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Kisan Andolan: कृषि कानून निरस्त होने पर पढ़िये लालू यादव के समधी का ट्वीट, किया जूतों और चूहों का जिक्र

Kisan Andolan हरियाणा के कद्दावर कांग्रेस नेताओं में शुमार पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने अपने अलग ही अंदाज में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने पर नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष किया है।

By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 19 Nov 2021 03:05 PM (IST)
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Kisan Andolan: कृषि कानून निरस्त होने पर पढ़िये लालू यादव के समधी का ट्वीट, किया जूतों और चूहों का जिक्र
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। एक साल पहले लाए गए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया है, हालांकि निरस्तीकरण की पूरी प्रक्रिया संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद शुक्रवार सुबह गुरुनानक जयंती पर राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान तीनों कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने का ऐलान किया गया। इसके बाद केंद्र सरकार के मंत्रियों और सत्तापक्ष के सांसदों के साथ विपक्षी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया आना जारी है।

इसी कड़ी में हरियाणा के कद्दावर कांग्रेस नेताओं में शुमार कैप्टन अजय सिंह यादव ने अपने अलग अंदाज में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने पर नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष किया है। बिहार के पूर्व मंख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समधी कैप्टन अजय यादव ने ट्वीट किया है- 'आखिर कर किसानों के संघर्ष और शहादत से उनकी जीत हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को तीनों काले कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करना पड़ा कहावत है 500 जूते खाए और 500 प्याज भी खाई भाजपा सरकार ने और उसके बाद कुछ समझ में आई।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव की बेटी अनुष्का की शादी हरियाणा के पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के इकलौते बेटे और रेवाड़ी से कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव से हुई है।

उधर, संयुक्त किसान मोर्चा मोर्चा के अहम नेताओं में शामिल डा. संजय माधव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जून 2020 में पहली बार अध्यादेश के रूप में लाए गए सभी तीन किसान-विरोधी, कार्पोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले की घोषणा की है। उन्होंने गुरु नानक जयंती के अवसर पर यह घोषणा करने का निर्णय लिया। संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी। हालांकि, इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत, इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की जिद जिम्मेदार है।

संजय माधाव ने यह भी कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकि है। एसकेएम सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर, जल्द ही अपनी बैठक करेगा और यदि कोई हो तो आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा। बता दें कि शाजहांपुर बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में डा. संजय माधव अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।

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