कमाल का है यह परिंदा, कई घंटों तक एक ही पांव पर खड़ा रह सकता है 'राजहंस'
राजहंस पक्षी के पैर इसके शरीर से बड़े होते हैं। इसकी ऊंचाई करीब पांच फीट तक होती है। राजहंस कई घंटों तक एक ही पांव पर खड़ा रह सकता है।
रेवाड़ी [जेएनएन]। राजहंस एक स्थानीय पक्षी है, जो भारत के अलग-अलग हिस्सों में वास करता है। यह एक सामाजिक प्राणी है, जो झुंड बनाकर झीलों के किनारे रहते हैं। इस पक्षी का रंग सफेद, पंखों का पीछे का हिस्सा गुलाबी, नीचे के कुछ पंखों पर काला रंग और पैर व चोंच लाल रंग की होती है। इस पक्षी के पैर इसके शरीर से बड़े होते हैं। इसकी ऊंचाई करीब पांच फीट तक होती है। राजहंस कई घंटों तक एक ही पांव पर खड़ा रह सकता है।
राजहंस अपने पैर से पानी के अंदर कीचड़ को हिलाते है, इसकी चोंच की बनावट के कारण ये कीचड़ से छोटे कीटों को निकाल लेते हैं और चोंच से छान कर निगल जाते है। जब ये भोजन करते हैं तो अपनी चोंच के ऊपरी हिस्से को पानी की निचली सतह पर नीचे की तरफ कर लेते है। ये कई घंटो तक पानी को चोंच से छान कर अपने शिकार को निगलते रहते हैं।
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इस पक्षी के प्रजनन का समय अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। भारत में गुजरात के कच्छ क्षेत्र में ये पक्षी लाखों की संख्या में एकत्रित हो जाते हैं। यहां ये पक्षी एक जोड़ा बन कर प्रजनन करते हैं। यहीं पर पानी के किनारे कीचड़ वाले क्षेत्र में मिट्टी एकत्रित कर घोसला बनाते हैं। एक ही स्थान पर लाखों पक्षी घोसला बनाते हैं। मादा पक्षी एक अंडा देती है। चूजे को नर व मादा दोनों मिलकर पालते हैं। इस पक्षी की आयु 50 से 60 वर्ष तक होती है।
इस पक्षी की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है। इसका मुख्य कारण इसके प्राकृतिक वास का घटना है। साथ ही साथ मानव जनित गतिविधियां भी इसकी संख्या को कम कर रही है।
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कच्छ में है लाखो की संख्या
खारे पानी वाली जगहों पर यह पक्षी ज्यादा पाया जाता है। गुजरात का कच्छ क्षेत्र जहां पानी में नमक की मात्रा ज्यादा है, वह क्षेत्र इसका प्राकृतिक वास बना गया है। यहां पर लाखों पक्षी एक साथ झुंड में रहते हैं। ये पक्षी एक अलग प्रकार की आवाज निकालकर एक दूसरे को संदेश पहुंचाते है। कई बार कुछ पक्षी जैसे स्टार्क आदि इसके अंडे व चूजों को नुकसान पहुंचा देते हैं। ये पक्षी एक बार जोड़ा बनाकर सारा जीवन एक साथ रहते हैं।