पांच साल में दोबारा होगी नई वार्डबंदी
पुलआउट की लीड: कृपया देर रात ही ऑनलाइन डालें: फोटो: 6 व 6ए -शहर का दायरा बढ़ने
By JagranEdited By: Updated: Mon, 09 Apr 2018 03:00 AM (IST)
पुलआउट की लीड:
कृपया देर रात ही ऑनलाइन डालें: फोटो: 6 व 6ए -शहर का दायरा बढ़ने के साथ ही अनुसूचित जाति के वार्डों की संख्या कम करने से खड़े हुए सवाल
-उच्च न्यायालय ने आबादी के हिसाब से वार्ड बढ़ाने के दिए आदेश -विधायक से लेकर अन्य भाजपा नेता भी थे नई वार्डबंदी के ही पक्ष में अमित सैनी, रेवाड़ी: नगर परिषद चुनावों को लेकर नई व पुरानी वार्डबंदी के बीच जो संशय बना हुआ था, वह अब पूरी तरह से साफ हो गया है। नगरपरिषद चुनाव नई वार्डबंदी से ही होंगे और इस काम को सरकारी जल्दी से जल्दी सिरे चढ़ाने का काम कर रही है। 9 अप्रैल को चंडीगढ़ में नई वार्डबंदी कमेटी की निदेशक के साथ बैठक भी है। जिसमें नई वार्डबंदी का प्रारूप तैयार होगा। पांच साल पूर्व हुए नप चुनावों से ठीक पहले वार्डबंदी की गई थी, लेकिन इस बार फिर से वार्डों की सीमा नए सिरे से निर्धारित करने की जो नौबत आई, उसके पीछे पुरानी वार्डबंदी की खामियों को ही कारण माना जा रहा है। पुरानी वार्डबंदी में बहुत सी ऐसी खामियां रहीं, जिसके चलते विधायक रणधीर ¨सह कापड़ीवास से लेकर अन्य भाजपा नेतागण नई वार्डबंदी से ही नप चुनाव कराने के शुरू से पक्ष में खड़े थे। कारण एक:
नगर परिषद क्षेत्र का दायरा बढ़ा नए सिरे से वार्डबंदी करने के लिए दो में से किसी एक कारण का होना अत्यंत आवश्यक होता है। या तो जनगणना हुई हो या फिर नगर परिषद क्षेत्र बढ़ा हो। इस बार जनगणना तो नहीं हुई लेकिन नप क्षेत्र का दायरा जरूर बढ़ा। गांव कालका की राजस्व सीमा में आने वाले उत्तम नगर के कुछ क्षेत्र को नगर परिषद में शामिल किया गया है। नप क्षेत्र बढ़ने पर यहां रहने वाले लोगों को भी मतदाता सूची में शामिल करना आवश्यक था। कारण दो: रिजर्व वार्डों की संख्या बढ़ाना बना आवश्यक
शहर की आबादी भले ही साल दर साल बढ़ी लेकिन पिछली वार्डबंदी में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आरक्षित रहने वाले वार्डों की संख्या को 6 से घटाकर 5 कर दिया गया। शहर की वर्तमान आबादी को लेकर चले तो आरक्षित वार्डों की संख्या कम से कम 6 होनी चाहिए। इसी मामले को लेकर धारूहेड़ा चौक निवासी भारत ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर 28 मार्च को न्यायालय ने प्रदेश सरकार, निदेशक अर्बन लोकल बॉडीज को इस मामले में स्पी¨कग आर्डर जारी करने के आदेश दिए हैं। वहीं इन आदेशों से पहले उपायुक्त खुद निदेशक को आरक्षित वार्डों की संख्या बढ़ाने के लिए पत्र लिख चुके थे। ------------ कारण तीन: किसी वार्ड में पांच हजार तो किसी में दो हजार वोट वर्ष 2013 में हुई वार्डबंदी में सबसे बड़ी खामी वोटों को लेकर रही। वार्ड नंबर 9 में पहले जहां 4 हजार से अधिक वोट थे वहीं अब जारी फाइनल मतदाता सूची में भी इस वार्ड में मतदाताओं की संख्या 5 हजार से अधिक हो गई। वहीं, दूसरी तरफ वार्ड नंबर 13 की फाइनल मतदाता सूची में महज 1735 ही वोट हैं। वार्डों में मतदाताओं की संख्या में यह असमानता भी नई वार्डबंदी का कारण बनी। ----------------------- 1.86 लाख हुई शहर की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 1 लाख 43 हजार थी, लेकिन हाल ही में नई वार्डबंदी के तहत जो सर्वे हुआ है, उसमें शहर की आबादी 1 लाख 86 हजार के लगभग पहुंच चुकी है। 9 अप्रैल को चंडीगढ़ में होने वाली वार्डबंदी कमेटी की बैठक में आबादी के अनुसार ही शहर को 31 वार्डों में बांटने को लेकर चर्चा होगी। ------------- विधायक व अन्य भाजपा नेता थे नई वार्डबंदी के पक्ष में पुरानी वार्डबंदी से चुनाव को लेकर प्रक्रिया तो चल रही थी, लेकिन विधायक रणधीर ¨सह कापड़ीवास से लेकर अन्य भाजपा नेता तक नई वार्डबंदी से चुनाव के पक्ष में खड़े थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि भाजपा समर्थित पार्षद भी नई वार्डबंदी ही चाहते थे। वर्ष 2013 में कांग्रेस के समय में हुई वार्डबंदी को लेकर स्पष्ट धारणा थी कि इसे कांग्रेसी पार्षदों के हिसाब से किया गया था। -------------- नई वार्डबंदी वर्ष 2013 में हुई वार्डबंदी की तरह त्रुटिपूर्ण नहीं होगी। नई वार्डबंदी में सिर्फ भाजपा ही नहीं कांग्रेस व इनेलो से भी निर्वतमान पार्षदों को लिया गया है। पूरी तरह से निष्पक्ष व सही वार्डबंदी होगी। 9 अप्रैल को चंडीगढ़ में निदेशक स्थानीय शहरी निकाय विभाग के साथ होने वाली बैठक में नई वार्डबंदी का प्रारुप तय होगा। -रणधीर ¨सह कापड़ीवास, विधायक
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