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बलिदान पर गर्व: 56 साल बाद नसीब हुई गांव की मिट्टी, अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब; वीरांगना पत्नी बोली...

56 साल पहले विमान हादसे में बलिदान हुए मुंशीराम का पार्थिक शरीर गुरुवार को उनके पैतृक गांव में पहुंचा तो कोहराम मच गया। इस दौरान उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। वहीं मुंशीराम के जयकारों से पूरा गूंज उठा। इसके बाद गमगीन माहौल मुंशीराम का अंतिम संस्कार किया गया। पढ़िए आखिर मुंशीराम 56 साल पहले कैसे देश के लिए बलिदान हो गए थे।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 03 Oct 2024 05:18 PM (IST)
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56 साल पहले विमान हादसे में बलिदान हुए मुंशीराम का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। 56 साल पहले देश की सेवा में प्राणों को न्योछावार करने वाले गांव गुर्जर माजरी के जवान मुंशीराम का पार्थिव शरीर आज यानी गुरुवार को उनके पैतृक गांव में पहुंचा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के भाई कैलाश चंद ने शव को मुखागनी दी।

Indian Army बलिदान की अंतिम यात्रा में शामिल सैकड़ों ग्रामीणों ने अमर शहीद के जमकर जयकारे लगाए, जिससे पूरा गांव गूंज उठा। बलिदानी मुंशी राम के छोटे भाई कैलास ने बताया कि चार बहनों व तीन भाइयों में मुंशी राम सबसे बड़े थे। 22 वर्ष की आयु में यह हादसा हुआ था। उनका जन्म दिसंबर 1945 को हुआ था।

समय के साथ-साथ यादें भी होने लगी थी धूमिल

इसके बाद स्वजन उनके आने की बांट जोहते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यादें भी धूमिल होने लगी थी। लेकिन स्वजन उनके अंतिम संस्कार नहीं करने की टीस को सीने में छिपाए थे। उन्होंने बताया कि आज भाई का सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया है। स्वर्गीय मुंशीराम के पिता का नाम भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी है।

मुंशीराम की वीरांगना पार्वती देवी ने कहा कि उन्हें पति की शहादत पर गर्व है, लेकिन 56 साल बाद उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा है। इस बात की खुशी भी है।

1968 में हुआ था विमान हादसा

बता दें कि यह विमान हादसा सात फरवरी, 1968 को हुआ था। चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कई दशकों तक विमान का मलबा और विमान सवारों के अवशेष बर्फीले इलाके में खोए रहे। सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए।

तभी से चलाए जा रहे थे सर्च अभियान

बताया गया कि 2005, 2006, 2013 व 2019 में चलाए गए सर्च ऑपरेशन में डोगरा स्काउट्स सबसे आगे रहे। 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद हो पाए थे। चंद्र भागा ऑपरेशन के बाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ है।

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सैन्य अभियान दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों से जो चार शव बरामद किए हैं, उनमें स्वर्गीय मुंशीराम के अवशेश भी हैं। इस अवसर पर न्यू वर्तमान मंत्री डॉ. बनवारी लाल, भाजपा जिला अध्यक्ष वंदना पोपली, जिला पार्षद रेखा भाड़ावास व आसपास के गांव के अनेक सरपंच व सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

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