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अंबाला के उस मंदिर की कहानी, जहां प्रसाद के रूप में मिलता है मक्खन, दूर होते हैं चर्म रोग

अंबाला के माता बाल सुंदरी मंदिर की कहानी। जहां 61 किलो मक्खन से बनाई जाती है बाला सुंदरी की प्रतिमा। मक्खन का लेप भक्तों को औषधि के रूप में बांटा जाता है। जिसे शरीर पर लगाने से चर्म रोग दूर होते है।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Sun, 27 Mar 2022 10:36 AM (IST)
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अंबाला का माता बाल सुंदरी का मंदिर।

अंबाला शहर, जागरण संवाददाता। हमारे भारत में कई तरह की मान्यताएं हैं। ऐसी ही एक मान्यता अंबाला के माता बाला सुंदरी मंदिर से जुड़ी भी है। अंबाला शहर के मुलाना क्षेत्र में माता बाला सुंदरी मंदिर में साल में एक बार दिव्य पिंड़ी पर 61 किलो मक्खन का लेप किया जाता है। इसके बाद हवन यज्ञ करके चर्म रोग दूर करने की औषधि के रूप में लोगों को बांटा जाता है। मंदिर प्रांगण में आयोजित हवन यज्ञ में मंदिर कमेटी सदस्य आहुति डालते हैं। मक्खन रूपी औषधि लेने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहता है। मान्यता है कि मक्खन रूपी दवाई को चमड़ी के रोगी को लगाने से उसका चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

माता बृजेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा के बाद मुलाना में मान्यता

मंदिर कमेटी सचिव अशोक राणा ने बताया कि मक्खन रूपी लेप को औषधि के रूप में बांटे जाने की मान्यता माता बृजश्वेरी मंदिर कांगड़ा के बाद केवल माता बाला सुंदरी मंदिर मुलाना में है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष यहां मक्खन रूपी औषधि लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। यह परंपरा मंदिर में पिछले 12 सालों से है। माता बाला सुंदरी मंदिर मुलाना में मकर सक्रांति के अवसर पर माता की दिव्य पिंडी पर किए लेप में 3 किलो मेवा और 58 किलो मक्खन काे मिलाया जाता है। पहले हर साल मंदिर प्रांगण में करीब 31 या 40 किलो की मक्खन से प्रतिमा बनाई जाती थी, लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के चलते मंदिर में 61 किलो मक्खन का प्रयोग कर रहे हैं।

क्या कहते हैं मंदिर पुजारी

मंदिर पुजारी पंडित चिरंजीवी ने बताया कि जब माता बाला सुंदरी भैरों के प्रहार से घायल हो गई थी, तब माता ने मकर सक्रांति के दिन गर्भ जून में मक्खन से सात दिन तक लेप किया था, जिससे माता के जख्म ठीक हो गये थे। लोग इस मक्खन रूपी औषधि और मां के आशीर्वाद को लेने पहुंचते हैं। 

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