Move to Jagran APP

शहादत को सलाम: पानीपत में मेजर आशीष धौंचक पंचतत्व में हुए विलीन, राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

Anantnag Encounter दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों और जवानों के बीच हुई मुठभेड़ में बलिदान हुए मेजर आशीष धौंचक को पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया है। अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनको आखिरी विदाई देने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Fri, 15 Sep 2023 02:45 PM (IST)
Hero Image
पानीपत में मेजर आशीष धौंचक का हुआ अंतिम संस्कार
पानीपत, जागरण संवाददाता। Anantnag Encounter: दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों और जवानों के बीच मुठभेड़ में बलिदान होने वाले पानीपत के लाल और वीर सपूत मेजर आशीष धौंचक पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम  संस्कार किया गया। उनके  बलिदान होने से पूरे गांव में शोक की लहर है। आज हर किसी की आंखे गमगीन हैं। उनको आखिरी विदाई देने के लिए भारी संख्या में लोग शामिल हुए। 

अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में मेजर आशीष धौंचक ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। बीती रात उनका पार्थिव शरीर चंडीगढ़ लाया गया था फिर वहां से पानीपत भेजा गया। वीर सपूत की एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से लोग आए औप उनको देखते ही अपने आंसू नहीं रोक पाए। 

'भारत माता की जय' के लगाए नारे

मेजर आशीष धौंचक का शव अंतिम संस्कार के लिए गांव बिंझौल पहुंचाया गया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को पैदल अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को ले जाते समय पानीपत में स्कूली छात्रों और स्थानीय लोगों ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए।

अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे लोग

उनके अंतिम दर्शन को लेकर लोग पहुंच रहे हैं। वहीं, गांव में जलोगह जगह पर बच्चों से लेकर महिलाएं भी उनके अंतिम दर्शन को लेकर खड़ी हैं। जो पुष्प वर्षा करेंगी। गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें अपने मेजर आशीष पर गर्व है। जिसने देश के लिए प्राणों का बलिदान दिया। उनका आशीष अमर रहेगा। दूसरी ओर जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी उनके गांव में पहुंचे हैं।

आंतकियों से लौहा लेते हुए बलिदान

बता दें कि दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से लोहा लेते समय जिले के गांव बिंझौल निवासी मेजर आशीष धौंचक भी बलिदानी हो गए थे। उनको बचपन से ही फौज की वर्दी से प्रेम था। शहर के एनएफएल टाउनशिप स्थित केंद्रीय विद्यालय में देशभक्ति पर नाटक का मंचन करते समय फौजी का रोल निभाते थे। वो दो मई को साले की शादी में आए थे। इस दौरान 10 दिन घर रहे थे। इसके बाद वे पत्नी ज्योति व तीन वर्षीय बेटी वामिका को सेक्टर सात के मकान पर छोड़ गए थे।

23 अक्टूबर को 36वें जन्मदिन पर आना था घर

मेजर आशीष धौचक के टीडीआइ सिटी में मकान का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। 23 अक्टूबर को आशीष को अपने 36वें जन्मदिन पर घर आना था। उसी दिन मकान का गृहप्रवेश होना था। जन्म दिन भी मनाया जाना था। इसी की तैयारी में परिवार जुटा था। लेकिन उस समय परिवार की सारी खुशियां गम में बदल गई, जबकि आशीष के आने की बजाय उसके बलिदान की खबर आई। 

बच्चों के साथ महिलाएं भी अंतिम दर्शन को उमड़ी

मेजर आशीष के अंतिम दर्शनों को लेकर हर कोई लालायित है। शहर से लेकर गांव तक में जगह जगह पर बच्चों से लेकर महिलाएं उनके अंतिम दर्शन को लेकर जगह जगह पर खड़ी है। उनके हाथों में पुष्प है। जो उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षा करेंगी। महिलाएं के चेहरे पर बेटे के जाने का गम भी है, लेकिन सीने में बेटे के बलिदानी होने का गर्व भी है। ग्रामीण महिला राजो देवी ने कहा कि भगवान ऐसा बेटा सभी को दे। ऐसा मौका हर किसी को नहीं मिलता है। ये हमारे लिए गर्व की बात है। दूसरी ओर राजनीतिक लोग नवीन जयहिंद, संदीप शर्मा खलीला सहित अन्य लोग भी पहुंचे हैं।

यह भी पढ़ें- नूंह हिंसा: मामन खान को अदालत में पेश करने से पहले बढ़ाई सुरक्षा, राजस्थान से जुड़ी सीमा सील, धारा 144 लागू

पार्थिव शरीर पहुंचा तो हर आंख से निकल आए आंसू

मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को शुक्रवार सुबह ही उनके टीडीआई स्थित निवास पर लाया गया। ऐसे में सुबह से ही उनके निवास स्थान पर पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को लेकर लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर टीडीआई स्थित निवास पर पहुंचा तो हर किसी की आंखों से आंसू निकल आए। बहनें-भाई के पार्थिव शरीर को देख फूटकर रो पड़ी।

यह भी पढ़ें- सोनीपत में कंपनियों ने अपने प्लांट में मिलाई 30 मीटर ग्रीनबेल्ट, HSIIDC अधिकारियों ने मूंदी आंखें

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।