Move to Jagran APP

यंगिस्‍तान की कहानियां पढि़ए, कोविड संक्रमण अवसर बन गया, पहले ही प्रयास में यूं बन गए चार्टर्ड एकाउंटेंट

कोविड का पाजिटिव असर पहले ही प्रयास में सीए बन गए। पानीपत के युवाओं की कहानी प्रेरणा देने वालीं। टाप-5 में तीन बेटियां। आनलाइन पढ़ाई की। तैयारी इतनी शानदार थी कि आठ पेपर एकसाथ दिए आठों में पास हो गए।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Wed, 03 Feb 2021 11:08 AM (IST)
Hero Image
पानीपत के विराट नगर में रहने वाली जैसमीन।
पानीपत, जेएनएन। कोविड पाजिटिव इनके करिअर के लिए पाजिटिव हो गया। यंगिस्‍तान के युवाओं ने पहले ही प्रयास में चार्टर्ड एकाउंटेंट की परीक्षा को पास कर लिया। इतना ही नहीं, कुछ युवाओं ने एकसाथ आठ पेपर दिए। आठों ही पास कर लिए। अगर एक पेपर में फेल हो जाते तो फेल हो जाते। पर युवाओं की तैयारी ऐसी थी कि रिस्‍क लेने से पीछे नहीं हटे। इंस्टीट्यूट आर्फ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आफ इंडिया (आइसीएआइ) ने सीए फाइनल परीक्षा परिणामों की घोषणा कर दी है। पानीपत में 49 युवाओं ने यह परीक्षा पास की है। टाप फाइव में तीन बेटियां और दो बेटे हैं।

न्यू हाउसिंग बोर्ड कालोनी की रहने वाली जया गुप्ता ने 502 अंक के साथ टाप किया है। सबसे खास बात ये है कि इस बार पहले ही प्रयास में सफलता हासिल करने वाले युवाओं की संख्या ज्यादा है। पहले चार स्थान पर रहने वालों ने युवाओं ने जागरण को बताया कि उन्होंने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली। दरअसल, कोविड की वजह से उन्हें तैयारी के लिए ज्यादा समय मिला। लाकडाउन के वक्त पढ़ते रहे। लाकडाउन खुला तो भी ज्यादा बाहर नहीं जा पाते थे। सो, पढ़ाई पर ही फोकस किया। इसका नतीजा ये हुआ कि जो परीक्षा एक या दो साल बाद पास होनी थी, पहले ही प्रयास में कामयाबी मिल गई। आप भी पढ़िए टाप युवाओं की कहानी।

पापा को देखकर सीए बनने की ठानी थी, पढ़ाई के बाद कुछ देर फेसबुक पर रहती

विराट नगर में रहती हैं जैसमीन। 481 अंक लेकर पानीपत में दूसरे स्थान पर आई है। पापा चिरंजीव सोढ़ी सीए हैं। मम्मी मनज्योति स्कूल में टीचर हैं। जैसमीन कहती हैं कि उसने पापा को देखकर सीए बनने की ठानी थी। पापा की खुद की प्रैक्टिस है। पर वह जाब करना चाहती है। छोटा भाई इंजीनियरिंग कर रहा है। सीए बनने के लिए कितना पढ़ना जरूरी, इस सवाल पर कहती हैं- ये जरूरी नहीं कि 24 घंटे पढ़ते ही रहें। रट्टा न लगाएं। सवालों को समझें। सीए की परीक्षा में समझ पर बहुत फोकस रहता है। वह जब काफी देर तक पढ़ लेती थी तो मूड हल्का करने के लिए फेसबुक खोल लेती थी। हां, बाहर घूमने नहीं गई। 12वीं में 96 फीसद अंक आए थी। भरोसा था कि सीए बन जाऊंगी।

jaya gupta

जया गुप्ता।

दो वर्ष पहले पिता को खोया, हौसला नहीं टूटा...पहले ही चांस में बनीं सीए

न्यू हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहती हैं जया गुप्ता। इकलौती बेटी हैं। दो साल पहले पिता ईश्वरचंद गुप्ता का निधन हो गया था। मां ओमपति ने बेटी को संभाला। कहा कि, बेटी पढ़ाई मत छोड़ना। बाकी सब वह देख लेगी। जया ने भी हौसला नहीं खोया। 12वीं के बाद ही ठान लिया था कि सीए बनना है। जया कहती हैं, पापा होते तो आज बहुत खुश होते। उसे दैनिक जागरण से ही पता चला है कि उसने पानीपत में टाप किया है। जया का कहना है कि खुद पर भरोसा रखें।उसने बिना बाहरी कोचिंग के सफलता हासिल की है। इंस्टीट्यूट में जरूरी क्लास के लिए जाती थी। बाकी आनलाइन पढ़ाई की। जितना पढ़ाे, उतना याद रखो। बिना तनाव के पेपर दें। जया ने 502 अंक हासिल किए हैं।

