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करनाल का कर्ण लेक का नया स्वरूप तैयार, सैलानियों को दिखेंगे ये खूबसूरत नजारे

हरियाणा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में करनाल के कर्ण लेक के सौंदर्यकरण का प्‍लान तैयार किया था। अब लगभग काम पूरा हो चुका है। जल्‍द ही लोगों को ये सौगात दे दी जाएगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Sat, 06 Aug 2022 02:56 PM (IST)
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करनाल के कर्ण लेक के सौंदर्यकरण का काम पूरा। फाइल फोटो
करनाल, जागरण संवाददाता। कर्ण लेक को फिर से विकसित करने की योजना अंतिम चरण की ओर बढ़ गई है। लेक के सौंदर्यकरण व सुविधाओं में इजाफा करने का कार्य 80 प्रतिशत से ज्यादा पूरा हो चुका है। उम्मीद है कि जल्द ही शहरवासियों के साथ ही हाइवे से गुजरने वाले राहगिरों को यह सौगात जल्द मिल जाएगी। लोग लेक का नया स्वरूप देखने के लिए उत्सुक हैं। यह कार्य पूरा हो जाने के बाद लोग विशेष तौर पर यहां भ्रमण करने आएंगे। खासकर शहरवासियों को शहर से चंद किलोमीटर दूर ही एक रमणिक स्थल जाने के लिए मिल जाएगा।

लेक पर भारत की ऐतिहासिक गाथा को बयान करने के लिए 35 स्कल्पचर (तराशी गई मूर्तियां) लगाई जा रही हैं। प्रत्येक मूर्ति भारतीय इतिहास के अलग अलग काल खंडों को बयान करेगी। गार्डन में 17 स्कल्पचर लगेंगे, जबकि 14 स्कल्पचर बुक कैफे की जगह पर लगाए जाएंगे। कर्ण लेक की तीन अन्य जगहों पर भी यह मूर्तियां लगाई जाएंगी। इसके साथ ही 10 दीवार भी बनाई गई है। इन पर भारत गाथा लिखी जाएगी।

यह बढ़ेंगी सुविधाएं

इस प्रोजेक्ट में अब तक बुक कैफे, फूड कोर्ट, एक आइलैंड पर लैंड स्केपिंग का कार्य, साइकिल ट्रैक और स्कल्पचर गार्डन के काम तेज गति से चल रहा है। कुल प्रोजेक्ट का अब तक 70 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है। जबकि फूड कोर्ट, पाथ-वे, सीटिंग और बुक कैफे का 80 प्रतिशत से ज्यादा कार्य मुकम्मल हो चुका है। बुक कैफे की फिनिशिंग करवाई जाएगी। आइलैंड पर लैंड स्केपिंग का कार्य भी प्रगति पर चल रहा है। साइकिल ट्रैक का 80 प्रतिशत से ज्यादा पूरा हो चुका है। टापूनुमा जगह पर बन रहा है बुक कैफे झील के एक मध्य छोर पर टापूनुमा जगह पर बुक कैफे का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है। इसका भवन बनकर तैयार हो चुका है। जबकि अब इसकी फिनिशिंग करवाई जानी है। झील की एक शांत जगह पर पेड़ो के झुरमुट में बनाया गया है । लोग यहां काफी पीने आएंगे और पुस्तकें पढ़ेंगे।

1974 में हुई थी लेक की स्थापना वर्ष 1974 में करीब 14 एकड़ में स्थित

मानव निर्मित झील का उद्घाटन हरियाणा के तत्कालीन गर्वनर बीरेंद्र नारायण चक्रवर्ती ने किया था। इसे पहले चक्रवर्ती लेक कहा जाता था, बाद में इसका नाम कर्ण लेक रखा गया। वैसे भी यह पर्यटकों का पसंदीदा स्थान है। इसके चंडीगढ़ और दिल्ली के मध्य से गुजरने वाले वीआइपी यहां कुछ समय के लिए ठहराव करते हैं और जल-पान लेकर अपने गंतव्य पर चले जाते हैं, हालांकि लोग अच्छा-खासा समय बिताने के लिए भी यहां आते रहते हैं, उनके लिए बहुव्यंजन रेस्तरां, बार और उपहार की दुकानो के साथ-साथ सुकून के लिए टहलने और नौका विहार जैसी सभी सुविधाएं मौजूद हैं।

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