Railway News: प्लेटफार्म पर भी वेंडर बेच सकेंगे सामान, उत्तर रेलवे ने लागू की स्टेटिक कैटरिंग यूनिट योजना
रेल मंत्रालय ने सभी जोन की शक्तियों में इजाफा किया। मंडल स्तर पर लाइसेंस फीस तय कर मुख्यालय भेजी जाएगी। प्लेटफार्म पर सामान बेचने पर रेलवे एक्ट के तहत केस दर्ज होता है। अब स्टाल संचालकों को मिलेगी राहत।
By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Wed, 13 Jul 2022 07:49 AM (IST)
अंबाला, [दीपक बहल]। रेल मंत्रालय ने अब प्लेटफार्म पर सामान बेचने की अनुमति देने की शक्तियां जोन को दे दी हैं और उत्तर रेलवे ने अंबाला, फिरोजपुर, मुरादाबाद, लखनऊ और दिल्ली मंडल में यह योजना ट्रायल के तौर पर शुरू कर दी है। पहली नीति के अनुसार सिर्फ प्लेटफार्म पर बने स्टाल में ही वेंडर सामान बेच सकते थे, लेकिन अब वे प्लेटफार्म पर सामान बेच सकेंगे।
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यह बात अलग है कि स्टालों की लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी भी की जाएगी। इस स्टेटिक कैटरिंग यूनिट योजना के लागू होने से रेलवे की लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी के कारण उसकी भी आय बढ़ेगी और वेंडर भी प्लेटफार्म पर यात्रियो को सामान दे सकेंगे तो उनकी भी बिक्री बढ़ेगी। प्लेटफार्म पर सामान बेचना रेलवे एक्ट के तहत जुर्म माना जाता है, लेकिन अब पालिसी लागू होने से इसमें राहत मिलेगी।
इसके लिए जो फीस तय की गई है वह स्टेशनों के कैटेगिरी के स्टेशन अनुसार है। ए-1 और ए में शामिल रिफ्रेशमेंट रूम, जन आधार और एफएफयू स्टाल को शामिल किया गया है। ऐसे स्टाल की जो भी लाइसेंसी फीस होगी, उसका पांच प्रतिशत अतिरिक्त सालाना लिया जाएगा या फिर साठ हजार रुपये देने होंगे। एक वेंडर पर ही यह फीस निर्धारित की गई है। इसी प्रकार बी व डी कैटेगिरी के स्टेशनों पर कैटरिंग के स्टाल की लाइसेंस फीस कम की है। यहां पर यह फीस 36 हजार रुपये सालाना या फिर लाइसेंसी फीस का पांच प्रतिशत होगा।
यात्रियों को होगी सुविधा
इस योजना के लागू होने से यात्रियों को काफी सुविधा होगी। यात्रियों को सामान खरीदने के लिए अब ट्रेन से उतरना नहीं पड़ेगा। योजना के मुताबिक स्टेशन पर घूमने वाले वेंडर ही यात्रियों को उनकी सीट पर सामान उपलब्ध करवा देंगे। इन वेंडरों की पहचान उनकी वर्दी से होगी, जिस पर उनका नाम, लाइसेंस नंबर, प्लेटफार्म नंबर अंकित होगा। यह वेंडर ट्रेन के भीतर सामान नहीं बेच सकेंगे। वेंडिंग की इजाजत रात्रि दस बजे से सुबह छह बजे तक नहीं होगी।
छह माह की होगी इजाजतशुरुआत में वेंडर को छह माह की इजाजत मिलेगी। इसके बाद स्टाल संचालक की सेल असेसमेंट की जाएगी। यदि लगा तो अतिरिक्त लाइसेंस फीस ली जाएगी, जिसकी मंजूरी डीआरएम स्तर पर होगी।संचालक और रेलवे की बढ़ेगी आय: सीनियर डीसीएमसीनियर डीसीएम (डिवीजनल कामर्शियल मैनेजर) हरिमोहन ने बताया कि उत्तर रेलवे में यह योजना लागू की गई है। इस योजना से यात्रियों को सुविधा होगी और संचालक और रेलवे की आय बढ़ेगी।
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