वंडर गर्ल है म्हारी जाह्नवी, दुनिया भर के युवाओं की आइकॉन बनी हरियाणा की 16 साल की लड़की
लॉकडाउन में हरियाणा की वंडर गर्ल जाह्नवी आज दुनिया दुनिया भर के युवाओं की आइकॉन बन गई है। आठ भाषाओं में माहिर जाह्नवी सोशल प्लेटफार्म से युवाओं को प्रेरित कर रही हैं।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 19 May 2020 12:39 PM (IST)
पानीपत, [रवि धवन]। क्षणश: कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधये। यानी, एक-एक क्षण गंवाए बिना विद्या पानी चाहिए। इसे आत्मसात किया पानीपत के समालखा की जाह्नवी ने। जाह्नवी (गंगा) भारत में जीवन की धारा बहा रही हैं, और हरियाणा की 16 साल की जाह्नवी सकारात्मक सोच की धारा बहा रही है। डिजिटल प्लेटफार्म से प्रेरणात्मक आख्यान दे रही है। दुनिया अब उसे वंडर गर्ल के नाम से जानती है। वह दुनिया की आठ भाषाओं के एक्सेंट (उच्चारण) में माहिर है। हरियाणा की यह बेटी दुनियाभर में युवाओं के लिए आइकॉन बन गई है।
बहा रही सकारात्मक सोच की धारा, लॉकडाउन में डिजिटल प्लेटफार्म से प्रेरणात्मक संबोधन दे रही लॉकडाउन में जाह्नवी क्या कर रही है, क्या सीख रही है और क्या सिखा रही है, यह जानने के लिए जागरण ने उनसे बातचीत की। बातचीत के पहले हमें थोड़ी सी प्रतीक्षा करनी पड़ी। जाह्नवी इंग्लैंड के विद्यार्थियों से रूबरू हो रही थीं। यह वंडर गर्ल का अब रूटीन है। वह अमेरिका, इंग्लैंड आदि कई देशों में और भारत के अन्य प्रदेशों के लोगों को भी जूम, यू ट्यूब, स्काइप व अन्य डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से जीवन में सकारात्मक रहने का संदेश दे रही हैं। फोन के माध्यम से अपॉइंटमेंट फिक्स होती है। इसके बाद तय समय पर शुरू होता है उनका सेशन।
एक कार्यक्रम के दौरान युवाओं को संबोधित करतीं जाह्नवी।
रोजाना सेशन का समय तय हो रहा, अपनी कहानी सुनाकर करती हैं प्रेरित दिल्ली यूनिवर्सिटी के सत्यवती कॉलेज की बीए फाइनल की छात्रा जाह्नवी इन दिनों घर पर खुद भी जापानी और फ्रेंच भाषा सीख रही हैं। आठ वर्ष की थी, तभी से अंग्रेजी भाषा सीखने की जिद ठान ली थी। बीबीसी पर एंकर जैसा बोलते, उसे दोहराती। पड़ोस के बच्चे मजाक उड़ाते कि ये तो मिमिक्री करना सीख रही है। ऐसे भी क्या अंग्रेजी आती है। पर हार नहीं मानी। पापा के साथ दिल्ली में लाल किले पर भी गई, ताकि वहां पर विदेशियों से बात कर भाषा पर पकड़ बना सके। कुछ दिन पहले कैलिफोर्निया से इंग्लिश प्रोफेसर उनके घर पहुंच गई थीं। दरअसल, उन्होंने यूट्यूब पर जाह्ववी को बोलते देखा था। एक सप्ताह उनके साथ रहीं। साथ ही, ऑफर दिया कि वह जब चाहे कैलिफोर्निया में पढ़ने आ सकती हैं।
जब ट्रेन में सुनने की उठने लगती है मांग जाह्नवी ट्रेन से दिल्ली रोजाना अप-डाउन करती है। सोनीपत से कुछ और छात्राएं भी मिल जाती हैं। कई बार ऐसा भी होता है, ट्रेन में कुछ लोग उसे पहचान लेते हैं। उससे अलग-अलग एक्सेंट में बोलने की गुजारिश करते हैं। यहां तक की किसी स्टॉपेज पर तो छात्र-छात्राओं की क्लास तक लगा लेती हैं। उन्हेंं बताती हैं कि कैसे अंग्रेजी भाषा पर पकड़ बनाएं। रोजाना अंग्रेजी न्यूज चैनल देखें, अंग्रेजी की न्यूज पढ़ें, शीशे के सामने बोलें। जरूरी नहीं कि पहले ट्रांसलेशन करें, फिर बोलें। जो मन में आए बोलते जाएं। धीरे-धीरे अपने आप में बदलाव पाएंगे।
