कैथल/करनाल, जेएनएन। किसी न जमीन बेची तो किसी ने मोटे ब्याज पर लाखों रुपये का कर्ज लेकर अपने बेटों को विदेश भेजा। उम्मीद थी कि परिवार के हालात बदल जाएंगे ओर बेटा विदेश से खुशियां व समृद्धि भेजेगा। लेकिन वे ट्रैवल एजेंटों के जाल में ऐसे फंसा कि अब की जगह बर्बादी लेकर लौटा है।कई ताे खतरनाक कोरोना के चंगुल में फंस कर आए हैं। फर्जी एजेंटों के माध्यम से विदेश पहुंचे हरियाणा के अनेक युवा अब वहां फंसे हुए हैं। कोई जेल में बंद है तो कोई जंगलों में पड़ा है। वहां पकड़े जाने के बाद जेलों की यातनाओं का डर भी यहां उनके परिवारों के होश उड़ा रहा है।
कैथल जिले के पूंडरी, ढांड, गुहला-चीका और कैथल ब्लॉक के कई गांव के युवक एजेंटों के माध्यम से अमेरिका भेजे गए थे। इन लोगों को अमेरिका पहुंचाने और वहां अच्छा काम दिलाने का झांसा देकर ट्रैवल एजेंटों ने फंसा लिया। इनको पहले अन्य देशों में भेजा गया और फिर जंगलों के रास्ते अवैध या अधूरे कागजात के सहारे अमेरिका में दाखिल करा दिया गया। वहां पकड़े गए तो पहले जेल मं रहे और अब वहां कोरोना संकट के बाद डिपोर्ट कर दिए गए। इस तरह सारे सपने टूट गए।
कैथल के ढांड कस्बा के एक गांव निवासी व्यक्ति ने बताया कि उसका भतीजा मार्च 2019 में अमेरिका गया था। बेटे को अमेरिका भेजने के लिए भाई ने अपने हिस्से की जमीन बेच दी, लेकिन इसके बावजूद जब एजेंट द्वारा मांगी गई रकम इकट्ठी नहीं हुई तो ब्याज पर पैसे उठाते हुए पैसे एकत्रित किए। करीब 30 लाख रुपये खर्च कर बेटे को विदेश भेजा। अभी बेटे को अमेरिका में काम नहीं मिला था।गांव का एक अन्य युवक भी एजेंट के माध्यम से अमेरिका गया था। कोरोना महामारी के चलते कई भारतीय युवकों सहित इन दोनों को भी एक कैंप में रखा हुआ था और अब वहां से वापस भारत लौटा दिए गए हैं। अब उन्हें अपने बच्चों की चिंता सता रही है। प्रशासन से सूचना मिली है कि दोनों को हिसार के अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में क्वारंटाइन किया गया है।
38 लाख लगाकर भेजा था अमेरिका, मास्को में फंसा
पूंडरी क्षेत्र के एक व्यक्ति ने 38 लाख रुपये खर्च कर अपने बेटे को अमेरिका भेजा था, लेकिन युवक अब मास्को में फंसा हुआ है। कई दिनों से परिवार के लोगों से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। इसी प्रकार पूंडरी क्षेत्र के एक अन्य गांव के कई युवक एजेंटों के माध्यम से अमेरिका गए थे। अवैध रूप से घुसने पर वहां पकड़े गए। इसके बाद वहां के प्रशासन ने इन्हें जेल बंद कर दिया। अमेरिका में अब कोरोना महामारी के मामले बढ़ने के बाद जेलों से इन युवकों को छोड़कर वापस भारत भेज जा रहा है।
कई युवक वहां अब भी फंसे हैं। उनके परिवार को इस वजह से भारी खामियाजा उठाना पड़ रहा है और उनको वहां से रिहा करा कर वापस लाना बेहद मुश्किल लग रहा है। परिवार के लोगों ने बताया कि बच्चों से बातचीत करने के लिए 200 डॉलर (14 हजार रुपये) खर्च करने पड़ रहे हैं। स्वजनों ने बताया कि महामारी के चलते पैदा हुए हालात ने उन्हें बर्बाद कर दिया है। जमीन बेचकर और ब्याज पर कर्ज लेकी बच्चों को विदेश इसलिए भेजा था कि घर की गरीबी दूर हो जाएगी, लेकिन ऐसी स्थिति पैदा होगी ऐसा कभी नहीं सोचा था। अब तो भगवान से ये ही प्रार्थना है कि उन्हें लाल वापस घर लौट आएं।
जान जोखिम में डालकर तय करते हैं परदेस का सफर
