भयंकर युद्ध हुआ। लड़ाई में बहने वाले खून से यहां की जमीन और आसपास के पेड़ काले पड़ गए थे।

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