Haryana Farmers Protest: दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर फिर जल उठा चूल्हा, धरने ने पकड़ी तेजी
Haryana Farmers Protest दिल्ली चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर करनाल के पास बसताड़ा टोल प्लाजा पर धरना ने तेजी पकड़ लिया। फिर से लंगर शुरू हो गया है। किसानों की भी भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। वहीं कुछ किसान दिल्ली के लिए भी रवाना हो गए।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। Haryana Farmers Protest : दिल्ली चंडीगढ़ नेशनल हाईवे स्थित बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों का धरना और लंगर जारी है। हालांकि, सोमवार से उनकी संख्या में कमी आने लगी है। इसका कारण उनका धीरे-धीरे एक बार फिर दिल्ली कूच करना बताया जा रहा है। इसके बावजूद लगातार सतर्क पुलिस प्रशासन की ओर से हर स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रखी गई है। इस बीच सोमवार को भी क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं। जिले के कई गांवों से भी दिल्ली सीमा के लिए किसानों के जत्थों की रवानी का सिलसिला कायम है।
बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों का धरना और लंगर रविवार से फिर शुरू हो गया था। किसानों ने इसी के साथ क्रिमक भूख हड़ताल भी शुरू कर दी थी। साथ ही 27 जनवरी के बाद रविवार को ही उनकी खासी तादाद भी नजर आई थी, जिसे देखते हुए पुलिस प्रशासन ने हर स्तर पर सतर्कता से काम लिया। इसके तहत पर्याप्त संख्या में पुलिस बल के अलावा पैरामिलिट्री फाेर्स के जवानों की भी तैनाती की गई। जिला उपायुक्त निशांत यादव और पुलिस अधीक्षक गंगाराम पूनिया लगातार अधीनस्थ अधिकारियों तथा खुफिया तंत्र की मदद से पल पल का अपडेट लेते रहे। वहीं, किसानों की तरफ से मौके पर लंगर व्यवस्था भी लगातार चलाई जा रही है। इसके अलावा किसानों की ओर से रागिनी के साथ गीत, कविताएं सुनाकर भी एक-दूसरे का मनोबल बढ़ाया जा रहा है।
दूसरी ओर, सोमवार को अन्य दिनों की तुलना में धरने पर बैठे किसानों की संख्या में कमी भी साफ नजर आई। इस बाबत किसानों ने बताया कि उनके काफी साथी दिल्ली कूच कर रहे हैं। जिले के विभिन्न गांवों से भी किसान लगातार दिल्ली की ओर जा रहे हैं। जबकि पंजाब की दिशा से भी अंबाला और कुरुक्षेत्र होते हुए करनाल के रास्ते आगे बढ़ रहे किसान भी लगातार हाईवे पर नजर आ रहे हैं। ऐसे में किसानों की ओर से उनके लिए बसताड़ा टोल प्लाजा के अलावा चंडीगढ़ की दिशा में कर्ण लेक के पास स्थित पेट्रोल पंप पर भी एक बार फिर लंगर शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा जिले में जींद हाईवे स्थित प्योंत टोल प्लाजा पर भी किसान लगातार डटे हुए हैं। हालांकि, बसताड़ा की तुलना में यहां उनकी संख्या काफी कम है। पुलिस प्रशासन की ओर से यहां भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
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