पानीपत थर्मल में कोयले की किल्लत, मात्र चार दिनों का स्टाक बचा, बिजली सप्लाई हो सकती है प्रभावित
हरियाणा में बिजली उत्पादन के लिए अधिकतर कोयला आधारित बिजली उत्पादन संयंत्र लगे हुए हैं। इस कड़ी में पानीपत थर्मल पावर स्टेशन में यूनिट नंबर 67 और 8 चल रही हैं। इन यूनिटों को चलाने के लिए इस समय लगभग चार दिन का कोयला बचा है।
थर्मल (पानीपत), सुनील मराठा। पानीपत के थर्मल प्लांट पानीपत कोयला के संकट से जूझ रहा है। स्टाक में मात्र चार दिनों के लिए कोयला बचा है। प्लांट में कोयले की सप्लाई की स्थिति हैंड टू माउथ जैसी है। बताया गया है कि सीएचएम (कोल हैंडलिंग प्लांट) के अधिकारियों की लापरवाही से 65 हजार टन कोयला किसी दूसरे थर्मल को डाइवर्ट हो गया है।
इस तरह होती है प्लांट में कोयले की खपत
यानि, त्योहारी सीजन में पानीपत थर्मल प्लांट में कम बिजली उत्पादन बंद हो जाए, कहा नहीं जा सकता। दरअसल,प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए अधिकतर कोयला आधारित बिजली उत्पादन संयंत्र लगे हुए हैं। पानीपत थर्मल पावर स्टेशन की 210 मेगावाट क्षमता की यूनिट नंबर छह व 250-250 मेगावाट क्षमता की यूनिट नंबर सात-आठ चल रही हैं।
यूनिटों को चलाने के लिए एक दिन में लगभग 8900 टन कोयला की खपत होती है। पानीपत थर्मल में इस समय लगभग 40298 टन कोयला स्टाक में बचा है। यानि, इस स्टाक से प्लांट को लगभग चार दिन ही चलाया जा सकता है। हैंड-टू-माउथ की स्थिति यह कि रोजाना कोयला के दो-तीन रैक यहां पर पहुंच रहे हैं।
अधिकारियों की लापरवाही
बरसात के मौसम में सीएचएम के अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही के कारण कोयला के रैक समय पर खाली नहीं हो रहे थे। इसके चलते अगस्त-सितंबर माह में 65 हजार टन कोयला डायवर्ट कर यमुनानगर व हिसार भेजा गया था था। नतीजा, पानीपत थर्मल पावर स्टेशन का स्टाक कम हो गया है।
अक्टूबर माह में मिले 60 रैक
मौजूदा माह में अब तक प्लांट में कोयला के 60 रैक पहुंचे हैं। मंगलवार को पांच रैक कोयला आया था। डिमांड के मुकाबले यह सप्लाई बहुत कम बताई गई है।
एक माह का स्टाक होना चाहिए
पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के चीफ इंजीनियर मनोज अग्रवाल ने बताया कि प्लांट में एक माह के लिए कोयला का स्टाक होना चाहिए। थर्मल की तीनों यूनिटों से बिजली का उत्पादन हो रहा है। इनको चलाने में प्रत्येक दिन दो-तीन रैक कोयला की खपत होती है।
यहां होती है बिजली सप्लाई
पानीपत थर्मल पावर प्लांट में बिजली तैयार कर दूसरे जिलों में भेजी जाती है। यहां से बिजली के दो फीडर रोहतक, दो बिजली फीडर जींद, तीन बिजली फीडर सफीदों, तीन बिजली फीडर निसिंग व एक बिजली फीडर बसताड़ा पावर हाऊस में जाते हैं। कोयले की कमी के कारण थर्मल की यूनिट बंद हुई तो बिजली संकट गहरा सकता है।