बलिदान पर गर्व: 56 साल बाद नसीब हुई गांव की मिट्टी, अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब; वीरांगना पत्नी बोली...
56 साल पहले विमान हादसे में बलिदान हुए मुंशीराम का पार्थिक शरीर गुरुवार को उनके पैतृक गांव में पहुंचा तो कोहराम मच गया। इस दौरान उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। वहीं मुंशीराम के जयकारों से पूरा गूंज उठा। इसके बाद गमगीन माहौल मुंशीराम का अंतिम संस्कार किया गया। पढ़िए आखिर मुंशीराम 56 साल पहले कैसे देश के लिए बलिदान हो गए थे।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। 56 साल पहले देश की सेवा में प्राणों को न्योछावार करने वाले गांव गुर्जर माजरी के जवान मुंशीराम का पार्थिव शरीर आज यानी गुरुवार को उनके पैतृक गांव में पहुंचा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के भाई कैलाश चंद ने शव को मुखागनी दी।
Indian Army बलिदान की अंतिम यात्रा में शामिल सैकड़ों ग्रामीणों ने अमर शहीद के जमकर जयकारे लगाए, जिससे पूरा गांव गूंज उठा। बलिदानी मुंशी राम के छोटे भाई कैलास ने बताया कि चार बहनों व तीन भाइयों में मुंशी राम सबसे बड़े थे। 22 वर्ष की आयु में यह हादसा हुआ था। उनका जन्म दिसंबर 1945 को हुआ था।
समय के साथ-साथ यादें भी होने लगी थी धूमिल
इसके बाद स्वजन उनके आने की बांट जोहते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यादें भी धूमिल होने लगी थी। लेकिन स्वजन उनके अंतिम संस्कार नहीं करने की टीस को सीने में छिपाए थे। उन्होंने बताया कि आज भाई का सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया है। स्वर्गीय मुंशीराम के पिता का नाम भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी है।
मुंशीराम की वीरांगना पार्वती देवी ने कहा कि उन्हें पति की शहादत पर गर्व है, लेकिन 56 साल बाद उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा है। इस बात की खुशी भी है।