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टूटे चावल के निर्यात पर रोक, निर्यातकों ने कहा, अब पड़ेगा बड़ा असर, जानें भाव बढ़ेंगे या कम होंगे

भारत सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। नौ सितंबर से आदेश प्रभावी हो जाएंगे। वहीं निर्यातकों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। हरियाणा से बासमती धान की मांग हमेशा से अच्‍छी रही है।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 05:36 PM (IST)
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टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगी।
करनाल, [पवन शर्मा]। हरियाणा में करनाल सहित अन्य ज़िलों में धान की अच्छी पैदावार से मांग बढ़ रही है। मंडियों में बासमती प्रजाति का धान भी बेहतर रेट पर बेचा जा रहा है। लेकिन इस बीच टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। देश से प्रतिवर्ष करीब 50 से 60 लाख टन चावल निर्यात होता है। इनमें हरियाणा की लगभग 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टूटे चावल पर निर्यात रोकने के फैसले से इसमें कमी आनी तय है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने फैसले का स्वागत करते हुए बताया कि भारतीय चावल का निर्यात काफी कम कीमत पर हो रहा था। लिहाजा प्राप्ति पर असर नहीं पड़ेगा। निर्यात में 20 से 30 लाख टन की कमी आएगी।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा में करनाल के तरावड़ी, असंध व इंद्री सहित कुरुक्षेत्र, पानीपत, कैथल, अंबाला, सिरसा, और कुरुक्षेत्र आदि प्रमुख बासमती चावल उत्पादक क्षेत्र हैं। यहां का चावल देश ही नहीं, विदेश तक खूब पसंद किया जाता है। यहां करीब 3000 लीटर पानी में एक किलो चावल पैदा होता है, जिससे उत्पादित बेहतरीन क्वालिटी के चावल की खासी मांग रहती है। इसे खाड़ी देशों से लेकर यूरोप तक पसंद किया जाता है। भारत से हर साल दुनिया में करीब 50-60 लाख टन चावल निर्यात होता है। सर्वाधिक 40-40 प्रतिशत हिस्सेदारी हरियाणा व पंजाब की है। अन्य चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और असम शामिल हैं।

घरेलू आपूर्ति के ग्राफ में गिरावट

हरियाणा के चावल कारोबारी निर्यात क्षेत्र से लगभग 20 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष कमाते हैं। इनमें मुख्यत: बासमती चावल की अच्छी मांग है जबकि गैर बासमती चावल की भी मांग बीते कुछ वर्षों में बढ़ी है। 2021-22 में गैर-बासमती चावल का बढ़कर 6.11 अरब डालर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह महज 4.8 अरब डालर था। भारत ने तब 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया था लेकिन तस्वीर का दूसरा रुख यह है कि चावल के घरेलू आपूर्ति ग्राफ में गिरावट का दौर भी जोरों पर है। लिहाजा घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के साथ स्थानीय कीमतें नियंत्रित रखने के लिए सरकार ने तत्काल प्रभाव से टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है।

कम बारिश ने बढ़ाई चिंता

प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में औसत से कम बारिश ने चावल उत्पादकों की चिंता बढ़ाई है। गेहूं निर्यात और प्रतिबंधित चीनी शिपमेंट पर पहले से प्रतिबंध लागू है। राजस्व विभाग की अधिसूचना के अनुसार चावल व ब्राउन राइस पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया है। देश में धान का बुवाई क्षेत्र 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है।

प्राप्ति पर असर नहीं: सेतिया

अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय चावल का निर्यात काफी कम मूल्य पर हो रहा था। मौजूदा हालात में गैर-बासमती चावल का निर्यात 20 से 30 लाख टन घटेगा लेकिन गैर बासमती किस्मों के निर्यात पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क की वजह से प्राप्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारतीय उपभोक्ताओं के हित में सरकार ने उचित कदम उठाया है।

इन देशों में होता निर्यात

पश्चिमी अफ्रीकी देश बेनिन से लेकर नेपाल, बांग्लादेश, चीन, कोटडीआइवर, टोगो, सेनेगल, गिनी, वियतनाम, जिबूती, मैडागास्कर, कैमरून, सोमालिया, मलेशिया, ईरान, लाइबेरिया, संयुक्त अरब अमीरात व कुछ अन्य खाड़ी देश भारत से चावल का आयात करते हैं।

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