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गांव की यादों को समेटे है 150 साल पुराना बरगद, पाकिस्तान से आए लोगों को भी दिया था आसरा

कुरुक्षेत्र के गांव में 150 साल पूराना बरगद का पेड़ मौजूद है। जो इस गांवों की यादों को समेटे हुए हैं। गांव में सैकड़ों शादियों का साक्षी है पुराने बरगद का पेड़। पेड़ के नीचे ही ठहरती थी बारात वहीं होती थी बारातियों की खातिरदारी।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Fri, 08 Jul 2022 03:40 PM (IST)
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कुरुक्षेत्र के कालवा गांव में स्थित बरगद का पेड़।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। मैं बरगद का पेड़ हूं और मेरा बसेरा गांव कालवा में है। पिछले 150 सालों से मैं गांव के त्योहारों और उत्सवों से लेकर शादी समारोहों का भी साक्षी रहा हूं। सालों पहले भी गांव की खुशहाली और हरियाली का संदेश दे रहा हूं और आज भी गांव में खुशहाली का संदेश दे रहा हूं। जब सालों पहले गांवों में मैरिज पैलेस और चौपालें नहीं बनी थी तो मेरी ठंडी छांव में ही बारातियों को बैठाकर उनकी खातिरदारी की जाती थी।

पाकिस्तान से आने वाले लोगों को भी दिया आसरा

गांव कालवा में कालवा से माजरी जा रही सड़क से थोड़ी दूरी पर खड़े बरगद के पुराने पेड़ के बारे में बताते हुए गांव कालवा के पूर्व सरपंच 80 वर्षीय लखविंद्र सिंह भी पुरानी यादों में खो जाते हैं और बताते हैं कि जब वह भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तान से अपना सुब-कुछ छोड़कर गांव कालवा पहुंचे तो यहीं बस गए। उन्हें इसी पेड़ ने आश्रय दिया और सालों उनका परिवार ही नहीं ज्यादातर ग्रामीण भी इसी पेड़ की छाया में अपना समय व्यतीत करते थे। उन्होंने आज भी इस पेड़ के लिए दो कनाल जगह खाली छोड़ रखी है। जब गांव में कोई त्योहार व खुशी का मौका होता था तो सभी इसी पेड़ के नीचे एकत्रित होकर इसकी ठंडी छाया में खुशियां मनाते थे।

पेड़ के नीचे ही ठहरती थी बारात

गांव में पहुंचने वाली बारात को भी इसी पेड़ के नीचे बैठाया जाता था और उनका स्वागत किया जाता था। गांव की सैकड़ों शादियों में इस पेड़ की छाया में ही बारात ठहरी है। इतना ही नहीं जब उनकी बहन की शादी हुई थी तो उन्होंने बारात भी इसी पेड़ के नीचे बैठाई थी। जब सन 1947 में इस गांव में थे तो यह बड़ का पेड़ इसी तरह खड़ा खुशहाली का संदेश दे रहा था और आज भी लोगों को प्राणवायु दे रहे हैं। अतीत में खोए लखविंद्र सिंह बताते हैं वह पाकिस्तान में सबकुछ छोड़कर इस गांव में पहुंचे थे। यह बरगद का पेड़ उस दिन भी हरियाली और खुशहाली का संदेश दे रहा था आज भी खुशहाली का संदेश दे रहा है।

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