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Tokyo Olympics: सोने जैसे दो किरदार, जितेंद्र ने प्रतिभा को पहचाना, जयवीर ने नीरज चोपड़ा को आगे बढ़ाया

Tokyo Olympics के गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा के शुरुआती कोच जितेंद्र जागलान थे। वहीं पंचकूला में जयवीर के माध्यम से कोचिंग ली। जितेंद्र और जयवीर ने ही उनकी प्रतिभा को पहचाना। नीरज चोपड़ा के पिता सतीश से खास बातचीत।

By Umesh KdhyaniEdited By: Updated: Wed, 11 Aug 2021 05:56 PM (IST)
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बचपन में नीरज चोपड़ा मोटे थे। वजन कम करने शिवाजी स्टेडियम गए थे।

सुनील मराठा, थर्मल (पानीपत)। नीरज चोपड़ा। भाला फेंककर देश को ओलिंपिक में गोल्ड दिलाने वाला नायक। आपको आज नीरज के नीरज बनने की कहानी से रूबरू कराते हैं। इंटरनेट मीडिया पर कोई दावा कर रहा है कि नीरज को उसने  सिखाया, कोई कह रहा है कि उसने नीरज को भाला फेंकना सिखाया...। दैनिक जागरण ने सीधे नीरज के पिता सतीश चोपड़ा से बात की। उनसे पूछा कि किस तरह बेटा जैवलिन थ्रो करने लगा।

नीरज के पिता सतीश बताते हैं कि बचपन में नीरज मोटा था। तब उन्होंने भाई सुरेंद्र और भीम से बात की। तब सुरेंद्र भतीजे नीरज को पानीपत के माडल टाउन में एक जिम में ले आए। शिवाजी स्टेडियम भी पास ही था। वहां भी नीरज को ले गए। वहां खेल रहे खिलाड़ियों और कोच से बात की। पहले तो चार महीने तक नीरज को ट्रैक पर खूब दौड़ाया गया। यहां पर भाला फेंकना सिखाते थे जितेंद्र जागलान। उनके साथ ही थे खिलाड़ी जयवीर। खिलाड़ियों को किस खेल की तरफ जाना चाहिए, ये दोनों इसकी जांच करते थे।

ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के पहले गुरु जितेंद्र जागला।

पहले ही थ्रो में जितेंद्र ने पहचान ली प्रतिभा

पिता सतीश के मुताबिक, बरबस ही नीरज चोपड़ा भाले की तरफ देखने लगे। जितेंद्र ने कहा कि भाला फेंककर दिखाओ। उस समय पहले ही थ्रो में जितेंद्र ने पहचान लिया कि नीरज बड़ा खिलाड़ी बनेगा। बस तभी से जितेंद्र की निगरानी में कोचिंग शुरू हो गई। लेकिन एक मुश्किल थी। आर्थिक रूप से नीरज मजबूत नहीं थे। शिवाजी स्टेडियम में भाला फेंकते तो पत्थर से टकराकर जैवलिन खराब हो जाती। आगे क्या किया जाए, यही सोच रहे थे। तब जयवीर सामने आए।

नीरज चोपड़ा को पंचकूला में कोचिंग देने वाले जयवीर सिंह।

जयवीर की कई बार तारीफ कर चुके नीरज

जयवीर ने बताया कि पंचकूल के स्टेडियम का ट्रैक अच्छा है। वहां जैवलिन भी आसानी से मिल जाएगी। तब नीरज और उनका ग्रुप पंचकूला रवाना हो गया। जितेंद्र जागलान कोच थे, वह पानीपत में ही रह गए। आगे की कोचिंग नीरज ने जयवीर के माध्यम से ली। जयवीर की नीरज कई बार सराहना कर चुके हैं। जयवीर सिंह अब पटियाला में कोच हैं।

... खुद को कमरे में बंद कर रोए जयवीर

जिस दिन नीरज ने स्वर्ण पदक जीता, तब जयवीर खुशी में खूब रोए। खुद को अकेले कमरे में भी बंद कर लिया। जितेंद्र जागलान ने तो संकल्प लिया हुआ था कि जब तक नीरज ओलिंपिक में पदक नहीं जीतेंगे, तब तक उनके घर नहीं जाएंगे। जिस दिन नीरज ने पदक जीता, उस दिन वह उनके घर गए। परिवार के सदस्यों से गले मिले। खुशी में उनकी आंखें नम हो गईं।

नसीम अहमद जैवलिन के नहीं कोच, सुविधा उपलब्ध कराते थे

नीरज के पिता सतीश चोपड़ा ने जागरण को बताया कि पंचकूला में नसीम अहमद उनके बेटे नीरज चोपड़ा को जैवलिन मुहैया कराते थे। वह सीधे तौर पर नीरज के कोच नहीं थे। दरअसल, नसीम एथलेटिक्स कोच थे। भाला फेंकने की तकनीक नहीं सिखाते थे। जयवीर और उनके सीनियर साथी नीरज को सिखाते थे। नीरज नसीम का सम्मान करते थे। आज भी करते हैं।

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