हरियाणा में बड़ा शोध: डिप्रेशन में है हमारी जमीन, दे रही है चेतावनी, नहीं संभले तो पडेगा भारी
हरियाणा में जमीन को लेकर शोध में बड़ा खुलासा हुआ है। करनाल स्थिति सीएसएसएसआरआइ के शोध में खुलासा हुआ है कि हमारी जमीन भी तनाव में है और वह इसके संकेत भी दे रही है। यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया तो यह बहुत भारी पड़ेगा।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 01 Dec 2020 08:47 AM (IST)
करनाल, [प्रदीप शर्मा]। हरियाणा में एक शोध में बड़ा खुलासा हुआ है और यह बड़े खतरे की घंटी है। तनाव से हम ही परेशान नहीं हैं हमारी जमीन भी इसकी शिकार हो रही है। जमीन इसकी चेतावनी भी दे रही है, लेकिन हम इसकी अनदेखी कर रहे हैं या इस ओर हमारा ध्यान ही नहीं है। अगर अब भी नहीं संभले तो आने वाले समय में यह बहुत भारी पडेगा।
प्रदूषित भूजल और जमीन की घटती उर्वरा शक्ति कृषि क्षेत्र में आने वाले समय की सबसे बड़ी चुनौती यह शोध हुआ है करनाल स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (CSSSRI) में। इसमें कहा गया है कि भूमि के तनाव का असर यह हो रहा है कि उसकी उत्पादकता तेजी से कम हो रही है। दरअसल, हम जमीन को तनाव मुक्त करने के तरीकों पर काम ही नहीं कर रहे हैं। इससे इस डिप्रेशन का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। अब भी यदि जमीन की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाला वक्त कृषि क्षेत्र के लिए खास चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए अब भी वक्त है, हमें संभल जाना चाहिए। इसके साथ ही अन्य बड़े संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
करनाल के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में हो चुकी गहन चर्चा केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में इस विषय पर वैज्ञानिकों द्वारा कई बारचिंता जाहिर की जा चुकी है। सीएसएसएसआरआइ का मानना है कि मृदा यदि तनाव मुक्त होगी तो 1.8 गुना तक उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। संस्थान में इस बारे में उपायों पर अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में चर्चा भर हाे चुकी है।
वाकई होता है जमीन को तनाव ? वैज्ञानिकों के अनुसार, जमीन की अपनी खास तासीर होती है। जब यह कम होना शुरू होती है तो इसका असर पड़ना शुरू होता है। इस असर को ही वैज्ञानिक भाषा में जमीन का तनाव बोलते हैं। इसमें जमीन बंजर होने लगती है। ऐसी जमीन इसका शिकार होती है जहां पानी जमा रहता है, या वह जमीन जिसकी उत्पादक क्षमता कम है।
क्यों जमीन डिप्रेशन में आ रही है?सीएसएसआरआइ की ओर से आयोजित इंटरनेशनल कान्फ्रेंस में अफ्रीकन एशियाई ग्रामीण विकास संगठन के महासचिव इंजीनियर वास्फी हसन एल श्रीलीन ने स्पष्ट किया था कि शुद्ध जल की कमी इसकी सबसे बड़ी वजह है। इससे जमीन पर सबसे ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जमीन में नमक की मात्रा बढऩे से रोकनी होगी। भूजल को प्रदूषण से बचाना होगा। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने होंगे तभी जमीन में तनाव कम होगा। जमीन में नमक की मात्रा बढऩा बड़ा खतरा है।
जमीन को तनाव से बचाने के लिए उठाए जा रहे कदम
जमीन का तनाव रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास शुरू हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा मानचित्र तैयार करने की योजना है, जो बताएगा कि कहां कहां और कितने नीचे तक जमीन में नमक की क्या मात्रा है? इससे फायदा यह होगा कि नीति बनाने के साथ इसे रोकने की दिशा में काम आसान हो जाएगा।--------
'जमीन का तनावमुक्त होनी जरूरी' '' जमीन तनावमुक्त होगी तो किसानों की आमदनी 1.8 गुना बढ़ सकती है। बेहतर क्वालिटी का अनाज मिलेगा। वैज्ञानिक जमीन को ताकतवर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। सबको मिलकर काम करना होगा। प्रदूषण कम से कम हो। घर हो या बाहर, हर जगह वेस्ट से कंपोस्ट खाद बनाए। नदियों को प्रदूषणमुक्त रखने में सहयोग दें।
- डा. एसके चौधरी, सहायक महानिदेशक, आइसीएआर, नई दिल्ली।
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