पूरे मामले में फिर यह गंभीर सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर क्यों तमाम किस्म के जोखिम उठाकर बड़ी संख्या में हरियाणा के लोग साल-दर-साल विदेश का रुख कर रहे हैं। इसके लिए न तो उनके पास जरूरी वैध दस्तावेज होते हैं और न ही आगे की राह को लेकर कोई निश्चित विकल्प। आलम यह है कि अवैध तरीकों से विदेश जाने का जुगाड़ लगाने की खातिर वे न सिर्फ अपने काम में माहिर एजेंटों के चंगुल में फंसकर मोटी रकम गंवा रहे हैं बल्कि कई बार उनकी जान भी चली जाती है।
अवैध आव्रजन में पकड़े गए इन लोगों में हरियाणा के करनाल सहित अंबाला, कु़रुक्षेत्र, यमुनानगर, जींद व कैथल आदि जिलों के भी काफी लोग शामिल हैं। मेक्सिको और अन्य देशों के रास्ते अमेरिका का सफर तय करने वाले ये लोग मुख्यत: सेन फ्रांसिस्को, न्यूयार्क, शिकागो, वाशिंगटन व अटलांटा में रह रहे थे। अमेरिकी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद इन्हें निर्धारित प्रक्रिया के तहत डिपोर्ट करके भारत लाया गया।
जाहिर है कि इतनी बड़ी संख्या में न केवल करनाल बल्कि हरियाणा के अन्य जिलों से भी आम लोगों द्वारा अमेरिका का रुख करने का यह सिलसिला यूं ही जोर नहीं पकड़ रहा। जागरण की पड़ताल में मालूम चला कि, ऐसे तमाम लोग बड़ी संख्या में अपनी जान जोखिम में डालकर लैटिन अमेरिका के रास्ते अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं। पूरी तरह अनाधिकृत रास्तों का इस्तेमाल करने वाले ये अप्रवासी न सिर्फ अपनी, बल्कि कई बार अपने परिवार तक की जिंदगी खतरे में डाल देते हैं।
ऐसा ही एक मामला कुछ समय पहले सुर्खियों में आया था, जब महज छह वर्ष की गुरुप्रीत कौर एरिजोना मरुस्थल में अपनी मां के साथ सीमा पार करते हुए प्यास से मर गई थी। इसी तरह, हालिया घटनाक्रम के तहत विदेश से लौटे हरियाणा के बाशिंदों ने भी तमाम खतरे उठाकर अमेरिका का रुख किया था। उन्होंने यह जोखिम भरा कदम क्यों उठाया, इस पर फिलहाल इस पूरी फेहरिस्त में शामिल लोगों के स्वजन कुछ खुलकर नहीं कहना चाहते लेकिन इतना अवश्य स्वीकारते हैं कि रातोंरात पैसा कमाने की चाहत अथवा अमेरिकी लाइफस्टाइल में रचेे-बसे ग्लैमर की चकाचौंध से आकर्षित होकर ही अक्सर ज्यादातर युवा ऐसा करते हैं।
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अपनाते हैं तमाम हथकंडेअवैध तरीके से हरियाणा व अन्य राज्यों के लोगों को विदेश ले जाने के लिए मानव तस्कर रूपी ट्रेवल एजेंट तमाम हथकंडे अपनाते हैं। इसके तहत उन्हें पहले इक्वाडोर, कोलंबिया, पनामा और होंडुरास होते हुए मेक्सिकाे ले जाया जाता है। मेक्सिको सीमा पर इतनी तगड़ी चौकसी रहती है कि कई मर्तबा यहां बड़ी संख्या में पहुंचे भारतीय को पकड़ा जा चुका है। अमेरिका की इस दक्षिणी पश्चिमी सीमा के रास्ते अवैघ रूप से देश में घुसते पकड़े जाने वालों में सबसे बड़ा प्रतिशत भारतीयों का ही रहता है।
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करनाल से ये लोग शामिलहरियाणा के करनाल से अमेरिका जाने वाले इन लोगों में नीलोखेड़ी के वीरेंद्र कुमार सांवत, गगसीना के अमरदीप, घोगलपुर के मंजीत मान, घरौंडा के कैमला निवासी अंकुश, नीलोखेड़ी के सौकड़ा निवासी गुरजीत सिंह, असंध के गंगराठी निवासी रोहताश, घोषड़ीपुर के अमित कुमार, करसौद के रिंकल शर्मा, इंद्री के मान सिंह, निसिंग के गुनियाना रोड के तरनदीप सिंह, सीतामाई के नितेश कुमार, सीकरी के अमनप्रीत, कुंजपुरा के कपिल, निगदू के गितलपुर जंबा के जसमेर सिंह, करनाल के अर्शदीप व वरिंदर सिंह, कतलाहेड़ी के विकास, असंध के योगेिंदर, रंगरूटी खेड़ा के कपिल सिंह, सांभली के भानू सिंह, गीतपुर के मयंक, बनसा के प्रभजोत सिंह, कैमला के राजबीर सिंह, कैथल रोड के दीपक आदि शामिल हैं।
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