Haryana: 'मेरी अलमारी में ओलंपिक मेडल है, लेकिन इस बार...', जैवलिन थ्रोअर Neeraj Chopra का अपने चाचा से वादा
वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा का सितारा चमका है। उन्होंने पहले ही प्रयास में 88.77 मीटर की दूरी तक भाला फेंक अपनी जगह फाइनल में पक्की कर ली है। इसी के साथ नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। नीरज चोपड़ा की इस उपलब्धि से उनके घरवालों में खुशी का माहौल है।
पानीपत, विजय गाहल्याण। Neeraj Chopra News देश के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा का शुक्रवार को स्वीडन के बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Athletics Championship) के लिए मुकाबला हुआ। मौके पर मौजूद छोटे चाचा सुरेंद्र और प्रारंभिक कोच जयवीर उर्फ मोनू ने तालियां बजाकर हौसला बढ़ाया। नीरज ने भी ताकत व तकनीक का लोहा मनवाते हुए पहले ही प्रयास में 88.77 मीटर की दूरी तक भाला फेंका और फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया।
वहीं, टीवी पर पानीपत के खंडरा गांव में मुकाबला देख रहे बड़े चाचा भीम चोपड़ा भतीजे की कामयाबी पर झूम उठे। उन्होंने बड़े भाई व नीरज के पिता को गले लगाकर बधाई दी। भीम चोपड़ा ने दैनिक जागरण को बताया कि तीन दिन पहले नीरज से फोन पर बात हुई थी। तब वे खुश था और कह रहा था कि चोट से पूरा तरह से पार पा चुका हूं। अभ्यास अच्छा किया है।
नीरज चोपड़ा ने अपने चाचा से कहा, "मेरी अलमारी में ओलंपिक, डायमंड लीग सहित तमाम पदक हैं। कमी है तो सिर्फ विश्व चैंपियन के स्वर्ण पदक की। इसे लाने के लिए पूरा जोर लगा दूंगा। पदक जीतकर ही घर लौटूंगा।" भीम ने कहा कि पूरी उम्मीद है कि 27 अगस्त को विश्व चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में भतीजा स्वर्ण पदक जीतेगा।
'बेटे के अभ्यास में बाधा न आए, इसलिए नहीं करती बातें'
नीरज की सफलता पर गदगद उनकी मां सरोज का कहना है कि उसे पता है कि विदेश में रहकर बेटा अभ्यास कर रहा है। इसलिए वह फोन से बेटे ज्यादा बाद नहीं करती हैं। कहीं उसके अभ्यास में बाधा न आ जाए। कभी-कभी बेटा ही फोन पर बात करके उसका व स्वजनों का हाल-चाल पूछ लेता है। वहीं, नीरज के किसान पिता सतीश चोपड़ा का कहना है कि खुशी है कि बेटे ने पेरिस ओलंपिक (Paris Olympic) के लिए क्वालीफाई कर लिया है।
जब-जब चाचा व कोच ने हौसला बढ़ाया, तब-तब मिली सफलता
नीरज चोपड़ा पूरे परिवार को सम्मान करते हैं, लेकिन छोटे चाचा सुरेंद्र और कोच जयवीर को ज्यादा मानते हैं। 30 जून को लुसाना में हुई डायमंड लीग में जब नीरज ने स्वर्ण पदक जीता था। उस दिन शुक्रवार था। चाचा व कोच दोनों सफलता के गवाह बने थे। संयोग है कि 25 अगस्त को भी शुक्रवार के दिन ही नीरज को सफलता मिली है। वहां पर भी दोनों मौजूद हैं। वे पदक से एक कदम दूर हैं।