Rewari : दहेज हत्या के मामले में 23 साल बाद मिला न्याय, निचली अदालत के जारी किए वारंट पर HC ने की टिप्पणी
Rewari News योगेश की शादी वर्ष 1998 में नारनौल निवासी रेणुका के साथ हुई थी। योगेश जयपुर में सरकारी विभाग में नौकरी करते थे तथा वहीं पर पत्नी रेणुका के साथ रहते थे। 16 जून 1999 को रेणुका ने जयपुर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
By Jagran NewsEdited By: Pradeep Kumar ChauhanUpdated: Wed, 09 Nov 2022 05:09 PM (IST)
रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। दहेज हत्या के झूठे आरोप ने किस तरह से एक हंसते-खेलते परिवार को उजाड़कर रख दिया, इसका उदाहरण गांव जैतपुर निवासी योगेश व उनके स्वजन है। पत्नी के आत्महत्या कर लेने के बाद ससुरालपक्ष के लोगों ने वर्ष 1999 में योगेश, उनके पिता जोगेंद्र सिंह और मां विजय यादव तीनों पर मुकदमा दर्ज करा दिया था। मुकदमें में सजा हो जाने के बाद पिता को चार साल तक जेल में रहना पड़ा और वहीं पर उनकी मृत्यु हो गई। मां कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही है लेकिन योगेश और उनकी बहन ने न्याय के लिए जंग जारी रखी। आखिरकार 23 साल के बाद योगेश और उनके परिवार को दहेज हत्या के आरोपों से दोषमुक्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं महिला उत्पीड़न अदालत की पीठासीन अधिकारी रिधिमा शर्मा ने उनको बरी कर दिया है। वहीं उच्च न्यायालय ने उनके मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि योगेश व उनके परिवार के खिलाफ जारी किए गए स्थायी गिरफ्तारी वारंट गैर कानूनी और बिना न्यायिक बुद्धि के जारी किए गए थे।
अवसादग्रस्त पत्नी ने लगा ली थी फांसी
जैतपुर गांव के रहने वाले योगेश की शादी वर्ष 1998 में नारनौल निवासी रेणुका के साथ हुई थी। योगेश जयपुर में सरकारी विभाग में नौकरी करते थे तथा वहीं पर पत्नी रेणुका के साथ रहते थे। पत्नी रेणुका का डिप्रेशन का उपचार चल रहा था। 16 जून 1999 को रेणुका ने जयपुर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जयपुर के एसएमएस अस्पताल के बोर्ड द्वारा की गई डिप्रेशन की पुष्टि और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने उनको इस मामले में दोषी नहीं माना था तथा कोर्ट में भी रिपोर्ट फाइल कर दी थी। रेणुका के माता पिता ने कोर्ट में इस्तगासा दायर करके योगेश, उनकी मां विजय यादव और पिता जोगेंद्र सिंह के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया था। निचली अदालत ने स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया जिसके बाद वर्ष 2002 में पिता जोगेंद्र सिंह को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया। निचली अदालत ने इस मामले में दस साल की सजा सुनाई तथा चार साल तक जेल में रहने के बाद वर्ष 2008 में जोगेंद्र सिंह की मृत्यु हो गई थी।
न्याय के लिए बहन ने किया गवाहों का स्टिंग आपरेशन
तमाम रास्ते बंद हो जाने पर योगेश की बहन आस्था राव ने सच सामने लाने के लिए इस मामले में रेणुका के माता-पिता और गवाहों का स्टिंग आपरेशन किया। इस पूरे मामले में एक अहम गवाह था बीर सिंह, जिसने कोर्ट में बयान दिया था कि वह योगेश और रेणुका के घर पर दूध देने जाता था। इसी दौरान उसने सुना था कि योगेश और उसका परिवार रेणुका को दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहे थे। वहीं जब स्टिंग किया गया तो मृतका रेणुका के पिता ने बताया कि गवाह बीरसिंह उनका प्रोपर्टी का काम देखता है तथा गवाही के लिए एक प्लाट भी उन्होंने उसके नाम कराया हुआ है। वहीं गवाह बीरसिंह स्टिंग में गवाही से मुकरने के लिए पांच लाख व पूरे मामले को रफा दफा करने के लिए 50 लाख मांगता हुआ दिखाई दे रहा है। इन तमाम साक्ष्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने जहां निचली अदालत पर टिप्पणी की वहीं महिला उत्पीड़न अदालत ने पूरे परिवार को दोषमुक्त कर दिया है।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।