aviral goel

अविरल गोयल।

खुद को समय दें, इतना मुश्किल नहीं है सीए बनना

जींद के सफीदों में रहते हैं अविरल गोयल। पानीपत में रजिस्ट्रेशन कराया था। 11वीं के बाद ठान लिया था कि सीए बनना है। पिता मंगत गोयल आढ़ती हैं। मां कमलेश रानी घर संभालती हैं। पढ़ाई के लिए अविरल कई बार पानीपत आते। लाकडाउन के वक्त पढ़ाई करने का अच्छा अवसर मिला। उनका कहना है कि पूरा दिन किताबों में जुटे रहना चाहिए, ये सोच ठीक नहीं है। खुद को समय दें। पढ़ाई करें। सीए बनना इतना मुश्किल नहीं है। देश जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, उसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट की मांग बेहद ज्यादा है। युवाओं को यह समझना होगा। देश के विकास में सीए की महत्वपूर्ण भूमिका थी, है और होगी। अविरल 476 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

keshav

केशव खुराना।

आठ के आठ पेपर पास

सेठी चौक पर रहते हैं केशव खुराना। 461 अंक के साथ पानीपत में चौथे स्थान पर रहे। पापा बिजनेस मैन हैं, मां गृहिणी। केशव ने बताया कि कोविड के कारण लगे लाकडाउन में बढ़ा साथ दिया। पढ़ने का पूरा समय था। इसके अलावा बाद में भी पढ़ाई का खूब समय मिला। पैनड्राइव में लेक्चर ले आते थे। उसे ही मोबाइल फोन और कंप्यूटर में लगाते, रात को चैप्टर समझ लेते थे। आनलाइन क्लास से पढ़ाई की। वैसे, कुछ युवाओं ने कोविड की वजह से पेपर दिया भी नहीं। जिन्होंने तैयार की, उन्होंने पेपर दिया। वो पास भी हुए। उन्होंने 21 नवंबर से छह दिसंबर तक फाइनल परीक्षा के आठों पेपर दिए। सभी में पास हो गए, क्योंकि तैयारी अच्छी थी।

prabhjot

प्रभजोत।

अब पत्नी भी सीए

इस साल के रिजल्ट से पति-पत्नी, दोनों सीए बन गए हैं। रवींदर सिंह पहले ही सीए थे। उनकी पत्नी प्रभजोत ने सीएस की थी। पति को कहती थीं कि सीए भी बनेंगी। परीक्षा में शामिल हो गईं। इस साल के रिजल्ट में वह भी पास हो गईं। अब दोनों पति-पत्नी सीए हैं।

  • सीए बनने के लिए तीन चरण
  • सीए फाउंडेशन : यह एक तरह से प्रवेश परीक्षा होती है। इसे अब सीपीटी के नाम से जाना जाता है।
  • सीए इंटर : इसे दो ग्रुप में विभाजित किया गया है। इसे सीए आइपीसीसी के नाम से जाना जाता है।
  • सीए फाइनल : यह भी दो ग्रुप में विभाजित है। चार-चार पेपर के दो ग्रुप होते हैं। सभी में चालीस से ऊपर नंबर लेना अनिवार्य है। ग्रुप में औसत पचास फीसद नंबर होने चाहिए।
 इस साल का रिजल्ट

  • 221 : युवाओं ने परीक्षा दी
  • 49 : युवा पास हुए
  • 22 : फीसद पास परिणाम आया
पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें: Red Fort Violnce के आरोपित दीप सिद्धू बोला- पंजाब में शंभू मोर्चा के बाद कांग्रेस ने दिया न्‍योता, भाजपा व आप भी निशाना


यह भी पढ़ें: Nikita Tomar Murder Case: हरियाणा के निकिता तोमर हत्याकांड में आरोपित की दोबारा जांच की याचिका HC ने खारिज की


हरियाणा की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।