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किसान आंदोलन से रेलवे की हरियाणा-पंजाब घटी कमाई, 415 करोड़ का नुकसान

कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में चल रहे किसानों के आंदोलन के कारण मालगाड़ियों की आवाजाही बिलकुल ठप है। इस कारण फिरोजपुर डिवीजन को 240 करोड़ और अंबाला मंडल को 175 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 03 Nov 2020 11:49 AM (IST)
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मालगाड़ियां न चलने से रेलवे को नुकसान। सांकेतिक फोटो

अंबाला [दीपक बहल]। कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसानों के आंदोलन के कारण अंबाला और फिरोजपुर रेल मंडल को करीब 415 करोड़ रुपये की माल ढुलाई में नुकसान हुआ है। पटरियों पर किसान बैठे होने के कारण मालगाडिय़ों की आवाजाही तक बंदी पड़ी है। पंजाब के होशियारपुर से लोड होने वाले ट्रैक्टर मजबूरन अंबाला और धूलकोट से लोड कर आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश भेजे जा रहे हैं। इसी प्रकार, गुरुग्राम और अन्य जगह जाने वाला सीमेंट भी पंजाब के कीरतपुर की जगह अंबाला से मालगाडिय़ों में लोडिंग हो रही है।

रेलवे का एक बड़ा रिकार्ड बनाने में यह प्रदर्शन रोड़ा बन गया, क्योंकि कोरोना काल में देशभर के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले सारे रिकार्ड टूट गए हैं। देशभर में सितंबर माह में माल की ढुलाई 15 तो अक्टूबर में 18 फीसद अधिक हुई है। यहां तक कि मालगाड़ी में स्पीड भी बढ़ी है। इस कारण सामान भी दूसरे राज्यों में जल्दी पहुंचाया जा सका। रेल अधिकारियों का मानना है कि यदि पंजाब में चक्का जाम न होता तो 18 फीसद की जगह यह आंकड़ा और बढ़ जाता।

पंजाब का आंदोलन रेल पटरियों पर पहुंचने के कारण चंडीगढ़ से लोडिंग होने वाला सामान भी प्रभावित हो रहा है। ट्रैक्टरों को सड़क मार्ग से अंबाला और धूलकोट से दूसरे राज्य भेजा जा रहा है। करीब चार हजार ट्रैक्टर अब तक भेजे जा चुके हैं। इसी प्रकार, एसीसी सीमेंट भी पंजाब से बाय रोड अंबाला और फिर यहां से दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है। रेलवे का फोकस है कि ट्रांसपोर्ट से जो माल ढुलाई हो रही है वह रेलवे के माध्यम से ही हो। पिछले दिनों रेलवे के इसी फोकस के काराण आटोमोबाइल कार-जीप, ट्रैक्टर आदि की लोडिंग रेलवे में बढ़ गई है।

टूटे पिछले रिकार्ड, रेल मंत्रालय ने थपथपाई पीठ

कोरोना काल में भी रेलवे ने अपने ही पिछले रिकार्ड माल ढुलाई में तोड़ दिए हैं। देश में दौड़ रही मालगाडिय़ों की बात करें तो अप्रैल 2019 में जहां 101 मीट्रिक टन था तो 2020 में घटकर 65.4 मीट्रिक टन ही रह गया। अगस्त 2019 में जहां 91.02 मीट्रिक टन लोडिंग हुई वहीं 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 94.33 मीट्रिक टन हो गया। सितंबर 2019 में 98.53 मीट्रिक टन की जगह आंकड़ा बढ़कर 2020 में 102.12 पहुंच गया। अक्तूबर 2019 का 36.85 का आंकड़ा 2020 में 43.46 मीट्रिक टन हो गया।

किसान आंदोलन के कारण आमदनी पर असर

अंबाला मंडल की बात करें तो किसानों के प्रदर्शन का नुकसान रेलवे की आय पर पड़ा है। अंबाला मंडल की आमदनी अक्टूबर 2019 में 154.96 करोड़ हुई थी वहीं अब घटकर 2020 में 64.23 करोड़ रुपये रह गई। हालांकि, अंबाला और धूलकोट स्टेशन की आमदनी बढ़ गई है। आंदोलन के कारण इन दोनों स्टेशनों से माल ढुलाई हो रही है। अंबाला में अक्टूबर 2019 में जहां आमदनी 7.46 करोड़ थी, इस बार अक्टूबर 2020 में 9.10 हो गई। धूलकोल में 2019 में 2.34 से बढ़कर 9.10 हो गई।  

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