गोकशी मामले में हुआ बड़ा खुलासा, राजस्थान पुलिस पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के लिए लेगी हरियाणा की मदद
गोकशी मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। तस्करों ने गोकशी करने के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ था। बदमाशों ने बिजली से लेकर ट्यूबवेल तक के कनेक्शन ले लिए हैं। अब इस केस में पुलिस के सामने नशा तस्करों की भी भूमिका आ रही। बीते दिन राजस्थान पुलिस ने अलवर के जंगलों में छापामारी कर बड़े पैमाने पर गोमांस तस्करी के अड्डों को पकड़ा था।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। किशनगढ़ के रूंद गिदावड़ के जंगलों में गोकशी की मंडी चलाने के लिए जो सुविधाएं चाहिए वह जंगल में ही मुहैया करवा दी गई। प्रशासन की नाक के नीचे यह सब खेल होता रहा। वन विभाग की 80 बीघा जमीन पर गोतस्कर खेती करते थे। तस्करों ने 12 अवैध ठिकाने बनाए हुए थे।
इन ठिकानों में ही बिजली के कनेक्शन दिए गए। खेती के लिए ट्यूबवेल के कनेक्शन दिए गए। ट्रांसफॉर्मर तक की सुविधा गोतस्करों को दी हुई थी। प्रशासन की कार्रवाई में 12 घरों को नष्ट किया गया है। छह अवैध ट्यूबवेल कनेक्शन हटाए गए हैं। यहां तक की दो अवैध ट्रांसफॉर्मरों को भी जब्त किया गया है।
बिजली निगम ने अवैध बिजली कनेक्शन लेने वाले मन्नान खान के खिलाफ 87709 रुपये का जुर्माना लगाया है। सवाल यह उठता है कि गोतस्करों ने इतनी सुविधाएं जुटा ली मगर किसी को गोकशी की भनक तक नहीं लगी। वहीं राजस्थान पुलिस तस्करों का पता लगाने और नेटवर्क को खंगालने के लिए हरियाणा पुलिस की भी मदद लेगी।
गोमांस की होम डिलीवरी के बनाए गए थे कच्चे रास्ते
गोमांस की होम डिलीवरी के लिए तस्करों ने अरावली में कच्चे रास्ते बनाए हुए थे। इन रास्तों के जरिये ही गो मांस सप्लाई किया जाता था। पुलिस की दो कंपनियां और 60 जवान सर्च अभियान में जुटे हैं। जंगल इतना वीरान है कि पुलिस कर्मी भी अकेले जाने से यहां डर रहे हैं।
इन कच्चों रास्तों के जरिये गोमांस की सप्लाई की जाती थी।गोमांस की कीमत 250 रुपये किलो तक होती है। सिर्फ विश्वास पात्र लोगों को ही गोमांस बेचा जाता था। एक पूरी चेन सिस्टम के तहत काम किया जाता था।
पुलिस को शक है कि सिर्फ गोमांस ही नहीं नशे की तस्करी भी यह लोग करते हैं उसी नेटवर्क का इस्तेमाल गोमांस बेचने के लिए किया जाता है। पुलिस गोकशी करने वाले मुख्य सरगना की तलाश कर रही है। इनके तार सफेदपोशों से भी जुड़े होने का दावा किया जा रहा है।
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