अंबाला की शान बनेगा कालका चौक, वामन भगवान की महिमा के दर्शनों के साथ शानदार होगी एंट्री
अंबाला शहर के कालका चौक दिल्ली अमृतसर हाईवे पर बना हुआ है। यहां काफी बड़ा एरिया है। यहां यातायात ज्यादा होने के कारण हाईवे को उपर से निकाल दिया गया था। स्थानीय यातायात के लिए हाईवे के नीचे पुल बना दिया गया था।
By Naveen DalalEdited By: Updated: Sun, 26 Jun 2022 08:24 AM (IST)
अंबाला, जागरण संवाददाता। अंबाला शहर के कालका चौक से शहर की शान बनेगी। इसके लिए 40 लाख रुपये का बजट खर्च किया जाना है। क्योंकि शहर के कालका चौक पर 40 लाख रुपये की लागत से गेट बनाया जाएगा। इसके लिए काम शुरू भी किया जा चुका है। जिसके तैयार होने के बाद शहर की चमक निराली होगी। जबकि अभी तक कालका चौक की पुल बन जाने के कारण चमक फीकी पड़ गई थी।
लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी
बता दें कि अंबाला शहर के कालका चौक दिल्ली अमृतसर हाईवे पर बना हुआ है। यहां काफी बड़ा एरिया है। यहां यातायात ज्यादा होने के कारण हाईवे को उपर से निकाल दिया गया था। स्थानीय यातायात के लिए हाईवे के नीचे पुल बना दिया गया था। ऐसे में कालका चौक की पहचान खत्म हो गई थी। लेकिन अब भगवान श्री वामन के नाम पर प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। इसके कार्य का शुभारंभ सनातन धर्म सभा पहले ही कर चुकी है। सनातन धर्म सभा के सचिव विनोद गर्ग ने कहा कि श्री वामन भगवान के नाम से बनने वाले प्रवेश द्वार शानदार बनेगा। इस चौक के बनने से शहर की पहचान अलग सी होगी।
उन्होंने बताया कि दिल्ली अमृतसर हाईवे पर कालका चौक लगता है। इस चौक से लेकर गुरुद्वारा मंजी साहिब तक नेशनल हाईवे लगता है। इसी कारण गुरुद्वारा मंजी साहिब के पास भी चौक बनाया जा रहा है। ऐसे में दोनों चौक की बीच हाईवे के साथ-साथ लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस चौक को बनाए जाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए विशेष तौर पर कारीगर लगेंगे। चौक को तैयार करने के लिए टेंडर भी हो चुका है। नगर निगम के अधिकारी इस चौक को लेकर काफी संजीदा हैं।
जिसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा इस चौक को वामन भगवान के नाम से बनाया जा रहा है। क्योंकि भगवान वामन से अंबाला का नाम जुड़ा हुआ है। अंबाला में हर साल भगवान वामन का हर साल मेला लगता है। जिसमें नौरंगराय तालाब पर विशेष कार्यक्रम होता है। यह कार्यक्रम शहर में तीन दिन तक चलता है। जिसमें शहर के पांच प्राचीन मंदिरों से हिंडोले पुरानी अनाज मंडी ले जाए जाते हैं और वहां से नौरंगराय तालाब में तैराये जाते हैं।
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