सेक्टर-29 पार्ट टू में 15 करोड़ कीमत के एक प्लॉट को बचाने के लिए पिछली तारीखों में ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आने के बाद सुर्खियों में आए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का एक और कारनामा सामने आया है। कार्यालय से सेक्टर 29 पार्ट-2 में प्लॉटों के सर्वे की वीडियोग्राफी की सीडी ही कार्यालय से गायब कर दी गई। अधिकारी कई बार मामला उठने के बाद भी सीडी मामले में आरोपितों पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 29 Apr 2018 08:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, पानीपत : सेक्टर-29 पार्ट टू में 15 करोड़ कीमत के एक प्लॉट को बचाने के लिए पिछली तारीखों में ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आने के बाद सुर्खियों में आए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का एक और कारनामा सामने आया है। कार्यालय से सेक्टर 29 पार्ट-2 में प्लॉटों के सर्वे की वीडियोग्राफी की सीडी ही कार्यालय से गायब कर दी गई। अधिकारी कई बार मामला उठने के बाद भी सीडी मामले में आरोपितों पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा 2013 में सेक्टर 29 पार्ट 2 का पांच सदस्यीय कमेटी से सर्वे कराया गया था। जिसका नेतृत्व तत्कालीन एसडीएम अश्वनी मलिक ने की थी। सर्वे की वीडियोग्राफी कराई थी। सर्वे की रिपोर्ट के साथ सीडी भी दी गई थी। एडवोकेट जु¨गद्र मलिक ने हुडा से आरटीआइ के तहत सर्वे की सीडी मांगी तो अधिकारियों ने न होने की बात कही, जबकि सर्वे रिपोर्ट में सीडी देने की बात कही थी।
प्लॉटों में और भी गड़बड़ी की संभावना सेक्टर 29 पार्ट टू में वीडियोग्राफी की सीडी गायब होने के बाद अधिकारियों व कर्मचारियों के स्तर पर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट देने में गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। कुछ और उद्यमियों ने अपने प्लॉटों को बचाने के लिए इस तरह से पिछली तारीखों में ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट बनवाया है।
अधिकारियों की मिलीभगत आती है नजर
एडवोकेट जु¨गद्र मलिक ने लोकायुक्त में इसकी भी शिकायत दी है। उन्होंने कहा कि हुडा अधिकारी खुद सीडी न होने की बात कह रहे हैं। इसमें अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आ रही है। ऐसे में उन पर कार्रवाई की जाए। लोकायुक्त ने हुडा प्रशासक को संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों पर 31 जनवरी 2018 तक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। प्रशासक अब भी अधिकारियों व कर्मचारियों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रहे।
मामले का फ्लैश बैक सरकार ने 2002 में डाई हाउस के लिए 770 प्लॉटों का सेक्टर 29 पार्ट 2 में काटा था। डाई हाउस संचालक 614 प्लॉट ही ले सके थे। बाकी 165 प्लॉट सामान्य उद्यमियों को दे दिए। हुडा के नियम के मुताबिक उद्यमियों को पांच साल में ही निर्माण कार्य पूरा कर ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट लेना था, लेकिन उद्यमी प्लॉटों पर किसी तरह का निर्माण नहीं कर सके। प्रशासन ने 2013 में सेक्टर का सर्वे कराया। जिसकी वीडियोग्राफी भी कराई। हुडा द्वारा प्लॉट नंबर 300 का ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट 2011 में दिखा दिया गया, जबकि 2013 में हुए सर्वे में प्लॉट को खाली दिखाया गया। इस मामले में जेई ओम ¨सह, जेई जयवीर ¨सह, फील्ड चौकीदार राजकुमार व हुडा सुपरिटेंडेंट का हाथ होना पाया था। प्रशासक ने अपनी जांच में भी इनको दोषी पाया है। वर्जन : विभागीय जांच में सेक्टर 29 पार्ट-2 में प्लॉट नंबर 300 का ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट गलत तरीके से जारी करने का मामला सामने आया है। प्लॉट व इसमें दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी। इसको लेकर उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लिया जाएगा। विजय राठी, ईओ, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, पानीपत।
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