Olympian Neeraj Chopra: हरियाणवी के साथ अन्य बोलियों को करेंगे प्रमोट, पानीपत में अपने गांव से करेंगे शुरूआत
पानीपत में जैवलिन थ्रो में ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा (Olympic gold medalist Neeraj Chopra) को अधिकांश इवेंट में आपने हरियाणवी टच वाली हिंदी में बात करते देखा-सुना होगा। अब नीरज हरियाणवी समेत अन्य क्षेत्रीय बोलियों को भी बहुत दूर तक लेकर जाएंगे। इस संबंध में वे अपने गांव में आज प्रेस कॉंफ्रेंस करने वाले हैं। नीरज ने कहा अपनी बोली को उच्च स्थान दिलाना सभी की जिम्मेदारी है।
By Vijay Edited By: Monu Kumar JhaUpdated: Sun, 26 Nov 2023 12:58 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पानीपत। जैवलिन थ्रो में ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा (Olympic gold medalist Neeraj Chopra) को अधिकांश इवेंट में आपने हरियाणवी टच वाली हिंदी में बात करते देखा-सुना होगा। कई अवसर पर उन्होंने अंग्रेजी बोलते हुए मेजबान को टोक भी दिया कि हिंदी में बात कर लेते हैं।
अब नीरज हरियाणवी समेत अन्य क्षेत्रीय बोलियों को भी बहुत दूर तक लेकर जाएंगे। वे क्षेत्रीय बोलियों (regional dialects) को प्रमोट करेंगे। देश-विदेश में इन बोलियों को कैसे मान सम्मान दिलवाए जाए, युवा अपनी मां बोली पर कैसे गर्व महसूस करें।
नीरज 26 नवंबर को गांव में करेंगे प्रेस कॉंफ्रेंस
इसी विषय को लेकर नीरज 26 नवंबर को गांव खंडरा (पानीपत) में स्थित संस्कृति स्कूल में प्रेस कॉंफ्रेंस करेंगे और अपनी योजना के बारे में बताएंगे। ओलिंपियन नीरज ने बताया कि कहा कि घर और गांव में हम अपनी बोली में बातचीत करते हैं। अपने सुख-दुःख एवं अन्य भावनाएं हम इसी बोली में प्रकट करते हैं।यह भी पढ़ें: Farmers Strike: चंडीगढ़ में आज किसान आंदोलन के कारण कई रास्ते बंद, इन रास्तों पर जाने से बचें
शहर में पहुंचने पर इसे बोलने में हिचकिचाते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही बोलियों का कोई व्याकरण नहीं है। पर किस्से, कहानियां, लोक कथाएं सब बोलियों का अभिन्न अंग हैं। जितना साहित्य बोलियों में मिलता है उतना अन्य किसी भाषा में नहीं मिलता।
अपनी बोली को उच्च स्थान दिलाना सभी की जिम्मेदारी
नीरज ने कहा कि वे गांव में पैदा हुए हैं, गांव में पले बढ़े हैं। अपनी बोली को उच्च स्थान दिलाना सभी की जिम्मेदारी है। बोलियों की क्रांति की इस प्रेस वार्ता को भी अपने गांव में ही करेंगे। चोपड़ा ने कहा कि बात केवल हरियाणवी बोली की नहीं है, सभी प्रदेशों की बोली बहुत मधुर है।
WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें.
शहर में रहने वाले ग्रामीण परिवार भी अपनी भाषा-संस्कृति से जुडे रहें, अपनी भाषा में बात करें, यह स्वयं का और प्रदेश भी सम्मान होगा। सबसे अच्छी बात जिस धरा पर जन्म लिया उसकी माटी से जुड़ा होने का अहसास होगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।