अपने घर में वंडर गर्ल जाह्नवी का अंदाज। 13 की उम्र में कक्षा 12 पास की जिस उम्र में आठवीं की क्लास पास होती है, उस उम्र में जाह्नवी कक्षा पास कर चुकी थी। चौथी और पांचवीं, सातवीं और आठवीं, नौवीं और दसवीं एकसाथ की। कक्षा 12 सीबीएसई से की। कम उम्र थी। इसलिए विशेष अनुमति लेकर क्लास लगाई। 13 की उम्र में ही विशेष अनुमति लेकर आइलेट की परीक्षा पास की। राजकीय प्राइमरी स्कूल में शिक्षक पिता ब्रजमोहन पवार कहते हैं, उन्होंने जाह्ववी की प्रतिभा को बचपन से पहचान लिया था। बस उसे मौके उपलब्ध कराता रहा। उनकी एक और बेटी है, सात वर्ष की सानवी।
देती हैं अपना उदाहरण मोटीवेशनल स्पीच यानी प्रेरणात्मक संबोधन में किसका उदाहरण देती हैं, इस सवाल पर कहती हैं कि वह अपने बारे में सबसे पहले बताती हैं। कैसे अंग्रेजी सीखने के लिए एक जगह से दूसरी जगह गई। किसी जगह एडमिशन नहीं मिला तो निराश नहीं हुई। उम्र कम थी, इसलिए लोग कहते थे कि ये अभी नहीं सीख पाएगी। पर मुझे कोई क्षण गंवाना गंवारा नहीं था। अब मैं सभी से कहती हूं, एक-एक पल कीमती है। आप ठान लीजिए। जो चाहेंगे, वो हासिल कर ही लेंगे। मेरी तरह।
बड़े लोगों को कैसे समझाती हैं इस पर कहती हैं कि हां, ये सवाल महत्वपूर्ण भी है और जवाब भी जरूरी है। छोटों के बजाय बड़ी उम्र के लोगों में आत्मविश्वास कम होता है। दरअसल, वे सोचते हैं कि उनके ऊपर पूरे परिवार का जिम्मा है। इस उम्र में रिस्क नहीं लिए जा सकते। नया करने की चाहत होते हुए भी तनावग्रस्त हो जाते हैं। मैं कहती हूं, जिंदगी में बाधाएं तो आएंगी ही। हम उन्हेंं अपने हिसाब से कोई न कोई नाम देकर, बहाना बनाकर असफलता की वजह मान लेते हैं। क्यों नहीं उस काम को करते, जिससे हमें खुशी मिलती है। जिस काम को करने से खुशी मिले, चाहे असफल भी होते रहें, तब भी वही काम करना चाहिए। दरअसल, आपकी खुशी ही सफलता होती है। इसे हम स्वीकार या पहचान नहीं पाते।
अंग्रेजी भाषा पर पकड़ ब्रिटिश, अमेरिकन, आरपी, पॉश, ऑस्ट्रेलियन, स्कॉटिश, कैनेडियन, नॉर्सलोक और कोकणी एक्सेंट में अंग्रेजी भाषा बोल लेती हैं। ब्रिटिश एक्सेंट सीखने में चार महीने लगे थे। क्या कोई भी जाह्नवी बन सकता है यह पूछने पर कि क्या कोई भी जाह्नवी बन सकता है, जवाब में वह कहती हैं-क्यों नहीं। ये सवाल मुझसे कई बार पूछा जाता है। ईश्वर ने सभी को दो पैर, दो हाथ दिए हैं। सभी को बराबर बनाया है। क्यों नहीं हम आगे बढऩे के लिए प्रयास करते। सफल व्यक्ति मंगल ग्रह से नहीं आते। पृथ्वी ग्रह के ही लोग हमारी धरा को और सुंदर बना रहे हैं। हम भी ऐसा कर सकते हैं।
दो गर्व वाले पल, कभी नहीं भुला सकने वाले 1. जब पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बात की
जाह्नवी बताती हैं, वह 11 वर्ष की थी। 15 अगस्त के दिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हेंं बुलाया था। वह उनसे बात भी करना चाहती थी। पर हो नहीं पा रही थी। उसने एकदम से पूछ लिया, क्या मैं आपसे बात कर सकती हूं। तब हुड्डा ने उन्हेंं गेस्ट हाउस में बुलाया। वहां काफी भीड़ थी। हमें लगा कि सीएम से नहीं मिल सकेंगे। तभी आवाज आई, जाह्नवी बेटा इधर आओ। वह थे भूपेंद्र सिंह हुड्डा। उन्होंने पांच लाख रुपये का चेक भी सौंपा।
2. जब आइएएस अफसरों के सामने बोली गुरुग्राम में हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का कार्यक्रम था। वहां पर 150 आइएएस अफसर मौजूद थे। जाह्नवी भी वहां गई थी। कहती हैं, वह परिवार के साथ वहां बैठी थीं। तभी उनसे कहा गया कि क्या स्टेज पर बोलना चाहेंगी। उसने एक सेकेंड से पहले हां कर दी। तब भी प्रेरणात्मक संबोधन ही रहा। बताया कि किस तरह अफसर हमारे देश को चलाते हैं। सकारात्मक सोच रखकर बदलाव लाया जा सकता हैं।
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