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हरियाणा की धर्मनगरी में बनेगा देश का पहला गीता मंदिर, जानिए क्‍या होगी खासियत

हरियाणा में देश का पहला गीता का मंदिर बनेगा। इसमें देवी देवताओं के साथ-साथ गीता की भी पूजा की जाएगी। मंदिर में एकादशी के 26 देवताओं को भी स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। इसमें नागर शैली की झलक दिखेगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Tue, 23 Feb 2021 05:24 PM (IST)
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कुरुक्षेत्र में देश का पहला गीता मंदिर बनाया जा रहा।
कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। कुरुक्षेत्र की धरती पर देश का पहला गीता का मंदिर होगा। मंदिर में देवी-देवताओं की तरह गीता की पूजा अर्चना की जाएगी। यह पहल गीता ज्ञान संस्थानम् ने की है। संस्थानम् में बनने वाले मंदिर में गीता को विशेष स्थान दिया जाएगा।

मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और शिव के साथ गीता भी स्थापित की जाएगी। यह देश का पहला ऐसा मंदिर होगा। इसके लिए ड्राइंग और पूरा डिजाइन तैयार कर लिया गया है। यह मंदिर स्थापत्य कला (वास्तु या मकान, महल बनाने की कला) का अदभूत नमुना होगा। गुजरात के अहमदाबाद के एक प्रमुख आर्किटेक्ट इसको तैयार कर रहे हैं।

गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण भगवान ने कुरुक्षेत्र की धरती पर अर्जुन को निमित कर सृष्टि को गीता का पाठ पढ़ाया था। गीता के 18 अध्यायों में हर चीज पर विस्तार से कहा गया है। गीता के ज्ञान को देश और दुनिया तक पहुंचाया जा रहा है। इसको आस्था के रूप भी अपनाने की जरूरत है।इसी सोच के साथ गीता ज्ञान संस्थानम् में देवी देवताओं के साथ गीता की पूजा अर्चना करने का फैसला लिया है।

अपर ग्राउंड में मंदिर में शिवालय

गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि आज ज्ञान के साथ ध्यान की भी जरूरत है। मंदिर के लॉअर ग्राउंड फ्लोर पर मेडिटेशन हाल बनाया जाएगा।हाल में श्रद्धालु मेडिटेशन कर सकेंगे। अपर ग्राउंड तल पर मंदिर होगा। मंदिर 50 गुना 100 का होगा। मंदिर में सामने शिवालय होगा और बाहर नंदी होंगे।मंदिर के अंदर श्रीकृष्ण भगवान व गीता को स्थापित किया जाएगा। इसके साथ एकादशी के देवताओं के भी मंदिर में दर्शन होंगे। इसको लेकर भी चर्चा की जा रही है।

नागल शैली में होगा मंदिर

गीता का मंदिर नागर शैली में होगा। नागर शैली उत्तर भारतीय हिंदू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। खजुराहो के मंदिर नागर शैली में निर्मित हैं। शैली का प्रसार हिमालय से लेकर ङ्क्षवध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। विकसित नागर मंदिर में गर्भगृह, उसके समक्ष क्रमश: अंतराल, मंडप और अर्धमंडप प्राप्त होते हैं। शिल्पशास्त्र के अनुसार नागर मंदिरों के आठ प्रमुख अंग हैं। नागर शैली का क्षेत्र उत्तर भारत में नर्मदा नदी के उत्तरी क्षेत्र तक है। परंतु यह कहीं-कहीं अपनी सीमाओं से आगे भी विस्तारित हो गई है। नागर शैली के मंदिरों में योजना और ऊंचाई को मापदंड रखा गया है।

नागर शैली के मुख्य मंदिर

कंदरिया महादेव मंदिर (खजुराहो)

लिंगराज मंदिर - भुवनेश्वर (ओडि़सा )

जगन्नाथ मंदिर - पुरी (ओडि़सा )

कोणार्क का सूर्य मंदिर - कोणार्क (ओडि़सा )

मुक्तेश्वर मंदिर - (ओडि़सा )

खजुराहो के मंदिर - मध्य प्रदेश

दिलवाडा के मंदिर - आबू पर्वत (राजस्थान )

सोमनाथ मंदिर - सोमनाथ (गुजरात)

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