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Tokyo Olympics: ये पांच खास किरदार, जिन्होंने नीरज को बनाया इंडिया का बेस्‍ट जैवलिन थ्रोअर

Olympics Games Tokyo 2020 टोक्‍यो ओलिंपिक में जैवलिन थ्रोअर नीरज ने बेहतरीन प्रदर्शन कर फाइनल में जगह बनाई। नीरज चोपड़ा ने मेहनत की दम पर ये मुकाम हासिल किया। हालांकि पांच किरदार और हैं जिन्‍होंने नीरज को चैंपियन बनाया।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Thu, 05 Aug 2021 06:21 PM (IST)
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इन पांच लोगों ने नीरज को इंडिया का बेस्‍ट जैवलिन थ्रोअर बनाया है।

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। सेना के सूबेदार खंडरा गांव के नीरज चोपड़ा ने जापान के टोक्यो में ओलिंपिक के पहले ही राउंड में 86.65 मीटर भाला फेंककर फाइनल में जगह बना ली। दुनिया के नंबर एक थ्रोअर वैटर सहित धुरंधरों को मात देकर दोनों ग्रुप में टाप पर रहे। ये प्रर्दशन उनका बेस्ट 88.07 से कम है, लेकिन शानदार है। उन्होंने सात अगस्त की शाम को होने वाले फाइनल मुकाबले में स्वर्ण पदक जीतने का देश का भरोसा बढ़ा दिया है। नीरज के फर्श से अर्श तक पहुंचाने में पांच अहम किरदारों का योगदान रहा है। इनसे दैनिक जागरण ने खास बातचीत की।

1. 80 किलो वजन था, नीरज को स्टेडियम में ले गए चाचा

नीरज को घर में प्यार से निज्जू बुलाते हैं। चाचा सुरेंद्र कुमार उनसे करीब 17 साल बड़े हैं। 2014 में नीरज का वजन 80 किलो था। सुरेंद्र उन्हें पहले मतलौडा के जिम ले गए। वजन कम नहीं हुआ तो फिटनेस ट्रेनर व जैवलिन थ्रोअर जितेंद्र जागलान के पास शिवाजी स्टेडियम में लेकर पहुंचे। यहीं से नीरज के खेल की शुरुआत हुई।

2. जितेंद्र ने शरीर फिट कराया

माडल टाउन शांति नगर के जितेंद्र जागलान हर रोज नीरज को 400 मीटर ट्रैक के चार चक्कर लगवाने के लिए कहते। शरीर में दर्द होने का बनाना बनाते तो उनकी सुनवाई नहीं की जाती थी। हर रोज यही शेड्यूल अपनाया जाता था। वजन कम होने से शरीर फिट हो गया था। दौडऩे में भी मन रम गया।

3. जयवीर ने थमाई जैवलिन

जैवलिन थ्रोअर बिंझौल गांव के जयवीर सिंह उर्फ मोनू, शिवाजी स्टेडियम में अभ्यास करते थे। उन्हें देख नीरज ने भी जैवलिन थ्रो किया, जो कि 25 मीटर तक गया। मोनू ने उन्हें जैवलिन थमा दी और अभ्यास कराया। इसके बाद नीरज को पंचकूला अभ्यास के लिए भिजवाया।

4. पिता ने सात हजार रुपये की जैवलिन खरीद कर दी

किसान पिता सतीश कुमार ने बताया कि वह तीन भाइयों के परिवार के साथ रहते हैं। 19 सदस्यीय परिवार में चचेरे भाई व छह बहनों में नीरज सबसे बड़े हैं। खेती की जमीन कम थी। इसलिए बेटे के लिए 50 हजार रुपये की जैवलिन नहीं खरीद सकते थे। सात हजार रुपये की जैवलिन बेटे को दी। इसी से बेटे ने सफलता भी पा ली।

Neeraj

चाचा भीम चोपड़ा के साथ नीरज चोपड़ा।

5. चाचा ने खुराक का रखा ख्याल

नीरज के बड़े चाचा भीम सिंह ने बताया कि कम जमीन की वजह से परिवार का पोषण करने में दिक्कत आ रही थी। बेटा नीरज सफलता की सीढ़ी चढ़ रहा था। इसमें कोई अड़चन न आए, इसलिए स्वजनों को समझाया और नीरज की खुराक में कमी नहीं आने दी।

नीरज की सफलता की ये है वजह

नीरज के सीनियर जयवीर सिंह ने बताया कि नीरज अनुशासित हैं। कभी अभ्यास से दूर नहीं रहते । जो तकनीक बताई जाती है, उस पर तुरंत अमल करते हैं। अभ्यास के प्रति इतने समर्पित हैं कि रिश्तेदारी में शादियों में नहीं जाते हैं। घर पर भी साल में दो या तीन बार आते हैं। ओलिंपिक में जाने से पहले स्पीड, स्ट्रैंथ पर जोर दिया था। नीरज का हाथ तेजी से चलता (हाथ की जरक) है और स्पीड से थ्रो करते हैं। इसी वजह से नीरज को सफलता मिली है।

