Disability Day 2021 : कद छोटा, पैर कमजोर, हौसला नहीं डिगा, हरियाणा के इन योद्माओं का दुनिया में नाम
International Day of Disabled Persons 2021 आज दुनिया भर में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाएगा। आज हम उन दिव्यांगों की बात कर रहे हैं जिन्होंने संघर्षों से लड़कर मुकाम हासिल किया। खेलों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। आज दुनिया में उनका नाम है।
By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Fri, 03 Dec 2021 05:23 PM (IST)
पानीपत, [डिजिटल डेस्क]। International Day of Disabled Persons 2021: आज विश्व दिव्यांग दिवस है। विश्व में दिव्यांगों के लिए कई कार्यक्रम हो रहे हैं। बावजूद आज भी कई जगहों पर दिव्यांगों को लाचार भरी दृष्टि से देखा जाता है। पर, इन्होंने हार नहीं मानी। कद छोटा था, पैर कमजोर थे, लेकिन हौसला नहीं डिगा। सपने देखे और पूरा करने को आसमान में छलांग लगा दी। आज पूरा विश्व उनके नाम से परिचित है।
हरियाणा में खेल के अलावा कई क्षेत्रों में दिव्यांग लोगों ने दुनिया में नाम किया है। कैथल के तीरंदाज हरविंदर, पानीपत के जैवलिन थ्रोअर नवदीप, क्रिकेटर प्रदीप चहल अपने-अपने क्षेत्र में नाम कर रहे हैं। उन्होंने संघर्ष से हार नहीं मानी और दुनिया में नाम रोशन किया। अब लोग उन्हें आइडियल भी मानते हैं।
पैर से कमजोर, बावजूद निशाना अर्जुन जैसा
तीरंदाज हरविंदर सिंह ने टोक्यो पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीता। महज डेढ़ साल की उम्र में चिकित्सक की गलती की वजह से उनका पांव छोटा रह गया। इसके बावजूद लंबी छलांग लगाने का हौसला कम नहीं हुआ। टोक्यो में मेडल जीतने पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था।
छोटे कद के नवदीप ने हार नहीं मानी, इनसे सीखिये आगे बढ़ना
पानीपत के लाखू बुआना गांव का है नवदीप। एक बीमारी के कारण इनका कद नहीं बढ़ सका। डाक्टरों ने कह दिया था कि अगर बच्चे को स्वस्थ रखना है तो शारीरिक अभ्यास कराते रहो। पहलवान रहे पिता दलबीर बेटे नवदीप को खेल के मैदान में दौड़ लगाने के लिए ले जाते। नवदीप को कुश्ती खेलना इतना पसंद आया कि राष्ट्रीय पदक तक जीत लिए। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नवदीप को सम्मानित किया। जब लग रहा था कि कुश्ती में ही आगे बढ़ना है, तब पीठ में दर्द ने यह खेल छुड़वा दिया। नवदीप ने तब भी हार नहीं मानी। भाला उठा लिया। इतनी मेहनत की टोक्यो पैराओलिंपिक तक पहुंच गए। नवदीप पैरा नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। कुश्ती छोड़ी तो दुबई में विश्व जूनियर चैंपियनशिप जीती। स्वीटजरलैंड में स्वर्ण पदक जीता। नवदीप का कहना है कि टोक्यो में उनका पहला प्रयास था। आगे के ओलिंपिक में वह देश के लिए पदक जरूर जीतेंगे।
फर्श से अर्श तक का सफर तय किया पैरा शूटर दीपक सैनी नेफर्श से अर्श तक का सफर अंबाला कैंट के गांव शाहपुर में रहने वाले दीपक सैनी ने तय किया है। कभी शूटिंग के खेल की शुरुआत अपने घर पर ही एयरगन से निशाना लगाने से शुरू की थी और अब वह देश के लिए टोक्यो पैरालिंपिक में खेला है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए दो पदक भी जीत चुके हैं। पोलियो होने की वजह से उनका सफर संघर्षों भरा रहा है, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सरकार से भी सहयोग मिला और देश के लिए उनको खेलने का मौका भी मिला। नेशनल चैंपियन इस खिलाड़ी ने हर मौके पर खुद को साबित किया और दिखा दिया कि दिव्यांगता को यदि हथियार बनाकर लड़ा जाए तो कामयाबी के शिखर पर पहुंचा जा सकता है। आज वे अपनी थर्ड आई शूटिंग रेंज में खिलाड़ियों को तराश रहे हैं।
प्रदीप चहल ने क्रिकेट में रोशन किया नामजींद के रहने वाले प्रदीप चहल आलराउंडर किक्रेट खिलाड़ी हैं। 2013 में हरियाणा टीम के कप्तान रहे। 2014 में नेशनल दिव्यांग क्रिकेट टूर्नामेंट में हरियाणा की टीम की कप्तानी की थी। फिर टीम इंडिया में सेलेक्शन हुआ। इसके बाद सफर जारी रहा। 2019 में भारत ने 3-0 से सीरिज जीती। आइपीएल की तर्ज पर डीपीएल यानी दिव्यांग प्रीमियर लीग में भी चयन हुआ। महज दो साल में पोलियो की वजह से बायां पैर पूरी तरह से डैमेज हो गया था। इसके बावजूद हौसला रखा और विश्व में नाम किया।
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