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हाकी खिलाड़ी रानी रामपाल ने कही दिल छू लेने वाली बात, हर माता-पिता को होगा गर्व

हाकी को नई पहचान दिलाने वाली रानी रामपाल ने गरीबी से जूझते हुए कामयाबी हासिल की। ओंलिपिंक में रानी रामपाल की कप्‍तानी में महिला हाकी टीम ने सफलता हासिल की। रानी रामपाल ने सोशल मीडिया पर दिल को छू लेने वाली बात कही है।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Mon, 21 Feb 2022 11:44 AM (IST)
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अपने पिता रामपाल के साथ हाकी खिलाड़ी रानी।
पानीपत, [डिजिटल डेस्‍क]। हाकी को ऊंचाईयों तक ले जानी वाली रानी रामपाल आज पहचान की मोहताज नहीं। रानी ने गरीबी से संघर्ष करते हुए कामयाबी की सीढ़ी खुद तय की। देश के लोगों ने महिला हाकी टीम के कप्‍तान के रूप में रानी रामपाल को सराखों पर बैठाया। टोक्यो ओलंपिक में रानी रामपाल ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए टीम को चौथे स्‍थान तक पहुंचाया। अब रानी रामपाल ने इंटरनेट मीडिया पर दिल को छू लेने वाली बात शेयर की है।

रानी रामपाल ने इंटरनेट मीडिया पर अपने पिता से संबंधित पोस्‍ट शेयर की है। रानी ने लिखा है कि हर लड़की अपने पति के लिए रानी हो सकती है, लेकिन अपने पिता के लिए राजकुमारी होती है। अगले जन्‍म भी आपकी बेटी बनके आयु, बस यही अरदास है। वहीं, कुछ दिन पहले भी रानी ने अपनी मां के लिए पोस्‍ट शेयर किया था। उसमें लिखा था कि दुनिया की सारी खुशियां एक तरफ और मां के हाथों से बना हुआ खाना खने की खुशी एक तरफ।

पिता ने किया संघर्ष, बेटी ने सफलता हासिल की

रानी के पिता रामपाल उसको घोड़ा बुग्गी से उसको हाकी के मैदान तक छोड़कर आते थे। पिता ने अपना काम छोड़ा, लेकिन कभी भी रानी की प्रेक्टिस को मिस नहीं होने दिया गया। रानी ने भी कोच बलदेेव सिंह की देखरेख में मैदान पर जमकर पसीना बहाया। उसने अपने लक्ष्य को पाने के लिए अपने भाई की शादी के दिन भी प्रेक्टिस नहीं छोड़ी। वह 15 साल की उम्र में 2010 विश्वकप के लिए राष्ट्रीय टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनी। वर्ल्ड गेम्स एथलीट आफ द ईयर उनके नाम है।

संघर्ष से लड़कर आगे बढ़ीं रानी

रानी रामपाल के परिवार की हालात तंग थी। वह स्कर्ट की बजाय सूट सलवार पहनकर खेलती थी। पिता इसको लेकर चिंतित भी रहते थे, लेकिन उन्होंने बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सोच को भी बदला। घर में घड़ी न होने पर मां आसमान के तारे देखकर उसको उठाती थी। उसको प्रेक्टिस के समय अपने लिए 300 एमएल दूध लाना होता था, लेकिन वह 200 ग्राम ही ला पाती थी। वह दूध पूरा करने के लिए इसमें बाकी मात्रा में पानी मिला लेती थी। रानी रामपाल आज इसका श्रेय अपने कोच बलदेव सिंह को देती हैं।

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