Railway News: रेलवे में टिकट घोटाला, ब्लैंक टिकट को लंबी दूरी यात्रा की बनाकर फर्जीवाड़े का 'खेल'
Railways Ticket Scam रेलवे में अब टिकट घोटाला सामने आया है। यह बात सामने आई है कि रेलवे कर्मचारी ब्लैंंक टिकट को लंबी दूरी की यात्रा बनाकर फर्जीवाड़े का खेल कर रहे थे। मामले के सामने आने के बाद इसकी जांंच करवाई जा रही है।
अंबाला, [दीपक बहल]। Railways Ticket Scam : रेलवे में अब टिकट घोटाला सामने आया है। इसमें अनरिजर्व टिकटिंग सिस्टम (यूटीएस) से रेलकर्मी ब्लैंक (बिना प्रिंट की) टिकटें निकालकर उन्हें लंबी दूरी की बनाकर राशि अपनी जेब में डालते रहे। अंबाला मंडल के तीन रेलवे स्टेशनों पर कर्मचारी यह खेल करते रहे। ये टिकटें खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ जाने वाले यात्रियों को थमाई जाती थीं। इन फर्जी टिकटों को दूसरे स्टेशनों पर तैनात टिकट चेकिंग कर्मी भी नहीं भांप पाए। इस पूरे फर्जीवाड़े में चीफ बुकिंग सुपरवाइजर (सीबीएस) सहित चार कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं।
अंबाला मंडल के संगरूर, बरवाला और धुरी स्टेशनों पर चल रहे फर्जीवाड़े से उठा पर्दा
अंबाला रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) हरिमोहन ने मामला संज्ञान में आते ही जांच बैठा दी है और दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे के बड़ौदा हाउस के अधिकारियों को भी जानकारी दे दी है। अब अन्य स्टेशनों पर भी जांच की जा रही है कि कहीं इस तरह से अन्य रेलकर्मी भी तो खेल नहीं कर रहे।
चीफ बुकिंग सुपरवाइजर सहित चार कर्मचारी संदेह के घेरे में
अभी तक की जांच में अंबाला रेल मंडल के संगरूर, बरवाला और धुरी स्टेशन में यह घोटाला होने के संकेत मिले हैं। जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि यह घोटाला कब से चल रहा है। संगरूर से दिल्ली और संगरूर से मथुरा की जारी की गई फर्जी टिकटें भी हाथ लग चुकी हैं।
ऐसे निकालते थे फर्जी टिकट
खुलासा हुआ है कि रेलकर्मी यूटीएस से कम दूरी की 30 रुपये वाली टिकटें बनाते थे और उसका प्रिंट निकालने से पहले प्रिंटर से कार्टेज हटा देते थे। इससे ब्लैंक टिकट निकल जाती थी। इस तरह से रेलकर्मी संगरूर से सुनाम की कई ब्लैंक टिकटें निकाल लेते थे।
प्रत्येक टिकट की कीमत 30 रुपये है। जब संगरूर से मथुरा, संगरूर से दिल्ली या फिर संगरूर से गोरखपुर की टिकट लेने कई यात्री आते तो टिकट निकालने से पहले उसके पीछे उच्च गुणवत्ता का कार्बन (रेलवे विभागीय कार्यों के लिए प्रयोग करता है) लगाकर ब्लैंक टिकट भी लगा देते थे। इस प्रकार संगरूर से गोरखपुर की दो टिकट निकलती थीं। इस तरह से कई स्टेशनों पर खेल चल रहा है, लेकिन फिलहाल जांच में, संगरूर, धुरी और बरवाला का नाम भी सामने आया है।
विजिलेंस भी नहीं पकड़ पाई शातिर रेलकर्मियों का फर्जीवाड़ा
फर्जी टिकटें रेल अधिकारियों को पहले ही मिल गई थीं। इसकी जांच के लिए दिल्ली से विजिलेंस टीम भी आई थी, लेकिन शातिर रेलकर्मी इतनी सफाई से घोटाले को अंजाम दे रहे थे कि विजिलेंस टीम उन्हें पकड़ नहीं पाई। टिकट पर नंबर भी ठीक था और कोई डबल प्रिंटिंग भी नहीं थी।
इसके बाद अंबाला के कामर्शियल अधिकारी और विजिलेंस ने अपने-अपने स्तर पर जांच शुरू की। विजिलेंस से पहले ही अंबाला मंडल ने इस घोटाले को पकड़ लिया। घोटाले में लिप्त कर्मचारियों पर मेजर चार्जशीट की तलवार लटक गई है।