International Museum Day 2021: धर्म ही नहीं संग्रहालय की भी नगरी कुरुक्षेत्र, नौ संग्रहालयों में संजो रखा देश
आज विश्व संग्रहालय दिवस है। ऐसे में कुरुक्षेत्र यानी धर्मनगरी की धरती धर्म ही नहीं बल्कि सभ्यता और संस्कृति को संजेाए है। आइए जानते हैं यहां के श्रीकृष्ण संग्रहालय और पैनोरमा के बारे में। जो संस्कृति और सभ्यता को समेटे हैं।
By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Tue, 18 May 2021 01:50 PM (IST)
कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। कुरुक्षेत्र का नाम आते ही महाभारत और गीता मन में चलने लगती है। श्रीकृष्ण भगवान ने इसी धरा पर अर्जुन को नीमित कर सृष्टि को गीता का संदेश दिया था। श्रीकृष्ण और महाभारत की यादों को आज भी धर्मनगरी में संजोकर रखा गया है। वह चाहे गीता स्थली ज्योतिसर हो या फिर ब्रह्मसरोवर।
इसके अलावा भी धर्मनगरी में श्रीकृष्ण संग्रहालय के साथ नौ संग्रहालय प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सभ्यता और संस्कृति को संजोए हुए हैं। इसमें चाहे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हो या कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड या फिर सरकार। हर तरफ से आने वाली पीढ़ी को संस्कृति व सभ्यता से रूबरू कराने का प्रयास रंग ला रहा है।पैनोरमा है आकर्षण
श्रीकृष्ण संग्रहालय और पैनोरमा धर्मनगरी का आकर्षण हैं। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीईओ अनुभव मेहता ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के विचारों और आदर्शों के मद्देनजर कुरुक्षेत्र में 1987 में श्रीकृष्ण संग्रहालय की स्थापना की। इसके पश्चात 1991 में संग्रहालय को वर्तमान भवन में स्थानांतरित किया गया। 1995 में एक दूसरा संग्रहालय भवन जोड़ा गया। 2012 में मल्टीमीडिया महाभारत एवं गीता गैलरी को संग्रहालय भवन के तृतीय खंड का निर्माण किया गया।
संग्रहालय का विषय श्रीकृष्ण, कुरुक्षेत्र और महाभारत है। यह विश्व का एकमात्र संग्रहालय है। संग्रहालय में श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप के साथ महाभारत के हर बड़े क्षण को चित्रित किया गया है। ओडि़शा, कर्नाटक, तमिलनाडु व आंध्रप्रदेश से प्राप्त काष्ठ मूर्ति शिल्प का एक बड़ा संग्रह है। काष्ठ कलाकृतियों में उड़ीसा से प्राप्त 18-19वीं सदी की शैली में निर्मित चार काष्ठ फलक हैं। यहां प्रदर्शित पांडुलिपियों में गुरुमुखी में लिपिबद्ध दुलर्भ योग वशिष्ठ, फारसी में लिखित चित्रित भागवत पुराण, फारसी लिपि व ब्रजभाषा में लिखा गया चित्रित भागवत, संस्कृत में लिखी भगवद्गीता, महाभारत (अश्वमेघ पर्व) व भागवत की 18-19वीं सदी की पांडुलिपि सम्मिलित है।
सौ देशों के लोग कर चुके धरोहर का अवलोकन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक एवं धरोहर हरियाणा संग्रहालय के संस्थापक क्यूरेटर डा. महा सिंह पूनिया ने बताया कि प्रदेश की संस्कृति और धरोहर को युवा पीढ़ी से रूबरू कराने के लिए 2006 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में धरोहर स्थापित किया गया। यह एक एकड़ से अधिक में है। पहले भाग में हरियाणा की सभ्यता और संस्कृति को दर्शाया गया है। इसमें पांडुलिपि भी रखी गई है। इसके साथ खेती बाड़ी, रसोई को भी दिखाया गया है।
दूसरा भाग 2013 में स्थापित किया गया। इसमें पारंपरिक काम धंधों को दर्शाया गया है। धरोहर के लिए छह लाख किलोमीटर की यात्रा की गई और यहां 20 हजार से अधिक सामान रखे गए हैं। 25 लाख से अधिक लोग धरोहर को देख चुके हैं। करीब 100 देशों के लोग धरोहर का अवलोकन कर चुके हैं। कुरुक्षेत्र में धरोहर के अलावा, 1857 की क्रांति का संग्रहालय, श्रीकृष्णा संग्रहालय, पुरातत्व विभाग, मेजर नीतिन बाली, विद्या भारती, जीयो गीता, पैनोरमा व शेख चिल्ली मकबरा है। इसके अलावा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पांडुलिपि विभाग में करीब 14 हजार पांडुलिपि हैं।
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