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Haryana Stubble Burning: फसल की कटाई के साथ बढ़ने लगे पराली के मामले, रेड जोन में हरियाणा के 67 गांव

हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। 2023 के खरीफ सीजन में रेड जोन के गांवों की संख्या 147 से घटकर 67 हो गई है जबकि येलो जोन के गांवों की संख्या 582 से घटकर 402 हो गई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को पराली जलाने के बजाय प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

By Ram kumar Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 24 Sep 2024 07:48 PM (IST)
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Haryana Stubble Burning: फसल की कटाई के साथ बढ़ने लगे पराली के मामले

जागरण संवाददाता, पानीपत। धान की अगेती फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। साथ में पराली जलाने के मामले भी सामने आने लगे हैं। कई जिलों में किसानों पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है।

जबकि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को पराली जलाने की बजाय प्रबंधन को लेकर जागरूक कर रहा है। खासकर हॉट स्पॉट वाले गांवों पर पैनी नजर है। विशेष टीम तक गठित की गई है। वहीं, अभी भी प्रदेश के 67 गांव रेड और 147 गांव येलो जोन में हैं।

बता दें कि धान की अगेती फसल की किसान कंबाइन से कटाई कराते हैं। कुछ प्रबंधन करने की बजाय आग लगा देते हैं। इससे पर्यावरण के साथ खेत की उर्वरक शक्ति तक खत्म होती है।

पराली जाने का ये राजनीतिक मुद्दा तक बन जाता है। पराली जलाने की बजाय किसान प्रबंधन करें, इसको लेकर कृषि विभाग की ओर से न केवल किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है, बल्कि प्रबंधन करने वाले कृषि यंत्र तक अनुदान पर दिलाता है।  लेकिन पराली जलाने पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। हालांकि मामले जरूर कम हुए हैं

38 प्रतिशत कम हुए मामले

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 में खरीफ सीजन के दौरान 15 सितंबर से लेकर 30 नवंबर तक प्रदेश में पराली जलाने के 6,887 केस सामने आए थे।

वर्ष 2022 में ये घटकर 3661 और 2023 में 38 प्रतिशत ओर कम होकर 2303 पराली जलाने के केस सामने आए थे। वहीं, पिछले साल प्रदेश में 147 गांव रेड जोन और 582 गांव येलो जोन में थे। जबकि अबकी बार केवल 67 गांव रेड जोन और 402 गांव येलो जोन में बचे हैं।

विभाग का दावा है कि किसानों को जागरूक कर पराली जलाने पर अंकुश लगा रेड व येलो जोन को खत्म किया जाएगा।

कहीं कम हुए तो कहीं बढ़ गए पराली जलाने के मामले

वर्ष 2022 के मुकाबले 2023 के खरीफ सीजन में कुछ जिलों में पराली जाने के मामले 5 से 70 प्रतिशत तक घटे हैं। इसमें फतेहाबाद, कैथल, जींद, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत, अंबाला व यमुनानगर शामिल है। जबकि रोहतक, पलवल, झज्जर व फरीदाबाद में बढ़े हैं। मेवात, गुरुग्राम व रेवाड़ी में दोनों सालों में कोई केस नहीं आया है।

किसान पराली का प्रबंधन करे

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एसडीओ डा. देवेंद्र कुहाड़ ने कहा कि पराली जलाने पर पर्यावरण के साथ खेत को नुकसान पहुंचता है। किसान उसका प्रबंधन करें, इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ खेत की उर्वरक शक्ति तक बढ़ेगी। जिले में अभी तक पराली जलाने का कोई केस सामने नहीं आया है। गांव स्तर पर टीम जाकर किसानों को जागरूक कर रही है।

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