कोरोना काल में मरीजों के लिए मसीहा बना हरियाणा का आकर्ष, राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2022 से सम्मानित
हरियाणा के करनाल जिले के आकर्ष कोरोना काल में कोरोना मरीजों के लिए मसीहा बने। आकर्ष के एक आइडिया ने मरीजों को संजीवनी देने का काम किया। उनके इस कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2022 (National Child Award 2022) से नवाजा गया है।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Mon, 24 Jan 2022 06:34 PM (IST)
करनाल, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 12वीं के छात्र आकर्ष कौशल की एप ने अहम भूमिका निभाई है। कोविड की पहली लहर के दौरान लोगों को आरटीपीसीआर की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होती थी, इसके लिए आकर्ष कौशल ने करनाल कोविड डाट काम नाम से एक पोर्टल/वेबसाइट तैयार की। करनाल में मिली सफलता के बाद अम्बाला, यमुनानगर, पानीपत सहित दस जिलों व मेडिकल कालेज के लिए एप तैयार की।
इसी काबलियत के चलते आकर्ष कौशल को बीते वर्ष इंडियन एचीवर्स फोरम अवार्ड से भी नवाजा गया है। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित एक वच्र्यूअल कार्यक्रम के दौरान देश के 29 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2022 से सम्मानित किया। इनमें करनाल से आकर्ष कौशल को उनकी उपलब्धि के लिए पुरस्कार दिया गया है।
कोरोना मरीजों को घर बैठे आनलाइन सुविधाकोरोना के दौरान जब लोगों को आक्सीजन व बेड की कमी आड़े आ रही थी तो आकर्ष कौशल की बनाई वेबसाइट से शहरवासियों को काफी लाभ मिला। इस वेबसाइट के जरिए कोविड का टेस्ट करवाने वालों को रिपोर्ट स्वयं डाउनलोड करना सुलभ हुआ। इसी प्रकार कोविड के दौरान बैडो की कमी आ गई थी, इस दौरान आकर्ष ने एक कोविड बिस्तर उपलब्धता डैशबोर्ड बनाया और साथ ही करनाल में होम आइसोलेटिड रोगियों पर नजर रखने के लिए एक आनलाइन समाधान बनाया। इससे कई लोगों की जान बचाने में मदद मिली। आकर्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और डीसी निशांत कुमार यादव के सहयोग यह सभव हो सका है।
कम्प्यूटर साइंस में डिग्री करने का लक्ष्यसेक्टर-7 वासी पिता डाक्टर गगन कौशल व माता आरती कौशल का आकर्ष इकलौता बेटा है। 17 वर्षीय आकर्ष कौशल ने डीपीएस करनाल में दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की। आकर्ष के अनुसार वह सातवीं कक्षा से ही कम्प्यूटर कोडिंग में रुचि रखता है और इसके लिए मेहनत से कभी परहेज नहीं किया। मौजूदा समय में आकर्ष दिल्ली के इंद्रप्रस्थ स्कूल में 12वीं की पढ़ाई कर रहे हैं और कम्प्यूटर साइंस में डिग्री करना चाहते हैं।
लाकडाउन में मरीजों को असुविधा के चलते आया आइडियाआकर्ष के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान लाकडाउन के चलते स्कूल बंद थे और वह अधिकतर समय कम्प्यूटर पर कोडिंग करने में बिताता था। पिता चिकित्सक होने के कारण मरीजों की हालत बारे जब जानकारी मिली तो दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न एप तैयार की जाए जिससे कोरोना मरीजों को शहर के अस्पताल में बैड की उपलब्धता और होम आइसाेलेट मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी मिल सके। जब कोडिंग तैयार की गई तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपायुक्त निशांत कुमार यादव से चर्चा के बाद एप को लांच किया जा सका।
कोरोना मरीजों को उसकी एप का काफी लाभ मिला और मरीजों को इलाज समय से मिल सका। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि आकर्ष ने छोटी उम्र में करनाल का नाम देशभर में रोशन किया है। आकर्ष के सहयोग से कोरोना के दौरान मरीजों का जीवन बचाने में सहयोग मिला।
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