Neeraj Chopra

नीरज के बारे में अहम बातें

-पंजाबी संगीत सुनने, बाइक राइडिंग और लंबे बाल रखने के शौकीन हैं। हालांकि अब ओलिंपिक के लिए कुछ छोटे कराए हैं।

-खंडरा गांव से 15 किलोमीटर दूर बस से शिवाजी स्टेडियम में अभ्यास के लिए जाते थे।

-2019 में कोहनी की सर्जरी होने के बाद कैरियर को लेकर चिंतित थे। पिता सतीश चोपड़ा व स्वजनों ने हौसला बढ़ाया।

-ओलिंपिक में जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें जीत का मंत्र दिया था कि दबाव में मत खेलना।

-स्वीडन में अभ्यास से मनोबल बढ़ा। बड़े मुकाबलों में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

एक दोस्त को मात दी, दूसरा दोस्त क्वालीफाई नहीं कर पाया

इंटरनेट मीडिया पर विश्व के नंबर वन जैवलिन थ्रोअर जोहनस वैटर के साथ नीरज चोपड़ा का फोटो वायरल हो रही है। दोनों दोस्त हैं। गत दिनों हुए मुकाबले में वैटर पहले और नीरज तीसरे स्थान पर रहे थे। ओलिंपिक के फाइनल के क्वालीफाई के लिए ग्रुप ए में दोनों ही थे। नीरज ने एक थ्रो में क्वालीफाई किया, जबकि वैटर को तीसरे थ्रो में सफलता मिली। नीरज ने दोस्त को यहां मात दे दी। वहीं ग्रुप बी में भारत के शिवपाल सिंह थे। वह क्वालीफाई नहीं कर पाए। शिवपाल सिंह नीरज के दोस्त हैं।

Neeraj Chopra

नीरज की उपलब्धि

- 2016 के वर्ल्‍ड जूनियर चैंपियनशिप में नीरज ने 86.48 मीटर तक भाला फेंका। केवल 18 की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया। अंडर 20 का वर्ल्‍ड रिकार्ड अपने नाम कर लिया।

-82.23 मीटर का है राष्ट्रीय रिकार्ड, इसकी बराबरी की। गुवाहाटी में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में नीरज ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा।

-2018 में जर्काता में हुए थे एशियाई खेल। तब तीसरे प्रयास में 88.06 मीटर की दूरी तक भाला फेंका। यह उनका नया रिकार्ड रहा। स्वर्ण पदक भी जीता।

-2021 पटियाला में उन्होंने पांचवें प्रयास में 88.07 मीटर तक भाला फेंका और अपना नया रिकार्ड बनाया।

चाचा ने सात साल बाद देखा नीरज का मुकाबला, टूटा भ्रम

नीरज के बड़े चाचा भीमा चोपड़ा उनका मुकाबला नहीं देखते थे। इसेके पीछे चाचा का भ्रम था कि मुकाबला देखा तो भतीजा हार जाएगा। भीम ने दैनिक जागरण को बताया कि वर्ष 2014 में राज्यस्तरीय जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में नीरज का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। वह भतीजे के साथ थे और इवेंट देखा था। इसके बाद उन्हें भ्रम हो गया कि उनकी वजह से बेटे पर दबाव बना और सफलता नहीं मिली। इसके बाद से उन्होंने कभी मैदान में जाकर व टीवी पर नीरज का इवेंट नहीं देखा। वर्ष 2016 में नीरज ने अंडर-20 विश्व रिकार्ड बनाया। 2019 में एशियन व कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीते। तब भी भीम ने भतीजे के इवेंट नहीं देखे। बाद में उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर इवेंट की क्लिप देखी। बुधवार को भीम चोपड़ा सुबह ही टीवी के सामने बैठे थे। नीरज ने ओलि‍ंपिक के फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। इसके बाद उनका भ्रम टूट गया कि मैच देखने से भतीजा हारता नहीं है।

पहले भतीजी की करेंगे शादी, नीरज तैयार तो परिवार भी तैयार

नीरज के सबसे करीबी चाचा सुरेंद्र कुमार ने बताया कि नीरज सबसे बड़े हैं। उनसे छोटी बहन संगीता व सरिता हैं। संगीता की जल्द ही शादी करेंगे। ओलिंपिक से लौटने के बाद नीरज से शादी की बात की जाएगी। अगर वे हां कहते हैं तो शादी कर दी जाएगी। नीरज को छूट है कि वह अपनी पसंद की युवती से भी शादी कर सकते हैं।

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